Last Updated:March 05, 2025, 12:30 IST
चार दशकों से दोस्त-दुश्मन रहे लालू यादव और नीतीश कुमार के रिश्तों की चर्चा फिर लालू के एक कमेंट के बाद शुरू हो गई है. ये रिश्ते बहुत अजीब रहे हैं.

हाइलाइट्स
लालू ने नीतीश को आत्मकथा में छोटा भाई कहा.लालू और नीतीश के रिश्ते दोस्ती और दुश्मनी से भरे रहे.लालू ने नीतीश कुमार को ढुलमुल कहाबिहार की राजनीति पिछले तीन दशकों में दो ही चेहरों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. नीतीश कुमार और लालू प्रसाद. दोनों बिहार की सियासत में कभी दोस्त होते हैं तो कभी दुश्मन. एक जमाना था दोनों दोस्त थे. लालू का दावा है कि उन्होंने ही नीतीश को पहली बार मुख्यमंत्री बनाया. दोनों के रिश्तों की बातें इन दिनों लालू के इस दावे के बाद बिहार की राजनीति में फिर लोगों की जुबान पर हैं. कुछ पुरानी बातों को याद कर रहे हैं तो कुछ इस रिश्ते की अपने अंदाज में चुटकी ले रहे हैं.
लालू और नीतीश के बीच सियासी दोस्ती और दुश्मनी का लंबा सफर रहा है. दोनों एक दूसरे पर तीर चलाते तो तारीफ भी करते हैं. एक दूसरे के पारिवारिक आयोजनों में शामिल होते हैं. कुछ साल पहले लालू प्रसाद यादव की आत्मकथा “गोपालगंज से रायसीना ” प्रकाशित हुई. ये खासी चर्चित रही. खूब बिकी.
लालू ने आत्मकथा में बेबाकी से अपने सियासी सफर और रिश्तों का जिक्र किया है. लेकिन इस किताब में एक पूरा अध्याय तो बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ही है.
मेरा छोटा भाई नीतीश
लालू की आत्मकथा के अध्याय 11 का शीर्षक है “छोटा भाई नीतीश”. वो लिखते हैं, “नीतीश से मेरी पहली मुलाकात हमारे आंदोलन के दिनों में हुई थी. समाजवादी सरोकारों की लड़ाई में वह साथी कार्यकर्ता थे. उनसे हुई मुलाकात की मुझे बहुत याद नहीं है, क्योंकि तब वह इंजीनियरिंग कालेज के छात्र ही थे. मैं पूरी तरह राजनीतिक कार्यकर्ता बन चुका था. तब वह एक सामान्य और अनजान से व्यक्ति के रूप में नजर आए. मैं बिहार में समाजवादी आंदोलन का अग्रणी युवा चेहरा था.”
मैं इस मामले में नीतीश का ऋणी हूं
वो लिखते हैं, “मैं उनका इस मामले में ऋणी हूं कि जब कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद बिहार विधानसभा में मैने विपक्ष के नेता के रूप में अपना दावा पेश किया था तो उन्होंने मेरा समर्थन किया था. लेकिन समय के साथ वह बदल गए. वैचारिक तौर पर वो ढुलमुल हो गए. फिर जार्ज फर्नांडिस के खेमे में चले गए.”
” फिर खबरें आईं कि उनका अपने गुरु के साथ रिश्ता अच्छा नहीं रहा. बाद में उन्होंने भाजपा से गठजोड़ कर लिया. कई बरसों की साझीदारी के बाद उस पार्टी से भी किनारा कर लिया. इसके बाद उन्होंने हमारे साथ यानि राजद के साथ गठबंधन किया. हाल ही में उन्होंने गठबंधन तोड़ दिया. वह भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए में लौट गए.”
लालू ने आत्मकथा में लिखा उनकी पहली मुलाकात नीतीश कुमार से तब हुई जब वो इंजीनियरिंग कॉलेज में छात्र थे (फाइल फोटो)
तब नीतीश ने मुझको फोन किया
इस आत्मकथा में उन्होंने लिखा, “वर्ष 2014 का चुनाव जीतने के बाद भाजपा ने नीतीश के जद यू में तोड़फोड़ की, जिससे जून 2014 में हुए राज्यसभा के उपचुनावों में उनकी पार्टी के उम्मीदवारों पवन के वर्मा और गुलाम रसूल बलियावी के लिए मुश्किलें खड़ी हो गईं. उन्होंने मुझको फोन किया और अपने उम्मीदवारों की जितवाने के लिए अपनी पार्टी का समर्थन मांगा, राजद विधायकों ने वर्मा और बलियावी के पक्ष में मतदान किया, जिससे वो जीत गए.”
नीतीश और मोदी के संबंधों पर
ये बात कोई छिपी नहीं है कि वाजपेयी सरकार में रेल मंत्री रहते नीतीश एनडीए खेमे में तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सबसे बड़े प्रशंसक थे. नीतीश और मोदी अच्छे दोस्त बन गए. कुल मिलाकर मोदी के बचाव में वह आडवाणी जैसे लोगों के साथ ही थे और ये सुनिश्चित कराया कि वह मुख्यमंत्री बने रहें. मैं तो उनका मुख्य विरोधी था. नीतीश बिहार में मेरा कद कम करना चाहते थे-भले ही इसके लिए उन्हें सिद्धांत के मामले में भारी समझौते करने पड़े-ऐसे में उनसे ये उम्मीद करना बेकार था कि वह गुजरात की हिंसा के बारे में कुछ बोलेंगे. इसके अलावा 1999 में रेल मंत्री बनने के बाद नीतीश ने भाजपा के कट्टरवादियों से नाता जोड़ लिया था.
लालू प्रसाद यादव की जीवनी “गोपालगंज से रायसीना” (news18)
अदावत कहां तक पहुंच गई
वहीं पत्रकार और लेखक संकर्षण ठाकुर की किताब अकेला आदमी नीतीश कुमार की कहानी में जिक्र किया गया कि 1990 से पहले लालू और नीतीश कुमार के रिश्ते तल्ख नहीं हुआ करते थे. किताब कहती है कि जब लालू यादव पहली बार मुख्यमंत्री बने तो अपने वायदों से पीछे हटते नजर आए. नीतीश को ये बात नागवार गुजरी. दोनों में धीरे धीरे मतभेद बढ़ने लगे. इसी साल 1990 में केंद्र में वीपी सिंह की सरकार गिर गई तो केंद्रीय मंत्री रहे नीतीश कुमार की भी कुर्सी चली गई.
तब उन्होंने पटना का रुख किया. किताब कहती है कि वह पटना आकर स्टेट गेस्ट हाउस में रहना चाहते थे तो लालू ने इजाजत नहीं दी. तब उन्होंने पुनाई चौक स्थित सरकारी घर में रह रहे अपने इंजीनियर दोस्त अरुण कुमार में रहना शुरू किया. जब लालू को ये बात पता लगी तो उन्होंने ना केवल अरुण कुमार का तबादला पटना के बाहर कर दिया बल्कि सरकारी घर भी खाली करा लिया.
अब फिर नीतीश कुमार के पास पटना में कोई घर नहीं था. वह अब अपने बिजनेसमैन दोस्त विनय के यहां गए और रहे.
अभी तो मैं जवान हूं
उन्होंने अपनी किताब के उपसंहार का शीर्षक यही दिया है. उसमें उन्होंने शुरुआत में आडवाणी की रैली और बाबरी मस्जिद ध्वंस का जिक्र करते हुए लिखा, ये देश के लिए ठीक नहीं हुआ. फिर इसी में आगे लिखा, “मैं महाभारत भी पढ़ रहा हूं और भगवान कृष्ण के जीवन और उनकी शिक्षा को समझने की कोशिश कर रहा हूं. मैं भगवान कृष्ण के यदुवंशी गोत्र से आता हूं.”
लालू यादव की आत्मकथा गोपालगंज से रायसीना चर्चित आत्मकथाओं में रही है, जिसमें उन्होंने अपने जीवन और फलसफे का विस्तार से लिखा है
इससे मुझे ताकत मिलती है
आगे कहा, “भगवान कृष्ण के बारे में मुझे जो बात सबसे ज्यादा प्रेरित करती है, वो ये कि उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद असुरों और अत्याचारी राजा कंस का नाश किया था. उन्होंने बुराई का प्रतिनिधित्व करने वाले कौरवों को परास्त करने के लिए अच्छाई का प्रतिनिधित्व करने वाले पांडवों की अगुवाई की थी. मैं अंबेडकर और मंडेला के जीवन के बारे में भी पढ़ रहा हूं. जिन्होंने अपनी पूरी जिंदगी नस्लवाद और भेदभाव के खिलाफ संघर्ष करते हुए बहुत कष्ट सहे थे. अंबेडकर और मंडेला को जितना पढ़ता हूं, सामंतवाद और सांप्रदायिकता से लड़ने की मुझे और ताकत मिलती है.”
मैं तब लोगों की भावनाओं से अभिभूत हो जाता हूं
आत्मकथा की आखिरी लाइनों में वो लिखते हैं, मैं डॉक्टरों के बताए प्रिसक्रिप्शन के आधार पर दवाएं लेता हूं. लेकिन मुझे लोगों से मिले प्यार और लगाव से असली ताकत मिलती है. अस्पताल या जेल से बाहर आने पर जब मैं ये देखता हूं कि मुझे देखने और मुझसे मिलने के लिए हजारों लोग इंतजार कर रहे हैं, तो मैं ऊर्जा से भर जाता हूं. लोगों की भावनाओं से अभिभूत हो जाता हूं.
सबकुछ ईश्वर के हाथ में है
आत्मकथा का आखिरी पैरे में वो लिखते हैं, “जीवन ईश्वर के हाथ में है, वही तय करता है कि हमें कब तक जीना है और कब यहां से जाना है. मेरे जीवन का दर्शन है कि अपना कर्म करते रहो.”
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 05, 2025, 12:24 IST