सौर ऊर्जा से कैसे बनेगा हाइड्रोजन? इन छात्रों ने खोजी अनोखी तकनीक

19 hours ago

अहमदाबाद: भारत सरकार ने वैश्विक तापमान वृद्धि (global temperature rise) से होने वाले परिवर्तनों से निपटने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन प्रोजेक्ट मिशन लॉन्च किया है. इस मिशन के तहत, अहमदाबाद की नर्मदा विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन के लिए एक विशेष हाइड्रो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है. इस हाइड्रो प्रोजेक्ट को i-Hub गुजरात से 10 लाख रुपये का ग्रांट भी मिला है.

लोकल 18 से बात करते हुए टीम लीडर जयवीरसिंह अटोडरिया ने बताया कि वह केमिकल इंजीनियरिंग कर रहे हैं. भारतीय सरकार का 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य है. फिर उन्होंने हाइड्रोजन उत्पन्न करने पर शोध करना शुरू किया और विभिन्न प्रयोग किए. अंत में उन्होंने और उनकी टीम ने HydrOM प्रोजेक्ट तैयार किया, जो 10 kW उत्पादन कर सकता है. HydrOM प्रोजेक्ट भारत का पहला स्केलेबल, मेम्ब्रेनलेस ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्रणाली है, जो नवीकरणीय ऊर्जा से संचालित होती है.

उन्होंने सोलर ऊर्जा को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदलने और रिएक्टर की मदद से इलेक्ट्रिक ऊर्जा का उपयोग कर हाइड्रोजन उत्पन्न करने की तकनीक खोजी. इस प्रोजेक्ट के लिए, उन्होंने सोलर पीवी पैनल, डी.सी. ऐमीटर, रिएक्टर, क्रोकोडाइल क्लिप, मल्टीमीटर, बबलिंग बॉटल, टॉडलर बैग आदि का उपयोग किया. इनमें सोलर पैनल के माध्यम से सोलर ऊर्जा को इलेक्ट्रिक ऊर्जा में बदला जाता है. साथ ही डी.सी. ऐमीटर और मल्टीमीटर इलेक्ट्रिक पावर को नियंत्रित करने का काम करते हैं.

जब रिएक्टर को इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी से भरा जाता है, तो उसमें मल्टी-मेटल कोटेड इलेक्ट्रोड डाला जाता है. इसके अंत में एक इलेक्ट्रिक वायर जुड़ा होता है. जब पावर सप्लाई चालू होती है, तो यह इलेक्ट्रोड मेटल इलेक्ट्रोलाइज्ड पानी के साथ प्रतिक्रिया करता है और पानी में मौजूद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को मुक्त करता है. यह मुक्त हाइड्रोजन और ऑक्सीजन टेडलर बैग में जमा हो जाते हैं. इस प्रकार, इस सिस्टम ने H₂ उपभोग को 4 kWh/Nm³ से घटाकर उद्योग के लिए एक नया मापदंड स्थापित किया है.

प्रोजेक्ट को शुरू करना आसान नहीं था
HydrOM प्रोजेक्ट विशेष रूप से स्टील उत्पादन, अमोनिया उत्पादन, मोबिलिटी और सिटी गैस वितरण जैसी इंडस्ट्रीज के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है. साथ ही, यह सिस्टम सोलर और पवन जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों (Renewable energy sources) के साथ सहजता से एकीकृत होने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो भारत की ऊर्जा स्वतंत्रता (Energy Independence) में योगदान करता है और आयातित जीवाश्म ईंधन (Imported fossil fuels) और महंगी तकनीकों पर निर्भरता को कम करता है. इस प्रोजेक्ट को शुरू करना उनके लिए आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने बहुत समय शोध, डिजाइन और प्रैक्टिकल में बिताया.

हर कदम ने उन्हें मूल्यवान पाठ पढ़ाया. अंत में, विश्वविद्यालय और उनके मेंटर्स के समर्थन से उन्होंने एक समाधान तैयार किया जो भारत के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों (clean energy goals) में योगदान कर सकता है. नर्मदा विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा विकसित यह अत्याधुनिक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन प्रोजेक्ट i-Hub गुजरात से 10 लाख रुपये का ग्रांट प्राप्त कर चुका है, जो गुजरात सरकार द्वारा समर्थित एक इनोवेशन और इन्क्यूबेशन सेंटर है, जो युवा शोधकर्ताओं के बीच उद्यमिता और तकनीकी विकास को बढ़ावा देता है.

i-Hub गुजरात से मिलने वाला यह ग्रांट टीम को उनके पायलट-स्केल विकास को आगे बढ़ाने और सिस्टम को व्यावसायिक बनाने के लिए मदद करेगा. टीम का लक्ष्य ऊर्जा दक्षता (energy efficiency) और इलेक्ट्रोड प्रदर्शन (Electrode Performance) में सुधार पर ध्यान केंद्रित करके भारत को वैश्विक ग्रीन हाइड्रोजन बाजार में नेता के रूप में स्थापित करना है.

अब झट से मिलेगा सड़क हादसों के पीड़ितों को मुआवजा! जानिए इस नई पहल को और कैसे मिलेगा फायदा

10 लाख रुपये का ग्रांट भी मिला
नर्मदा विश्वविद्यालय के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के फैकल्टी डॉ. जयेश रुपरेलिया ने बताया कि HydrOM प्रोजेक्ट जयवीरसिंह अटोडरिया, मानव अग्रवाल और अंश सिंह द्वारा तैयार किया गया है. इसके लिए उन्हें नर्मदा विश्वविद्यालय के आइडिया लैब से काफी समर्थन मिला. साथ ही, उन्हें इस प्रोजेक्ट के लिए 85,000 रुपये की शुरुआती राशि दी गई. साथ ही, i-Hub गुजरात से 10 लाख रुपये का ग्रांट भी मिला है, जिससे उन्होंने एक लैब-स्केल प्रोटोटाइप विकसित किया और अंततः इसे सफल 10 kW मॉडल में बढ़ाया. छात्रों की यात्रा उनके अंडरग्रेजुएट अध्ययन के दौरान शुरू हुई थी, जब उन्होंने ग्रीन हाइड्रोजन को एक स्थायी ऊर्जा समाधान (Sustainable Energy Solutions) के रूप में पहचाना था. भारत के राष्ट्रीय ग्रीन हाइड्रोजन मिशन और नई और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) के 2030 तक 5 मिलियन मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लक्ष्य से प्रेरित होकर, टीम ने स्वदेशी इलेक्ट्रोलाइज़र सिस्टम विकसित करने के लिए भी कड़ी मेहनत की.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

December 24, 2024, 23:05 IST

Read Full Article at Source