वह सूबेदार, जिसने पाक आर्मी को चटाई थी धूल...भागने पर मजबूर हो गया था दुश्मन

2 weeks ago

अंबाला. भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई एक ऐसी लड़ाई थी जिसमें पाकिस्तान के दो टुकड़े हुए और बंगलादेश की स्थापना हुई. वहीं इस युद्ध में पाकिस्तानी फौज को भारत की फौज के आगे घुटने टेकने पड़े थे. यह युद्ध भारतीय इतिहास में वीरता और रणनीति का अद्वितीय उदाहरण है. यह युद्ध बांग्लादेश की स्वतंत्रता के संघर्ष का समर्थन करते हुए लड़ा गया था. भारत की सैन्य ताकत और कूटनीतिक कौशल ने पाकिस्तान को पराजित किया. यह भारत की निर्णायक जीत और बांग्लादेश के जन्म का प्रतीक बना.

आज भी कई लोग हैं जो इस युद्ध के प्रत्यक्षदर्शी रहे. इन्हीं में से एक हैं सूबेदार सेवा सिंह. हरियाणा के अंबाला जिले के रहने वाले सेवा सिंह ने 1971 की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. इस योद्धा द्वारा 1971 की लड़ाई में अपने हाथों से पाकिस्तान द्वारा दागे गए पांच नई तकनीकी के विदेशी बम को डिफ्यूज किया गया था. इस साहस के लिए भारत सरकार द्वारा उन्हें शौर्य चक्र से नवाजा गया था.

पिता ब्रिटिश फौज में, दो बेटे भारतीय सेना में दे चुके हैं सेवाएं
सूबेदार सेवा सिंह का जन्म 1929 में हुआ था. भारतीय फौज में उन्होंने 28 साल अपनी सेवा दी है. वैसे तो फौज में सेवा करते हुए सूबेदार सेवा सिंह ने कई युद्ध लड़े, लेकिन 1971 के युद्ध में उन्होंने अपने हाथों से पांच नई तकनीकी के विदेशी बम को डिफ्यूज किए. इसके लिए उन्हें उस समय की भारत सरकार के द्वारा शौर्य चक्र से नवाजा गया था. सूबेदार सेवा सिंह के पिता भी ब्रिटिश फौज में अपनी भूमिका निभा चुके हैं और वहीं सूबेदार सेवा सिंह के दो बेटे भी भारतीय सेना में अपनी सेवा दे चुके हैं.

नई तकनीकि के बम को डिफ्यूज करना नहीं था आसान
लोकल 18 को ज्यादा जानकारी देते हुए सूबेदार सेवा सिंह के पुत्र बलविंदर सिंह ने बताया कि उनके पिता सूबेदार सेवा सिंह ने भारतीय सेना में 28 साल सेवा दी है. उनके परिवार में उनके दादा ब्रिटिश सेना में शामिल थे. उनके दो भाई भी भारतीय सेना में सेवा दे चुके हैं. उन्होंने बताया कि उनके पिता बहुत साहसी हैं. उन्होंने अपने जीवन में भारतीय सेना में रहते हुए बहुत सारे युद्ध लड़े. लेकिन 1971 में भारत-पाकिस्तान के बीच का युद्ध खास है. इस युद्ध में पिता जी द्वारा बहुत ही साहसी कार्य किया गया था. उस समय पाकिस्तान के द्वारा नई तकनीकी के विदेशी बम फिरोजपुर में दागे गए थे. इन्हें डिफ्यूज करना आसान नहीं था. पिता जी ने अपने पराक्रम के बल पर बिना डरे अपने हाथों से उन बॉम्ब को डिफ्यूज किया था.

फिलहाल आज के समय में सूबेदार सेवा सिंह की आयु 95 साल की हो गई है, लेकिन आज भी उनके दिल में भारतीय सेना के लिए अटूट प्यार देखने को मिलता है. आज भी वह अपने पुराने दिनों को याद करते हुए फौज की पुरानी यादों को अपने परिवार के से साझा करते हैं. उनके श्रेष्ठ कार्य पर पूरा देश सदैव गर्वित महसूस करता है.

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FIRST PUBLISHED :

December 6, 2024, 23:01 IST

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