Last Updated:March 25, 2025, 16:44 IST
Delhi High Court News:दिल्ली हाई कोर्ट ने रेप केस रद्द करने की याचिका खारिज कर दी है. आरोपी ने कोर्ट में दलील दी थी कि लड़की मेरे प्यार में पागल थी, मेरा पास पैसे नहीं थे और हम दोनों की उम्र का अंतर था. इसके ...और पढ़ें

दिल्ली हाईकोर्ट ने रेप केस के आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी
हाइलाइट्स
रेप केस को रद्द करने की मांग करने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दियाआरोपी की दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए जज ने कड़ा रुख अपनाया.आरोपी ने कहा, लड़की ने उससे एकतरफा शादी की इच्छा रखी थी.Delhi : दिल्ली हाईकोर्ट ने एक रेप केस को रद्द करने की मांग करने वाले एक व्यक्ति की याचिका को खारिज कर दिया और उसकी दलीलों को सिरे से खारिज करते हुए कड़ा रुख अपनाया है. आरोपी ने कोर्ट में दावा किया कि पीड़िता उसके प्यार में पागल थी और उसने एकतरफा शादी की इच्छा रखी थी. उसने यह भी कहा कि शादी में कई रुकावटें थीं, जैसे उसकी आर्थिक तंगी और दोनों के बीच उम्र का अंतर, जिसके बारे में पीड़िता को पहले से पता था. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को ‘पितृसत्तात्मक’ और ‘कानूनी रूप से गलत’ करार देते हुए कहा कि यह सोच न केवल गलत है, बल्कि ‘महिला विरोधी’ भी है.
आरोपी की दलीलें और कोर्ट का जवाब
जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने 20 मार्च को यह फैसला सुनाया, जिसे बाद में जारी किया गया. कोर्ट ने कहा कि शादी का वादा करके किसी महिला को रिश्ते में लाना और फिर उस वादे से मुकर जाना ‘आसक्ति’ नहीं कहलाता. जस्टिस शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि यह तर्क न केवल कानूनी आधार से खाली है, बल्कि यह एक महिला विरोधी सोच को दर्शाता है, जो पीड़िता पर अनुचित बोझ डालता है और याचिकाकर्ता को उसकी जिम्मेदारी से मुक्त करने की कोशिश करता है.
क्या थी आरोपी की दलीलें
आरोपी ने अपनी याचिका में दावा किया कि पीड़िता को शादी में आने वाली मुश्किलों जैसे आर्थिक तंगी और परिवार के विरोध के बारे में पहले से पता था, क्योंकि वह उससे उम्र में बड़ी थी. उसने यह भी कहा कि पीड़िता उसकी तरफ ‘आसक्त’ थी और उसने खुद ही शादी की इच्छा जताई थी. लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. जस्टिस शर्मा ने कहा कि यह कहना कि एक महिला को शादी से जुड़ी मुश्किलों को पहले से देख लेना चाहिए, सिर्फ इसलिए क्योंकि वह अपने पार्टनर से उम्र में बड़ी है, यह एक पितृसत्तात्मक और कानूनी रूप से गलत सोच पर आधारित है.
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2021 में दर्ज एक FIR से शुरू हुआ, जिसमें एक महिला ने आरोपी पर धारा 376 (रेप) के तहत केस दर्ज किया था. महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि आरोपी ने शादी का वादा करके उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन बाद में उसने अपने वादे से मुकर गया. पुलिस ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि आरोपी के खिलाफ आरोप गंभीर और संगीन हैं. पुलिस ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद सामग्री से साफ है कि आरोपी ने झूठे वादे करके पीड़िता को रिश्ते में लाने के लिए प्रेरित किया.
कोर्ट का फैसला
कोर्ट ने अपनी नौ पेज की ऑर्डर में आरोपी की सभी दलीलों को खारिज कर दिया. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आरोपी ने स्पष्ट रूप से शादी का वादा किया था और पीड़िता ने उस वैध उम्मीद के आधार पर शारीरिक संबंध बनाए. कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में पीड़िता की भावनाओं को “आसक्ति” कहकर खारिज करना गलत है. नतीजतन, कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया और रेप केस को रद्द करने से इनकार कर दिया.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
March 25, 2025, 16:44 IST