हाईजैक के बाद क्यों IC 814 प्लेन के किए हजारों-लाखों टुकड़े, मिटाया नामोनिशां

1 week ago

हाइलाइट्स

IC-814 को 26 साल की उम्र में ही कर दिया गया रिटायर 19 साल तक ये विमान बहुत शानदार उड़ा लेकिन हाईजैक के बाद थक गया तो उनके हर पुर्जे और मशीन को अलग करके टुकड़े टुकड़े किए जाते हैं

आईसी-814 विमान दिसंबर 1999 में हाईजैक हुआ. उसके बाद ये जांच के लिए कुछ समय के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़ा रहा. तमाम जांच इसके अंदर-बाहर होती रही. ये उड़ान पर तो लौटा लेकिन कुछ समय के लिए. फिर इसे मुंबई में दिसंबर 2003 में टुकड़ों टुकड़ों में तोड़कर इसका नामोनिशान ही मिटा दिया गया. ये हमेशा हमेशा के लिए दुनिया से विदा हो गया.

पहले जान लें कि ये विमान क्या था. कितने दिनों तक भारत से लेकर नेपाल के आसमान तक में उड़ता रहा. एयरबस नाम की कंपनी ने इसे फ्रांस में बनाया. उसके बाद नवंबर 1976 में ये मुंबई शहर पहुंचा था. इसके बाद इसकी रजिस्ट्री हुई. रजिस्ट्री में इसे VT-EPW नंबर दिया गया. भारत में आकर यहां की किसी भी एय़रलाइंस कंपनी की ओर से उड़ाए जाने वाले हर प्लेन का रजिस्ट्रेशन केंद्र सरकार ही करती है.

इंडियन एयरलाइंस ने 1975 में ही एयरबस को आर्डर देकर 03 अलग अलग एय़रबस विमानों के लिए ऑर्डर दिये थे. ये विमान भारत को बनकर मिलने में पूरे एक साल लगे थे. आईसी-814 फ्लाइट सर्विस को जो विमान उड़ाता था, वो Airbus A300B2 मॉडल का था. इसे तब दुनिया के सबसे बड़े विमानों में गिना जाता था. इसकी यात्री क्षमता 277 यात्रियों की थी.

माना जाता है कि हाईजैक के दौरान कंधार में एक हफ्ते खड़े रहने और फिर दिल्ली में जांच के दौरान एक महीने से ज्यादा खड़े होने से विमान की फिटनेस पर गंभीर असर पड़ा. (NEWS18)

ये तब भारत को मिला सबसे बेहतरीन विमान था
ये विमान फ्रांस के ब्लागनेक शहर में बनाया गया. वहां से इसे बांबे पहुंचाया गया. ये तब भारत को मिला सबसे बेहतरीन विमान था. शुरुआत से ही इंडियन एयरलाइंस का ये विमान दिल्ली से काठमांडू रुट की फ्लाइट पर था.

लगातार 19 सालों तक ये विमान दिल्ली से काठमांडू और वहां से दिल्ली के लिए लगातार फेरियां लगाता था. कभी कभी रात में इसे कहीं और की फ्लाइट पर लगाया जाता था. इस विमान ने अपने पूरे करियर में 10,000 से ज्यादा उड़ानें ली थीं.

तब ये विमान अच्छी कंडीशन में बताया गया
जब 24 दिसंबर 1999 को इसको काठमांडू से निकलते ही भारत के आकाश में हाईजैक किया गया, तब तक बताया जाता है कि ये बहुत अच्छी कंडीशन में था. इंडियन एयरलाइंस को अपने इस विमान की कंडीशन पर गर्व था.

नेपाल के काठमांडू एयरपोर्ट से ही पांच आतंकवादी हाईजैकर्स आईसी-814 की फ्लाइट में सवार हो गए थे. दस मिनट बाद ही उन्होंने विमान को हाईजैक कर लिया. (NEWS18)

इसी विमान में हुई हत्या
लेकिन नियति का फेर देखिए कि जब ये विमान 25 दिसंबर 1999 की सुबह खाली पड़े कंधार एयरपट्टी पर पहुंचकर खड़ा हुआ तो करीब एक हफ्ते तक खड़ा रहा. इस फ्लाइट में आतंकवादियों ने एक यात्री की हत्या कर दी. दूसरे को बुरी तरह घायल कर दिया. हफ्ते भर में कंधार में इस विमान की कंडीशन तेजी से खराब हुई.

तो विमान की फिटनेस पर पड़ता है खराब असर
माना जाता है कि अगर विमान की रोजाना मरम्मत और केयर नहीं होती तो इसकी स्थिति पर तुरंत असर पड़ता है. जब ये विमान 31 दिसंबर 1999 को कंधार से दिल्ली लाकर खड़ा हुआ. तब तक इसकी कंडीशन बिगड़ चुकी थी. दिल्ली लाकर फिर इसे महीने भऱ से ज्यादा समय के लिए खड़ा कर दिया गया. इसने इसकी फिटनेस पर और बुरा असर डाला.

आमतौर पर एक विमान 25 साल की उम्र तक रिटायर हो जाता है लेकिन सही रखरखाव से तमाम विमान 35 साल तक आराम से उड़ते रहते हैं. (NEWS18)

फिर इसे रिटायर कर दिया गया
इस विमान को वर्ष 2000 में फिर उड़ने की इजाजत तो मिल गई लेकिन इसके बाद जहां इसके साथ हाईजैक होने का कलंक जुड़ चुका था, वहीं ये कंडीशन भी खराब रहने लगी. इसमें लगातार तकनीक दिक्कतें आने लगीं. तकनीक भाषा में आखिरकार ये मान लिया गया कि विमान थक चुका है. लिहाजा नवंबर 2003 तक रिटायर होने का फैसला भारत सरकार ने कर दिया.

26 साल की थी इस विमान की उम्र 
जब ये विमान रिटायर हुआ तब तक इसकी उम्र 26 साल हो चुकी है. हालांकि आदर्श तौर पर विमानों को रिटायर करने की अवधि यही होती है लेकिन बोइंग कंपनी से लेकर एयरबस के अच्छे विमान 35-40 सालों तक भी उड़ते रहते हैं. लिहाजा ये कहना चाहिए कि ये विमान शायद हाईजैक के आघात को सहन नहीं कर पाया और रिटायर कर दिया गया.

फिर स्क्रैपयार्ड में कर दिए गए टुकड़े टुकड़े
मुंबई में दिसंबर 2003 में स्क्रैप यार्ड में इसके टुकड़े टुकड़े कर दिये गए. हालांकि ऐसे विमानों के इंजन और मशीनरी निकालने के बाद सीटों के साथ इसकी बॉडी स्क्रैप में 1.5 करोड़ से 2 करोड़ में बिकती है. अब कई लोग विमानों की इन खाली बॉडी को रेस्टोरेंट में बदलने लगे हैं.

क्यों होता है कोई विमान रिटायर
अब हम आपको बताते हैं किसी विमान को किन पैरामीटर पर रिटायर करने का फैसला किया जाता है.

– किसी विमान को रिटायर करने का निर्णय उसकी उम्र या निर्माता की सिफारिशों की बजाए उसकी कंडीशन के साथ कई बातों पर निर्भर करती है.
आर्थिक पहलू – किसी विमान को रिटायर करने के पीछे सबसे बड़ी वजह ये बनती है कि यांत्रिक गड़बड़ियों के कारण उस पर कितना खर्च होने लगा है. जब विमान की संचालन लागत बढ़ने लगती है तो फिर इसे रिटायर किया जा सकता है.

रखरखाव लागत – जैसे-जैसे विमान पुराना होता जाता है, रखरखाव ना केवल महंगी हो जाती है बल्कि लगातार होने लगती है, जो विमान कंपनी के लिए आर्थिक तौर पर नुकसानदायक साबित होने लगती है.

ईंधन दक्षता – पुराने विमान ज्यादा तेल पीने लगते हैं यानि उनकी ईंधन दक्षता खराब हो जाती है.

बाजार की मांग – यदि कोई विमान यात्री प्राथमिकताओं या बाज़ार की स्थितियों में आने वाले बदलाव के कारण लाभदायक नहीं रह गया है, तो इसे चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाता है.

क्या होती है विमानों की थकान
ये माना जाता है कि पुराना होने के कारण विमान की बॉडी पर दबाव बढ़ने लगता है. इसे धातु थकान कहते हैं. इससे विमानों में दरारें पड़ जाती हैं. वाणिज्यिक विमानों को आमतौर पर हर 22 वर्ष में बदल दिया जाता है. हालांकि उचित रखरखाव के साथ वे 30 वर्ष या उससे अधिक समय तक उड़ान भर सकते हैं.

रिटायर होने के बाद क्या होता है
जब किसी विमान को सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, तो उसे स्क्रैपिंग के लिए विमान बोनयार्ड में भेज दिया जाता है.
– वहां उसके अंदर के सभी तरल पदार्थ, जैसे हाइड्रोलिक द्रव, शेष ईंधन और स्नेहक सभी निकाल दिये जाते हैं.
– सभी उपयोगी भाग जैसे इंजन और उपकरण फिर से बिक्री के लिए हटा दिए जाते हैं.
– विमान को नष्ट कर दिया जाता है. उसके हिस्सों को अलग-अलग करके स्क्रैप या स्पेयर पार्ट्स के रूप में फिर से उपयोग में लाया जाता है.
– सेवामुक्त विमान के धातु फ्रेम को कबाड़ के रूप में बेचा जा सकता है.

Tags: Air india, Air India Flights, Aircraft operation, Airline News, Controversial airlines

FIRST PUBLISHED :

September 6, 2024, 12:22 IST

Read Full Article at Source