सरकारी सहित 6 नौकरियां छोड़ीं..अब 39 की उम्र में मैनेजर ने पूरा किया सपना

7 hours ago

Agency:News18 Himachal Pradesh

Last Updated:January 22, 2025, 11:29 IST

Shimla News: हिमाचल प्रदेश के युवक ने 5 साल में 850 घंटे में 10 हजार किलोमीटर तक दौड़ लगाई है. वह अब तक छोटी-बड़ी 50 से ज्यादा मैराथन दौड़ चुके हैं. सन्नी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मैराथन में हिस्सा लेना हैं.

सरकारी सहित 6 नौकरियां छोड़ीं..अब 39 की उम्र में मैनेजर ने पूरा किया सपना

हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग में मैनेजर के पद पर तैनात सन्नी ग्रैक ने बचपन में मैराथन दौड़ने का सपना देखा था.

हाइलाइट्स

सन्नी ग्रैक ने 6 नौकरियां छोड़कर मैराथन का सपना पूरा किया.5 साल में 850 घंटे में 10 हजार किलोमीटर दौड़े सन्नी.सन्नी का लक्ष्य अब अंतर्राष्ट्रीय मैराथन में भाग लेना है.

शिमला. हर किसी का बचपन में कोई न कोई सपना होता है, लेकिन बड़े होने पर हालात ऐसे बन जाते हैं कि बहुत कम लोग ही अपने सपने पूरे कर पाते हैं. हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटगढ़ के थानाधार क्षेत्र के रहने वाले 39 वर्षीय सन्नी ग्रैक के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ. लेकिन उन्होंने अपने सपने को नहीं छोड़ा और कड़ी मेहनत से उसे पूरा किया.

वर्तमान में हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग में मैनेजर के पद पर तैनात सन्नी ग्रैक ने बचपन में मैराथन दौड़ने का सपना देखा था. लेकिन पढ़ाई, पारिवारिक दबाव और सरकारी नौकरी की चाहत बार-बार रोड़ा बनती रही. सन्नी ने अपने सपने को नहीं छोड़ा. उन्होंने 3 प्राइवेट और 3 सरकारी नौकरियां छोड़ीं और कड़ी मेहनत की. 35 की उम्र पार करने के बाद उन्होंने अपने सपने को पूरा किया. सन्नी ग्रैक अब तक भारत की सभी प्रमुख मैराथन में हिस्सा ले चुके हैं. पिछले 5 सालों में, अगर प्रैक्टिस के समय को भी जोड़ दें, तो सन्नी ग्रैक 850 घंटे में 10 हजार किलोमीटर दौड़ चुके हैं. इसका बाकायदा रिकॉर्ड रखा गया है. सन्नी ने इसके लिए एक्सल शीट भी बनाई है.

सन्नी ग्रैक ने News 18 को बताया कि वे अब तक 50 से ज्यादा प्रमुख मैराथन में दौड़ चुके हैं और अच्छा स्थान भी हासिल किया है. सन्नी ने हिमाचल के अलावा चंडीगढ़, दिल्ली, बेंगलुरु, मुंबई, कोलकाता और लद्दाख में आयोजित मैराथन में भी हिस्सा लिया है. अब उनका लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मैराथन में भाग लेना है, जिसके लिए वे तैयारियां कर रहे हैं. उन्होंने मुंबई की टाटा मैराथन, वेदांता दिल्ली हाफ मैराथन, टाटा स्टील की 24 किलोमीटर की कोलकाता मैराथन और बेंगलुरु की टीसीएस मैराथन जैसी प्रमुख रेस में हिस्सा लिया है.

सन्नी ग्रैक ने बताया कि 2007 में शिमला के कोटशेरा कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने गुड़गांव में दो जगहों पर प्राइवेट नौकरी की. फिर शिमला आकर एमबीए किया और चंडीगढ़ में एक प्राइवेट नौकरी की. इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक में नौकरी की और फिर पंजाब एंड सिंध बैंक में पीओ के पद पर नौकरी की. लेकिन पसंद की नौकरी नहीं मिलने के कारण उन्होंने इसे भी छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने सरकारी नौकरी के लिए तैयारी शुरू की. पहली सरकारी नौकरी नागरिक आपूर्ति विभाग में लगी, लेकिन कुछ समय बाद उसे भी छोड़ दिया. अब वे 2016 से उद्योग विभाग में मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं.

सन्नी ग्रैक ने बताया कि 2007 में शिमला के कोटशेरा कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने गुड़गांव में दो जगहों पर प्राइवेट नौकरी की.

उन्होंने बताया कि कुर्सी पर बैठने की नौकरी और मॉर्डर्न लाइफस्टाइल की वजह से सेहत पर बुरा असर पड़ रहा था और वजन भी बढ़ रहा था. इसके बाद उन्होंने सोचा कि सेहत में सुधार के लिए दौड़ना जरूरी है, और यह तो उनका सपना भी था. फिर ठान लिया, लेकिन जब पहले दिन शुरुआत की तो एक किलोमीटर भी दौड़ नहीं पाए. पर हिम्मत नहीं हारी. उसके बाद लक्ष्य निर्धारित किया, कड़ी मेहनत की और आज उसका परिणाम सामने है.

दौड़ने का जैसे जुनून सवार

सन्नी बताते हैं कि दौड़ने के साथ-साथ नियमित व्यायाम करने से एक साल के भीतर ही न केवल स्वास्थ्य में सुधार हुआ बल्कि व्यक्तित्व में भी निखार आ गया. उसके बाद तो दौड़ने का जैसे जुनून सवार हो गया. जुनून ऐसा है कि कई बार छुट्टी लेकर भी दौड़ने चले जाते थे. सन्नी का कहना है कि सरकारी नौकरी में होने के कारण प्राथमिकता नौकरी ही रहती है, लेकिन अपना सपना पूरा करना है तो अपने प्रमुख दायित्व के साथ अतिरिक्त समय निकाल ही लेते हैं.

39 की उम्र पार करने के बाद उन्होंने अपने सपने को पूरा किया.

उन्होंने बताया कि एक बार शिमला में 26 जनवरी के कार्यक्रम में उनकी ड्यूटी लगी थी, लेकिन 25 जनवरी को मुंबई में मैराथन थी. अब ड्यूटी और मैराथन में से किसी एक को चुनने की बात आ गई. फिर सन्नी ने प्लान किया कि दोनों को पूरा करना है. सन्नी शनिवार सुबह शिमला से ड्राइव करके चंडीगढ़ पहुंचे और वहां से फ्लाइट लेकर मुंबई पहुंचे. रविवार को मुंबई में मैराथन में हिस्सा लिया और फिर मैराथन के बाद वापस फ्लाइट लेकर चंडीगढ़ पहुंचे और वहां से ड्राइव करके देर रात शिमला पहुंचे और सोमवार को 26 जनवरी की ड्यूटी पूरी की.

सन्नी ने बताया कि मैराथन में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानक होते हैं, उन्हें पूरा करने के लिए काफी वक्त लगा. सन्नी की फुल मैराथन में टाइमिंग 4 मिनट 46 सेकंड प्रति किलोमीटर और हाफ मैराथन में 4 मिनट 8 सेकंड है. उन्होंने बताया कि सबसे कठिन मैराथन लद्दाख में थी, समुद्रतल से हजारों किलोमीटर की ऊंचाई पर जहां चलना भी मुश्किल होता है, वहां पर 42 किलोमीटर की मैराथन को पूरा किया और नौवां स्थान हासिल किया. इसमें नॉन लद्दाखी में तीसरा स्थान प्राप्त किया.

सन्नी का कहना है कि आपका शरीर ही आपका भगवान है.

स्वास्थ्य के साथ समझौता न हो: सन्नी

सन्नी का कहना है कि आपका शरीर ही आपका भगवान है, इसका ख्याल भी उसी तरह रखना चाहिए जिस तरह आप अपने भगवान का ख्याल रखते हैं. स्वास्थ्य के साथ समझौता न हो, इसके लिए दौड़ना सबसे अच्छा अभ्यास है. हर असफलता के लिए बहाना होता है, लेकिन यह आपको देखना है कि आपको बहाना बनाना है या सफलता के लिए काम करना है. वर्तमान में युवा पीढ़ी नशे से लेकर कई तरह की चुनौतियों से जूझ रही है, ऐसे में खेल गतिविधियों में शामिल होना जरूरी है. अगर आप कोई खेल नहीं खेल सकते हैं, तो कम से कम दौड़ तो सकते ही हैं. उन्होंने कहा कि अपना सपना पूरा करने के लिए कठिनाइयों को पार करना जरूरी होता है. दृढ़ निश्चय के साथ जब आप इसे पार कर जाते हैं, तो आपका व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ व्यावसायिक और सामाजिक जीवन भी निखर जाता है.

Location :

Shimla,Shimla,Himachal Pradesh

First Published :

January 22, 2025, 11:21 IST

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