Last Updated:September 04, 2025, 21:55 IST
SRS 2023 रिपोर्ट के अनुसार भारत में शिशु मृत्यु दर 1971 के 129 से घटकर अब साल 2023 में 25 रह गई. केरल ने सिंगल डिजिट IMR हासिल किया, बिहार में सबसे ज्यादा जन्म दर दर्ज हुई.

नई दिल्ली. भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेजी से प्रगति कर रहा है. ऐसा दावा हम नहीं कर रहे हैं बल्कि सरकारी डाटा से इसकी पुष्टि होती है. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) 2023 रिपोर्ट ने जो आंकड़े सामने रखे हैं, वे बताते हैं कि देश ने शिशु मृत्यु दर यानी इंफेंट मोर्टेलिटी रेट के मोर्चे पर ऐतिहासिक सफलता पाई है. सोचिए, साल 1971 में जहां हर 1,000 जन्मों पर 129 बच्चे एक साल की उम्र पूरी करने से पहले ही दम तोड़ देते थे, वही आंकड़ा अब घटकर 25 रह गया है. यानी पांच दशकों में करीब 80% की गिरावट.
किस राज्य में सबसे कम शिशु मृत्यु दर?
इतना ही नहीं, साल 2013 से 2023 के बीच महज दस साल में इसमें 37.5% की कमी आई है. यह किसी भी लिहाज से साधारण उपलब्धि नहीं. फिर भी तस्वीर पूरे देश में समान नहीं है. मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश अब भी सबसे खराब स्थिति में हैं, जहां IMR 37 है. दूसरी तरफ मणिपुर सिर्फ 3 और केरल 5 के साथ आदर्श उदाहरण बनकर उभरे हैं. केरल देश का इकलौता बड़ा राज्य है जिसने सिंगल डिजिट IMR हासिल किया है.
गार्वों और शहरों का कैसा हाल?
रिपोर्ट की सबसे दिलचस्प बात यह है कि ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में सुधार दर्ज हुआ है. गांवों में यह दर 44 से गिरकर 28 हो गई, जबकि शहरों में 27 से 18. यानी गांव-शहर के बीच की खाई धीरे-धीरे कम हो रही है. यही नहीं, जन्म और मृत्यु दर में भी उल्लेखनीय गिरावट आई है. जन्म दर 1971 के 36.9 से घटकर 18.4 पर आ गई, जबकि मृत्यु दर 14.9 से गिरकर 6.4 पर.
सबसे ज्यादा जन्मदर कहां?
बिहार ने सबसे ज्यादा जन्म दर (25.8) दर्ज की, वहीं अंडमान-निकोबार सबसे नीचे (10.1) रहा. इन आंकड़ों का संदेश साफ है—भारत की स्वास्थ्य यात्रा अब नए मुकाम छू रही है. लेकिन सवाल यह भी है कि क्या देश उन राज्यों को भी आगे ला पाएगा, जो अब भी पीछे छूटे हुए हैं? अगर हां, तो भारत की सेहत की क्रांति पूरी हो जाएगी.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
September 04, 2025, 21:55 IST