राहुल-तेजस्वी साथ तो हैं... लेकिन कीचड़ में धंसा हुआ पहिया कौन निकालेगा बाहर?

2 days ago

Last Updated:August 17, 2025, 12:47 IST

Rahul Gandhi News: राहुल गांधी की 'वोट अधिकार यात्रा' क्या बिहार चुनाव 2025 में महागठबंधन को मजबूती देगा? क्या कांग्रेस की पहिया को राहुल सारथी बनकर कीचड़ से निकाल लेंगे?

राहुल-तेजस्वी साथ तो हैं... लेकिन कीचड़ में धंसा हुआ पहिया कौन निकालेगा बाहर?राहुल गांधी की वोट अधिकार यात्रा से किसको फायदा होगा?

पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी के बीच कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ सुर्खियां बटोर रही है. राहुल गांधी की सासाराम से शुरू होने वाली 16 दिनों की इस यात्रा का मकसद निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (SIR) के खिलाफ विरोध जताना और ‘वोट चोरी’ के मुद्दे को जन-जन तक पहुंचाना है. आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव की यात्रा को हरी झंडी दिखाकर रवाना करने जा रहे हैं. लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि कांग्रेस के इस यात्रा रूपी रथ की ‘पहिया’ कीचड़ से निकल पाएगा? बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस की पहिया दलदल और कीचड़ में फंसी है, क्या राहुल गांधी का रथ कीचड़ से निकलेगा? इस यात्रा में राष्ट्रीय जनता दल के सीएम फेस तेजस्वी यादव ‘अर्जुन’ की मुख्य भूमिका में रहेंगे और राहुल गांधी की भूमिका सारथी की होगी? क्या बिहार चुनाव में राहुल गांधी तेजस्वी के रथ का सारथी बनने जा रहे हैं? राहुल की इस यात्रा से महागठबंधन को कितना फायदा पहुंचाएगी?

राहुल गांधी की यह यात्रा सासाराम से शुरू होकर बिहार के 25 जिलों से गुजरेगी और 1 सितंबर को पटना के गांधी मैदान में एक विशाल रैली के साथ समाप्त होगी. तेजस्वी यादव, जो महागठबंधन के प्रमुख चेहरों में से एक हैं, इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ प्रमुखता से शामिल होंगे. आरजेडी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर कहा, ‘भाजपा के आदेश पर चुनाव आयोग द्वारा बिहारवासियों के मताधिकार के साथ खिलवाड़ के खिलाफ युवा जननेता तेजस्वी यादव वरिष्ठ कांग्रेस नेता राहुल गांधी जी के साथ ‘वोट अधिकार यात्रा’ पर निकलेंगे.’ तेजस्वी ने इस यात्रा के लिए एक अभियान गीत भी लॉन्च किया, जिसमें उन्होंने बिहार की जनता से इसमें शामिल होने की अपील की. उनकी सक्रिय भागीदारी से यह स्पष्ट है कि वह महागठबंधन की रणनीति को मजबूती देंगे.

यात्रा का मकसद और रणनीति

राहुल गांधी ने इस यात्रा को ‘वोट चोरी’ के खिलाफ एक निर्णायक लड़ाई करार दिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग, बीजेपी के इशारे पर, बिहार में मतदाता सूची से करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम हटा रहा है, जिससे गरीब और विपक्षी समर्थकों के वोटिंग अधिकार खतरे में हैं. यात्रा का लक्ष्य जनता को मताधिकार के महत्व के प्रति जागरूक करना और ‘एक व्यक्ति, एक वोट’ के सिद्धांत को मजबूत करना है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, ‘यह यात्रा लोकतंत्र की रक्षा के लिए सड़कों पर लड़ी जाएगी.’ इसके अलावा, कांग्रेस ने 14 अगस्त को ‘लोकतंत्र बचाओ मशाल मार्च’ और 15 सितंबर से 15 अक्टूबर तक 5 करोड़ हस्ताक्षर जुटाने का अभियान भी शुरू किया है.

महागठबंधन को फायदा या नुकसान?

बिहार चुनाव में महागठबंधन के लिए कई तरह से फायदेमंद हो सकती है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की जोड़ी युवा और दलित-पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है. तेजस्वी की बिहार में मजबूत पकड़ और राहुल की राष्ट्रीय छवि महागठबंधन को एकजुट और आक्रामक छवि दे सकती है. मतदाता सूची में कथित गड़बड़ियों का मुद्दा गरीब और ग्रामीण मतदाताओं को लामबंद कर सकता है, जो महागठबंधन का पारंपरिक वोट बैंक है.

राजनीतिक जानकार क्या कहते हैं

हालांकि, इस यात्रा की सफलता कई चुनौतियों पर निर्भर करेगी. बीजेपी ने इस यात्रा को ‘नौटंकी’ करार दिया है और कहा कि इसका जनता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसके अलावा, निर्वाचन आयोग ने राहुल के आरोपों को खारिज करते हुए उनसे शपथपत्र मांगा है, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. यदि महागठबंधन इस मुद्दे को जनता तक प्रभावी ढंग से नहीं पहुंचा पाया, तो यह यात्रा केवल प्रतीकात्मक रह सकती है.

जानकारों की राय में मतदाता सूची में संशोधन का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट में भी विचाराधीन है. राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र के उदाहरण के आधार पर ‘वोट चोरी’ का सबूत पेश किया था, जिसे निर्वाचन आयोग ने खारिज किया. फिर भी, यह मुद्दा बिहार में गरीब और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच भावनात्मक अपील पैदा कर सकता है. राजनीतिक रूप से, यह यात्रा महागठबंधन को एकजुट करने और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने में मदद करेगी. पूर्व बिहार कांग्रेस अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने इसे ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए कहा कि यह यात्रा महागठबंधन को नई ऊर्जा देगी.

कुलमलिकार राहुल गांधी की ‘वोट अधिकार यात्रा’ में तेजस्वी यादव की भूमिका महागठबंधन को बिहार चुनाव में मजबूती दे सकती है. यह यात्रा मतदाता जागरूकता और विपक्षी एकजुटता को बढ़ावा देगी, लेकिन इसका असली प्रभाव जनता की भागीदारी और अभियोजन की रणनीति पर निर्भर करेगा. यदि महागठबंधन इस मुद्दे को प्रभावी ढंग से भुनाता है, तो यह एनडीए के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है. बिहार की सियासत में यह यात्रा एक नया अध्याय लिख सकती है.

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First Published :

August 17, 2025, 12:47 IST

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