वियतनाम में आज भी विशाल हिंदू मंदिर के अवशेष हैं, जहां पर भगवान शिव, विष्णु, गणेश और ब्रह्मा की खंडित मूर्तियां दिखती हैं. और प्रचुरता में दिखती हैं. ये मंदिर विशाल परिसर में फैले आज भी खड़े हैं, बस उनके खंडहर ही बाकी बचे हैं. जो ये बताते हैं कि एक जमाने में वियतनाम में हिंदू धर्म से प्रेरित संस्कृति फली फूली. हिंदू राजाओं ने राज किया. मंदिर खड़े किए. पहाड़ों के बीच एक विशाल मंदिर परिसर के अवशेष अब यूनेस्को हैरिटेज बन चुका है. नाम है माई सन. दुनियाभर के हजारों टूरिस्ट इसको देखने आते हैं और इसकी वास्तुकला को देखकर हैरत में पड़ जाते हैं. यहां एक ऐसा खास शिव लिंग भी मौजूद है, जो दुनिया में शायद ही कहीं हो.
वियतनाम का इतिहास बताता है कि वियतनाम में चौथी से 13 सदी तक हिंदू राजाओं ने राज किया. इसे चंपा साम्राज्य कहा जाता था. तब यहां हिंदू संस्कृति काफी समृद्धि थी. ये साम्राज्य हिंदू भारतीय देवी–देवताओं से गहराई से जुड़ा था. शिव की खूब पूजा होती थी. इस मंदिर परिसर में जगह जगह फैले शिव लिंग इसे बताते हैं.
हिंदू राजाओं ने चंपा साम्राज्य की स्थापना की
दरअसल पहाड़ों और नदी के आसपास हिंदू राजाओं ने चंपा साम्राज्य की स्थापना की. इस जगह यानि माई सन को अपनी धार्मिक और राजनीतिक राजधानी बनाया. इसे साम्राज्य को 192 ईस्वी के लगभग राजा भद्रवर्मन ने स्थापित किया. इन्हें चंपा राजा कहा जाता है. चंपा राजाओं ने भारतीय संस्कृति से गहरा प्रभाव ग्रहण किया.
ये राज खुद को भद्रवर्मन, हरिवर्मन, व विक्रमवर्मन जैसे संस्कृत नामों से पुकारते थे. संस्कृत यहां की भाषा थी. उन्होंने भारत के देवताओं, विशेषकर भगवान शिव, विष्णु और कृष्ण की पूजा को राज्यधर्म का रूप दिया.
वियतनाम में हिंदू मंदिर माई सन का प्रवेश द्वार, ये बहुत खूबसूरत प्रकृति के बीच है. सदियों पहले बनाए गए इन हिंदू मंदिरों के अब केवल अवशेष ही बचे हैं. इन्हें 1999 में यूनेस्को ने अपनी धरोहर सूची में शामिल कर लिया. (photo – sanjay srivastava)
भगवान शिव को समर्पित मंदिर परिसर
माई सन के ज्यादातर मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, जिन्हें भद्रेश्वर, अर्थात् “राजा का देवता,” कहा जाता था. यह परंपरा तमिलनाडु के दक्षिण भारतीय शैव मंदिरों और आंध्र प्रदेश की वास्तुकला से प्रेरित थी. मंदिरों में शिवलिंग, नंदी, और त्रिमूर्ति मूर्तियां मिलीं, जो ये जाहिर करती हैं कि वियतनाम में करीब दस सदी पहले तक हिंदू धर्म था और उसके धार्मिक रीतिरिवाज.
पहाड़ों के बीच बसे माई सन के शिव मंदिरों को इस तरह बनाया गया था कि सुबह की पहली किरणें पूर्व की ओर खुले मंदिर द्वारों से होकर शिवलिंग पर पड़ें.
मेरु पर्वत की तरह बने थे मंदिर
माई सन के मंदिरों का आकार और प्रतीकवाद भारतीय मेरु पर्वत का प्रतीक लगता है, मेरु पर्वत पर हिंदू देवताओं का पौराणिक निवास माना जाता है. मंदिर लाल ईंटों से बने हैं. इन शिखराकार मंदिरों में हिंदू मिथकों के दृश्य अंकित हैं, जिनमें विष्णु के अवतार, अप्सराएं और युद्ध के दृश्य दिखते हैं. इन मंदिरों में ईंटों को बिना किसी गारे के जोड़ा गया. उन्हें सजाने के लिए बलुए पत्थर पर बारीक नक्काशी की गई.
वियतनाम में प्रसिद्ध हिंदू मंदिर माई सन के अवशेष बताते हैं कि कभी यहां शानदार हिंदू मंदिर होता था. बगल में नदी बहती थी और पीछे रिंग के आकार का पहाड़. (photo – sanjay srivastava)
संस्कृत भाषा लिखी और बोली जाती थी
माई सन की खुदाई में मिली अनेक संस्कृत अभिलेख पट्टिकाएं ये बताती हैं कि चंपा राजाओं ने संस्कृत को धार्मिक और प्रशासनिक भाषा के रूप में अपनाया. इन अभिलेखों में हिंदू पूजा विधि, राजाओं की दानशीलता, और देवताओं के नामों का उल्लेख है – जैसे “महेश्वर”, “नारायण”, “लक्ष्मी”.
भारत ने संरक्षण में मदद की
माई सन केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि वियतनाम की भूमि पर भारत–वियतनाम के सांस्कृतिक मिलन का साक्ष्य भी है, जो ये जाहिर करता है कि सदियों पहले कैसे इस देश के भारत से रिश्ते थे. भारत से आए राजाओं ने यहां अपना साम्राज्य स्थापित किया. भारत से लगातार यहां पर व्यापार होता था. ये भी नजर आता है कि किस तरह भारत से हजारों मील दूर चंपा साम्राज्य ने भारतीय हिंदू विचार, वास्तु परंपरा और शिल्पकला को विकसित किया. भारत ने इस जगह के संरक्षण में वियतनाम की मदद की. इस हैरिटेज स्थल पर लगे बोर्ड भी ये जाहिर करते हैं.
इस मंदिर में कई हाथों वाले डांस करते हुए भगवान शिव की ये प्रतिमा पत्थरों पर उकेरी गई है. (photo – sanjay srivastava)
वियतनाम में कहां ये जगह
वियतनाम का ये माई सन हैरिटेज वहां के क्वांग नाम प्रांत के दूई फू कम्यून और दूई सूयेन जिले में है. ये एक विशाल खूबसूरत प्राकृतिक परिसर है. जिसे यूनेस्को ने 1999 में हैरिटेज टैग दिया. ये जगह पहाड़ों और जंगलों के बीच खूबसूरत घाटी में स्थित है. यहां तक जाने का सफर बहुत मनमोहक रहता है. ये घाटी करीब दो किलोमीटर चौड़ी है. दो पर्वत श्रृंखलाओं से घिरी हुई है, जिससे इसे प्राकृतिक रूप से एक पवित्र और सुरक्षित स्थल का रूप मिला. यह क्षेत्र
इसके चारों ओर रिंग की तरह के पहाड़ हैं और एक नदी थू बोन नदी बीच से बहती है, जिसके किनारे कभी ये खूबसूरत मंदिर परिसर था. वियतनाम के प्रसिद्ध टूरिस्ट शहर दा नांग से इसकी दूरी करीब 68-70 किलोमीटर है तो ऐतिहासिक शहर होई एन से दूरी करीब 40-45 किलोमीटर है. आराम से 1 से डेढ़ घंटे में यहां पहुंच जाते हैं.
वियतनाम के यूनेस्को हैरिटेज माई सन हिंदू मंदिर में जगह जगह शिवलिंग मिले. इस जगह एक खास शिवलिंग भी है, जिस पर शिव का चेहरा शिवलिंग से निकला हुआ है. (photo – sanjay srivastava)
युद्ध से इस जगह को नुकसान हुआ
इस स्थल को कई युद्धों में भारी नुकसान हुआ. खासकर वियतनाम युद्ध (1955–1975) के दौरान अमेरिकी बमबारी से मंदिर परिसर के अंदर के कई मंदिर नष्ट हो गए. भारत की आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने यहां के कई मंदिर समूहों के संरक्षण का काम पूरा किया. भारत ने इसके पुर्ननिर्माण, संरक्षण और रखरखाव के लिए 4.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की आर्थिक सहायता दी है.
कैसे खत्म हुआ वियतनाम का ये हिंदू साम्राज्य
ये जगह प्राचीन हिंदू चंपा साम्राज्य का धार्मिक केंद्र थी, जो भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म पर आधारित थी. 10वीं से 19वीं शताब्दी के बीच चंपा पर वियतनामी साम्राज्य देई वियत ने धीरे-धीरे नियंत्रण कर लिया, जिससे चंपा जातीय समूह और उनकी सांस्कृतिक पहचान हाशिये पर चली गई.
यूनेस्को हैरिटेज की इस मंदिर के संरक्षण के काम में भारत ने भी अपनी ओर से पूरी मदद की . (photo – sanjay srivastava)
चूंकि इस पूरे एरिया में अमेरिकी वायुसेना ने काफी बम गिराए थे, लिहाजा उन बम अवशेषों के निपटान का काम अब भी जारी है. नदी बगल में होने से बाढ़, नमी और क्षरण भी संरक्षण के लिए चुनौती बने रहते हैं.
हजारों पर्यटक आते हैं हर साल
माई सन हैरिटेज साइट में सालाना 40,000 से 50,000 पर्यटक यहां आते हैं. हालांकि ये संख्या अपेक्षाकृत कम है लेकिन ये धीरे धीरे बढ़ रही है. पर्यटक मुख्य रूप से मध्य वियतनाम की प्राचीन चंपा संस्कृति और हिंदू मंदिर वास्तुकला का अनुभव करने आते हैं.
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