मोहन भागवत पहली बार यूं ही नहीं पहुंचे थे PM आवास, मोदी से मुलाकात क्यों खास?

4 hours ago

Last Updated:April 30, 2025, 09:42 IST

PM Modi Mohan Bhagwat Meeting: पहलगाम टेरर अटैक के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने पीएम मोदी से मुलाकात की. यह मुलाकात संघ और सरकार के बीच जनभावनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चर्चा के लिए अहम मानी जा रही है.

मोहन भागवत पहली बार यूं ही नहीं पहुंचे थे PM आवास, मोदी से मुलाकात क्यों खास?

मोहन भागवत की पीएम मोदी से मुलाकात मंगलवार को हुई.

हाइलाइट्स

मोहन भागवत ने पीएम मोदी से मुलाकात की.मुलाकात पहलगाम हमले के बाद हुई.संघ ने सरकार को समर्थन दिया.

मधुपर्णा दास की रिपोर्ट:

पहलगाम टेरर अटैक के बाद देश में हलचल है. आरएसएस यानी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. यह मुलाकात पीएम आवास पर एक घंटे से अधिक समय तक चली. अब सवाल है कि क्या मोहन भागवत की पीएम मोदी से यह मुलाकात महज शिष्टाचार भेंट थी? दरअसल, यह मुलाकात काफी अहम मानी जा रही है. संघ प्रमुख का राजनीतिक हस्तियों से मिलना बेहद असामान्य माना जाता है. संघ सूत्रों ने पुष्टि की है कि 2014 में पीएम मोदी के पदभार संभालने के बाद से यह पहली ऐसी मुलाकात थी.

यह मुलाकात पहलगाम में हुए आतंकी हमले के तुरंत बाद हुई है, जहां निहत्थे नागरिकों और पर्यटकों को निशाना बनाकर मार डाला गया था. उस आतंकी घटना से देश भर में गुस्सा है. मुलाकात से जुड़े सूत्रों के अनुसार, मोहन भागवत ने इस घटना पर संघ परिवार की गहरी पीड़ा और हिंदू समुदाय में बढ़ते गुस्से और असुरक्षा की भावना से अवगत कराया. उन्होंने आतंकी हमले का जवाब देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी और सरकार के प्रयासों के प्रति संघ का समर्थन भी दिया.

आरएसएस का क्या स्टैंड
आरएसएस के एक सीनियर पदाधिकारी ने न्यूज18 को बताया, ‘यह महज शिष्टाचार भेंट नहीं थी. जमीनी स्तर पर माहौल तनावपूर्ण है. हिंदू आहत और नाराज हैं. संघ का मानना ​​है कि सरकार के साथ खड़ा होना जरूरी है, लेकिन यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि जनभावनाओं को समझा जाए और जिम्मेदारी से आगे बढ़ाया जाए. यह इमरजेंसी का समय है और इसलिए भागवत जी ने खुद पीएम से मुलाकात की.’

क्यों अहम मोहन भागवत की भेंट?
मोहन भागवत की यह मुलाकात प्रतीकात्मक और रणनीतिक रूप से अहम तो है ही, लेकिन इससे जो संदेश जाता है, वह कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो सकता है. अपने विशाल जनाधार और वैचारिक प्रभाव के साथ संघ परिवार के पास जनमत बनाने और सरकार की आवश्यकतानुसार समर्थन जुटाने या उसे नियंत्रित करने की क्षमता है. सरकार इस ताकत से वाकिफ है. माना जा रहा है कि वह जनभावनाओं और राष्ट्रीय सुरक्षा, दोनों को ध्यान में रखते हुए अपने अगले कदम सावधानी से उठा रही है.

पब्लिक ओपिनियन अहम
आरएसएस के एक अन्य सीनियर पदाधिकारी ने कहा, ‘अगर सरकार को निर्णायक जवाबी कार्रवाई के पक्ष में स्पष्ट और मजबूत जनमत का आभास होता है, तो वह उस दिशा में तेजी से और रणनीतिक रूप से आगे बढ़ सकती है. जनमत यानी पब्लिक ओपिनियन महत्वपूर्ण है.’

क्या कर रही सरकार
इस बीच केंद्र सरकार औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही माध्यमों से लोगों का मूड भांपने में जुटी है. इसमें संघ से जुड़े संगठनों और स्वयंसेवकों से फीडबैक भी शामिल है. ऐसा लगता है कि इस समय सरकार की पूरी कोशिश इस बात पर है कि कश्मीर के मुद्दे पर कोई भी कड़ा फैसला लेने से पहले लोगों की नब्ज को पहचान लिया जाए. साथ ही, ऐसे अस्थिर और संवेदनशील समय में लोगों की उम्मीदों और भावनाओं को भी ध्यान में रखा जाए. मोहन भागवत की यात्रा इस बात का संकेत है कि संघ सिर्फ दूर से ही हालात नहीं देख रहा है बल्कि राष्ट्रीय प्रतिक्रिया को प्रभावित करने में भी सक्रिय भूमिका निभा रहा है. इसमें राजनीतिक दांव-पेच के साथ-साथ सामाजिक भावनाओं को भी ध्यान में रखा जा रहा है.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 30, 2025, 09:42 IST

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