15 वोटर ले आओ जिन्‍हें मृत घोषित कर नाम काटे...SC का आदेश

12 hours ago

Last Updated:July 29, 2025, 19:45 IST

Supreme Court on Voter List Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव मॉडिफिकेशन यानी SIR पर सुनवाई की. इस दौरान कपिल सिब्‍बल और प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलें दी. बेंच ने कड़े शब्‍दों में कहा कि...और पढ़ें

15 वोटर ले आओ जिन्‍हें मृत घोषित कर नाम काटे...SC का आदेशकोर्ट ने कड़ी टिप्‍पणी की. (News18)

हाइलाइट्स

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के स्पेशल इंटेंसिव मॉडिफिकेशन यानी SIR पर सुनवाई की.इस दौरान कपिल सिब्‍बल और प्रशांत भूषण ने अपनी दलीलें दी.15 ऐसे नाम ले आओ जिनके नाम काटे गए लेकिन वो जीवित हैं: SC

नई दिल्‍ली.  बिहार चुनाव से पहले इलेक्‍शन कमीशन के SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव मॉडिफिकेशन पर बवाल के बीच आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. कपिल सिब्‍बल और प्रशांत भूषण जैसे बड़े वकीलों ने इसपर सवाल उठाए. इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए कहा कि आप 15 जीवित वोटरों के नाम लाएं, जिनके नाम काट दिए गए हैं. हम तुरंत ही चुनाव आयोग पर एक्‍शन लेंगे. जस्टिस सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि ड्राफ्ट मतदाता सूची में व्यापक बहिष्करण यानी मास एक्सक्लूजन पाया गया, तो कोर्ट तुरंत हस्तक्षेप करेगा.

कोर्ट का सख्‍त रुख
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा, “15 ऐसे लोगों को लाएं, जिन्हें मृत घोषित कर उनके नाम काटे गए, लेकिन वे जीवित हैं. हम कार्रवाई करेंगे.” यह बयान विपक्षी दलों और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स जैसे एनजीओ, जैसे की उस याचिका के जवाब में आया, जिसमें दावा किया गया कि 65 लाख लोगों के नाम मृत या स्थायी रूप से स्थानांतरित होने के आधार पर हटाए जा सकते हैं. वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और प्रशांत भूषण ने याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क दिया कि 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट सूची में 65 लाख लोगों को बाहर किए जाने की आशंका है, जिससे उनका मतदान का अधिकार छिन सकता है.

सिब्‍बल ने क्‍या कहा?
कपिल सिब्बल ने कहा कि चुनाव आयोग को यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन 65 लाख लोगों की सूची कौन है, ताकि उनकी स्थिति की जांच हो सके. भूषण ने चुनाव आयोग के उस प्रेस नोट पर सवाल उठाया, जिसमें कहा गया कि ये लोग मृत हैं या स्थायी रूप से स्थानांतरित हो गए हैं. कोर्ट ने जवाब दिया कि ड्राफ्ट सूची में शामिल और बाहर किए गए लोगों के नाम स्पष्ट होंगे और यदि सूची इस मुद्दे पर चुप रहती है, तो याचिकाकर्ता इसे कोर्ट के सामने ला सकते हैं.

गलती होती है तो कोर्ट एक्‍शन लेगा
चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने कहा कि ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन के बाद 31 दिन (1 सितंबर 2025 तक) का समय है, जिसमें लोग शामिल होने या आपत्ति दर्ज करने के लिए फॉर्म जमा कर सकते हैं. जस्टिस कांत ने सुझाव दिया कि राजनीतिक दलों को इस चरण में एनजीओ की तरह काम करना चाहिए और लोगों को फॉर्म जमा करने में मदद करनी चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा कि ईसीआई एक संवैधानिक संस्था है और यह माना जाता है कि वह कानून के अनुसार काम करेगी. यदि कोई गलती होती है तो कोर्ट हस्तक्षेप करेगा.

अगस्‍त में अंतिम सुनवाई
यह मामला 12 और 13 अगस्त को अंतिम सुनवाई के लिए निर्धारित है. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं और ईसीआई को 8 अगस्त तक लिखित दलीलें जमा करने का निर्देश दिया है. बिहार में 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 65 लाख के बहिष्करण की आशंका ने राजनीतिक और सामाजिक विवाद को जन्म दिया है और सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी लोकतंत्र में मतदान के अधिकार की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है.

Sandeep Gupta

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें

पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्‍त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्‍कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...

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