रॉबिनहुड, शेर-ए-बिहार, बाहुबली, पॉलिटिशियन... काली पांडे एक पर किरदार अनेक

3 days ago

Last Updated:August 23, 2025, 15:39 IST

Kali Prasad Pandey: बिहार के गोपालगंज में काली प्रसाद पांडे ‘शेर-ए-बिहार’ के नाम से जाने जाते थे. उनकी बाहुबली छवि ने उन्हें राजनीति में अमर बना दिया. जेल की सलाखों से संसद तक का उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी की सहानुभूति लहर के बावजूद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उनकी लोकसभा जीत ने इतिहास रच दिया था विवादों और दबंगई के बीच पांडेय ने बिहार की सियासत में अपनी धमक अंत-अंत तक बरकरार रखी.

काली प्रसाद पांडेय की बाहुबली छवि ने उन्हें बिहार की राजनीति में एक अलग पहचान दिलाई, लेकिन उनका राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ावों से गुजरा, जिसमें जेल से संसद तक का सफर शामिल है. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी के लिए सहानुभूति की लहर के बीच भी वह निर्दलीय जीत गए, जो बहुत बड़ी उपलब्धि कही जाती है.

काली प्रसाद पांडे की जनता के बीच पैठ को देखते हुए कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में शामिल किया. इसके बाद बाद में लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी से जुड़ गए. फिर राजनीति का दौर बदला तो उन्होंने दिवंगत रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) का दामान थामा.

काली प्रसाद पांडेय ने एक इंटरव्यू में बताया था कि वह कभी नेता नहीं, बल्कि शिक्षक बनना चाहते थे. हालांकि, उनका यह सपना अधूरा ही रह गया. वर राजनीति में आ गए और 1984 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बड़ी जीत हासिल की.

काली प्रसाद पांडेय का नाम कई विवादों से भी जुड़ा रहा, जिनमें 1989 में पटना जंक्शन पर नगीना राय पर बम से हुए हमले का मामला शामिल है.बिहार की सियासत के जानकार कहते हैं कि 80-90 के दशक में वह तमाम बाहुबलियों के ‘गुरु’ माने जाते थे.

1980 के दशक में उत्तर भारतीय राजनीति पर छाए रहने वाले कद्दावर नेता पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडे ने शुक्रवार शाम दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में आखिरी सांस ली. 80-90 के दशक में काली प्रसाद पांडे बिहार के सबसे ताकतवर नेताओं में जाने जाते थे और उनको 'रॉबिनहुड' भी कहा जाता था.

काली चरण की छवि इतनी चर्चित हुई कि 1987 में आई निर्देशक एन. चंद्रा की फिल्म 'प्रतिघात' के खलनायक 'काली प्रसाद' का किरदार उन्हीं से प्रेरित बताया गया. उनका राजनीतिक प्रभाव गोपालगंज और आसपास के इलाकों में बहुत मजबूत था.

उनकी वफादारी और राजनीतिक प्रतिबद्धता ने उन्हें अपने समर्थकों के बीच एक मजबूत नेता बनाया. काली प्रसाद पांडेय का व्यक्तिगत जीवन भी उनकी राजनीतिक छवि का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था. उनके समर्थकों ने उन्हें बहुत प्यार और सम्मान दिया, जो उनकी राजनीतिक सफलता का एक महत्वपूर्ण कारण था.

उनकी नेतृत्व क्षमता और राजनीतिक कौशल ने उन्हें एक प्रभावशाली नेता बनाया. काली प्रसाद पांडेय ने अपने क्षेत्र में कई सामाजिक कार्य किए और लोगों की मदद की. अपनी जिंदगी के अंतिम दिनों में उन्होंने यह पैगाम दिया कि-मैं चाहता हूं कि मेरी जिंदगी कभी आपके काम आ जाये.

First Published :

August 23, 2025, 15:39 IST

homebihar

रॉबिनहुड, शेर-ए-बिहार, बाहुबली, पॉलिटिशियन... काली पांडे एक पर किरदार अनेक

Read Full Article at Source