लालू यादव के 'साहेब' का दांव चला, तो पॉलिटिक्स नहीं कर पाएंगे 'जज साहब'...

1 month ago

नई दिल्ली. आरजेडी कोटे से राज्यसभा सांसद बने अमरेंद्र धारी सिंह एक बार फिर से चर्चा में आ गए हैं. एडी सिंह का संसद के मौजूदा मानसून सत्र में दो प्राइवेट विधेयक ल‍िस्‍ट हुए हैं. पहला विधेयक, जजों को राजनीति में आने से रोकने के लिए और दूसरा वैवाहिक बलात्कार को अपराध के रूप में शामिल करने के लिए भारतीय न्याय संहिता में संशोधन का विधेयक शामिल है. आपको बता दें कि राज्यसभा के मौजूदा सत्र में इस बार कुल 23 प्राइवेट बिल को ल‍िस्‍ट किया गया है. इस सत्र में दो-दो प्राइवेट बिल लाने वाले एडी सिंह कौन हैं? आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से सिंह का रिश्ता कैसा है? सिंह साल 2020 में राज्यसभा सांसद बने और साल 2021 में ईडी ने क्यों गिरफ्तार कर लिया? और सिंह किस जाति से आते हैं और क्यों नाम भी कमाया और बदनाम भी हुए?

बता दें कि संसद के मानसून सत्र में राज्यसभ में निजी बिलों में न्यायाधीशों जैसे संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को रिटायरमेंट या वीआरएस लेकर राजनीतिक दलों में शामिल होने से रोकने, एआई, डीपफेक पर कानून बनाने से लेकर नागरिकता कानून में संशोधन जैसे कई प्राइवेट बिल लाए जाएंगे. खासकर, हाल के दिनों में जजों के राजनीति में आने से जुड़े कई विवाद सामने आने के बाद जजों से संबंधित एक निजी विधेयक भी है.

करोड़पति सांसद ने संसद में चला नया दांव
आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय से जुड़ा एक विवाद शुरू हो गया था. गंगोपाध्याय ने न्यायाधीश के पद से इस्तीफा दे दिया था और दो दिनों के भीतर ही बीजेपी में शामिल हो गए थे. इसके बाद एक और मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के पूर्व जज रोहित आर्य ने रिटायरमेंट के तीन महीने बाद ही बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली थी. जजों के राजनीतिक पार्टियों में शामिल होने पर हंगामा हुआ था. ऐसे में अब धारी इससे जुड़ा एक निजी बिल राज्यसभा में लाने जा रहे हैं.

आपको बता दें कि अमरेंद्र धारी सिंह साल 2020 में आरजेडी कोटे से राज्यसभा सांसद बने थे. आपको हैरानी होगी कि जब सिंह का नाम आरजेडी कोटे से आया था तो यह नाम सुनकर सब चौंक गए थे. क्योंकि, आरजेडी के अधिकांश नेताओं को भी पता नहीं था कि अमरेंद्र धारी सिंह कौन हैं? दरअसल, साल 2020 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के विरोध के बावजूद धारी को लालू यादव ने राज्यसभा भेजा था. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो लालू यादव धारी को ‘साहब’ के नाम से बुलाते हैं. साल 2020 में रांची जेल में बंद लालू यादव ने धारी का नाम फाइनल कर सबको चौंका दिया था.

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धारी को राज्यसभा भेजने के ऐलान के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि आरेजेडी मुस्लिमों और यादवों की पार्टी नहीं है. बल्कि सभी समाज को प्रतिनिधत्व देने वाली पार्टी है. लेकिन, साल 2021 को 2 जून की रात को अचानक ही ईडी ने धारी को दिल्ली स्थित उनके डिफेंस कॉलनी के घर से गिरफ्तार कर लिया. धारी को फर्टिलाइजर घोटाले में पैसों की हेराफेरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. कई महीने जेल में रहने के बाद धारी फिर से राजनीति में सक्रिय हो गए हैं.

अभी भी प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा उर्वरक घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग और 685 करोड़ रुपए की रिश्वत मामले में जांच चल रही है. सिंह अविवाहित हैं और करीब 237 करोड़ की चल-अचल संपत्ति के इस समय धारी के नाम है. पटना के रहने वाले एडी सिंह बिहार के बड़े कारोबारियों में से एक हैं. दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट सिंह का फर्टिलाइजर और केमिकल्स का कारोबार है. इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर में भी वह बड़ा दखल रखते हैं. उनका पूरा कारोबार दिल्ली से ही संचालित होता है.

ए डी सिंह इस वजह से चर्चा में रहते हैं
अमरेंद्र धारी सिंह का राजधानी के पाटलिपुत्र कॉलोनी में भी एक मकान है. पटना के पालीगंज के अंडखन गांव में उनके पास एक हजार बीघा जमीन है. बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद जब आनंद कुमार के सुपर -30 से अलग हुए थे, तो धारी की संस्था ने ही अभयनांद सुपर-30 को मदद दे रही थी. लेकिन जैसे ही साल 2020 में धारी का राज्यसभा के लिए उम्मीदवारी का ऐलान हुआ, अभयानंद ने धारी से रिश्ता तोड़ लिया. हालांकि, धारी के बारे में कहा जाता है कि वह जल्दी किसी के करीब नहीं आते हैं और जिसके करीब आते हैं उसको खूब मदद करते हैं.

FIRST PUBLISHED :

July 22, 2024, 15:34 IST

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