Last Updated:June 30, 2025, 13:35 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने बोधगया मंदिर कानून 1949 से जुड़े मामले में सुनवाई से इनकार कर याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा. याचिका में महाबोधि महाविहार का प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग...और पढ़ें

सुप्रीम कोर्ट ने बोधगया मंदिर मामले में सुनवाई से किया इनकार, याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने की सलाह
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार के बोधगया मंदिर कानून 1949 से जुड़े एक अहम मामले में सुनवाई से इनकार कर दिया. इस याचिका में महाबोधि महाविहार को मुक्त करने और इसका प्रबंधन बौद्ध समुदाय को सौंपने की मांग की गई थी. साथ ही, बोधगया मंदिर कानून 1949 में संशोधन की भी मांग थी. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पटना हाईकोर्ट जाने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एमएम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘हम इस मामले में सुनवाई नहीं कर सकते. यह याचिका अनुच्छेद 32 के तहत सुनवाई योग्य नहीं है. हम परमादेश कैसे जारी कर सकते हैं? कृपया हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएं.’ कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह के मामले में हाईकोर्ट ही उचित मंच है. याचिकाकर्ता को अपनी मांगों के लिए पटना हाईकोर्ट में अपील करने की सलाह दी गई.
याचिका में क्या मांग?
याचिका में बौद्धों की धार्मिक आस्था और अधिकारों का हवाला देते हुए महाबोधि महाविहार के प्रबंधन को बौद्ध समुदाय के हवाले करने की मांग की गई थी. महाबोधि महाविहार बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है. यह यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. यह वही स्थान है जहां भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. वर्तमान में बोधगया मंदिर का प्रबंधन बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) के तहत होता है, जिसमें हिंदू और बौद्ध सदस्य शामिल हैं. याचिकाकर्ता ने 1949 के कानून में संशोधन की मांग करते हुए इसे पूरी तरह बौद्ध समुदाय के नियंत्रण में देने की वकालत की थी.
क्यों खास है यह?
यह मामला बौद्ध समुदाय के लिए विशेष महत्व रखता है, क्योंकि महाविहार को लेकर प्रबंधन और नियंत्रण का मुद्दा लंबे समय से चर्चा में रहा है. याचिकाकर्ता का तर्क था कि बौद्धों की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हुए मंदिर का प्रबंधन उनके हाथों में होना चाहिए. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को क्षेत्रीय हाईकोर्ट के दायरे में माना और याचिका खारिज कर दी. पटना हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई अब अहम होगी, क्योंकि यह बौद्ध समुदाय की मांगों और मंदिर प्रबंधन की संरचना पर असर डाल सकता है.
Shankar Pandit has more than 10 years of experience in journalism. Before News18 (Network18 Group), he had worked with Hindustan times (Live Hindustan), NDTV, India News Aand Scoop Whoop. Currently he handle ho...और पढ़ें
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