Last Updated:July 16, 2025, 12:32 IST
Space Mission: भारत ने शुभांशु शुक्ला को एक्सिओम-4 मिशन पर भेजने में 550 करोड़ रुपये खर्च किए. लेकिन इससे कई फायदे मिले. इसमें गगनयान मिशन की तैयारी, तकनीकी सहयोग और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा शामिल हैं.

शुभांशु शुक्ला का यह अनुभव भारत के अपने मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
हाइलाइट्स
शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत ISS की यात्रा कीइस मिशन पर भारत ने लगभग 550 करोड़ रुपये खर्च किएशुभांशु के मिशन से गगनयान मिशन की तैयारी में मदद मिलेगीSpace Mission: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा की है. यह मिशन नासा और स्पेसएक्स के सहयोग से हुआ. इस मिशन में शुभांशु शुक्ला का शामिल होना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है. इससे देश को कई बड़े फायदे हो सकते हैं. शुभांशु शुक्ला की यात्रा का खर्च विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार लगभग 500 से 550 करोड़ रुपये है. यह खर्च भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा वहन किया गया था.
कितने करोड़ रुपये हुए खर्च
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसरो ने यह राशि ग्रुप कैप्टन शुक्ला के प्रशिक्षण, स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में उनकी सीट और इस मिशन के दौरान किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए खर्च की है. Axiom-4 मिशन एक निजी मानव अंतरिक्ष उड़ान थी जिसे अमेरिकी कंपनी एक्सिओम स्पेस ने स्पेसएक्स के साथ मिलकर संचालित किया. इसमें अंतरिक्ष यात्रियों की सीटें अन्य देशों और निजी व्यक्तियों को बेची जाती हैं.
ये भी पढ़ें- क्यों है सावन में मीट-मछली खाने के साथ शराब पीने पर पाबंदी, जानें वैज्ञानिक और धार्मिक कारण
गगनयान मिशन की तैयारी
भारत के लिए यह खर्च एक निवेश के रूप में देखा जा रहा है. शुभांशु शुक्ला का यह अनुभव भारत के अपने मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने शून्य गुरुत्वाकर्षण में रहने और काम करने का जो व्यावहारिक अनुभव हासिल किया है. वह गगनयान मिशन के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को प्रशिक्षित करने और भारत के स्वदेशी लाइफ सपोर्ट सिस्टम तथा अन्य तकनीकों को विकसित करने में मदद करेगा. यह मिशन भारत के लिए अमेरिका की नासा और निजी कंपनी स्पेसएक्स के साथ सहयोग करने का एक अनूठा अवसर था. जिससे भारत ने वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में अपनी प्रतिष्ठा बढ़ाई.
ये भी पढ़ें- क्या संस्कृत भाषा पर मंडरा रहा विलुप्त होने का खतरा? सोशल मीडिया के दावे में कितना दम
तकनीकी और वैज्ञानिक सहयोग
इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला ने कई वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दिया. जिनमें अंतरिक्ष में खेती और जैव चिकित्सा अनुसंधान शामिल हैं. नासा और स्पेसएक्स के साथ मिलकर काम करने से भारत को उन तकनीकों और प्रणालियों तक पहुंच मिली है, जो मानव को अंतरिक्ष में सुरक्षित रखने के लिए जरूरी हैं. इस सहयोग से भारत भविष्य में भी अंतरिक्ष चिकित्सा, लाइफ सपोर्ट सिस्टम और अंतरिक्ष यान के डिजाइन जैसी तकनीकों में महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त कर सकता है.
ये भी पढ़ें- समुद्र में ही क्यों उतारते हैं अंतरिक्ष से वापस आने वाले यान, जानिए धरती पर नहीं उतारने की वजह
अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठा बढ़ी
केवल कुछ ही देश मानव को अंतरिक्ष में भेज पाए हैं. शुभांशु शुक्ला का एक्सिओम-4 मिशन में शामिल होना भारत को वैश्विक अंतरिक्ष समुदाय में एक प्रमुख भागीदार के रूप में स्थापित करता है. यह अंतरिक्ष कूटनीतिको मजबूत करता है. भारत के लिए नासा जैसी अग्रणी एजेंसियों के साथ भविष्य के बड़े मिशनों जैसे कि चंद्रमा और मंगल मिशन में सहयोग के द्वार खोलता है. नासा और स्पेसएक्स के साथ इस साझेदारी ने भारत को विश्व मंच पर बतौर भरोसेमंद और तकनीकी रूप से सक्षम साझेदार के रूप में पेश किया है. इससे अंतरराष्ट्रीय स्पेस मिशन्स में भारत की भागीदारी की संभावनाएं बढ़ी हैं.
ये भी पढ़ें- Single Malt Whisky: कैसे बनती सिंगल माल्ट, ये स्कॉच और व्हिस्की से किस तरह अलग
स्वदेशी अंतरिक्ष इकोसिस्टम को बढ़ावा
शुभांशु की यात्रा ने कई भारतीय स्टार्टअप्स और विश्वविद्यालयों को अंतरिक्ष अनुसंधान में भागीदारी का मौका दिया. इससे देश में मजबूत स्पेस-टेक इकोसिस्टम और इनोवेशन का रास्ता खुला है. इस मिशन ने भारतीय अंतरिक्ष स्टार्टअप्स और निजी कंपनियों के लिए नई संभावनाएं पैदा की हैं. इस मिशन के लिए भारत ने कुछ स्वदेशी पेलोड और विकसित किए थे. जिससे भारत के निजी अंतरिक्ष क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ काम करने का अवसर मिला. यह अनुभव भारत में एक मजबूत अंतरिक्ष-तकनीक उद्योग को बढ़ावा देगा.
ये भी पढ़ें- रूस में लोग पी रहे हैं जमकर वोदका, तो देश में क्यों घट गया शराब का प्रोडक्शन… 16% की आई गिरावट
अगली पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक
एक भारतीय को अंतरिक्ष में जाते देखना पूरे देश के युवाओं और छात्रों के लिए एक बड़ी प्रेरणा का स्रोत है. शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष से भारतीय छात्रों के साथ बातचीत की और साइंस और टेक्नॉलाजी में करियर बनाने के लिए उन्हें प्रेरित किया. यह मिशन भारत में स्टेम (साइंस, टेक्नॉलाजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स) शिक्षा को बढ़ावा देने और एक नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों को तैयार करने में मदद करेगा.
Location :
New Delhi,Delhi