Last Updated:November 03, 2025, 14:58 IST
Renuka Thakur News: हिमाचल प्रदेश के रोहड़ की महिला क्रिकेटर रेणुका ठाकुर ने प्रदेश का नाम रोशन किया है. रेणुका सिंह ठाकुर विश्प कप जीतने वाली महिला टीम की हिस्सा था. आईपीएच विभाग में दैनिक भोगी मां सुनीता ठाकुर ने बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाया. रोहड़ू में मां ने न्यूज18 से पूरी कहानी बताई. मां ने ही रेणुका और उसके भाई को पाला. क्योंकि उनके पति की 26 साल पहले मौत हो गई थी. टीम इंडिया की जीत पर रेणुका के घर पर जश्न का माहौल है.
शिमला के रोहड़ू की रेणुका की मां सुनीता.शिमला. भारतीय महिला टीम ने पहली बार क्रिकेट विश्क कप जीता है. इस टीम की हर खिलाड़ी ने टीम की जीत में अहम योगदान दिया. हिमाचल प्रदेश के शिमला की बेटी रेणुका सिंह भी इस टीम का हिस्सा रही और तेज गेंदबाद के तौर पर अपना लोहा मनवाया. शिमला से करीब 100 किमी दूर रोहड़ के पारसा गांव की रेणुका ठाकुर के लिए गांव के छोटे से मैदान से अंतराष्ट्रीय स्टेडियम में खेलना किसी चुनौती से कम नहीं था. उनके संघर्ष की कहानी काफी लंबी है. न्यूज18 की टीम ने रेणुका के गांव जाकर परिवार से बात की. अहम बात है कि तीन साल की उम्र में ही रेणुका के पिता का निधन हो गया था और उनकी मां सुनीता ने ही उन्हें और उनके भाई विनोद का पाला था.
न्यूज18 से भारतीय टीम की तेज गेंदबाज रेणुका ठाकुर की मां सुनीता ठाकुर ने उनके संघर्ष की कहानी बयान की. रेणुका जब मात्र 2-3 साल की थी तो उसके सिर से पिता का साया उठ गया, लेकिन पहाड़ सी हिम्मत रखने वालीं सुनीता ठाकुर ने ठान लिया था कि बेटी का सपना पूरा करने लिए पहाड़ से टकराना पड़े तो भिड़ जाऊंगी.
रेणुका के पिता केहर सिंह ठाकुर की मृत्यु साल 1999 में हुई थी, उनके निधन के बाद घर का सहारा छिन गया, लेकिन मां ने हार नहीं मानी. सुनीता ठाकुर उस समय आईपीएच विभाग में दैनिक भोगी के रूप में काम करती थीं, यूं कहिए दिहाड़ी करतीं थी. महीने के सिर्फ 1500 रुपए मिलते थे और इन्हीं 1500 से उन्हें अपने दो बच्चों की परवरिश करनी थी, जोकि काफी मुश्किल था.
शिमला के रोहड़ू में मैच के दौरान रेणुका का परिवार.
सुनीता ठाकुर ने News 18 को बताया कि मैंने कभी हिम्मत नहीं हारी, पैसों की तंगी के बारे में रेणुका को ज्यादा-पता नहीं लगने दिया, मुझे मात्र 1500 रुपये मिलते थे, लेकिन रेणुका जूता ही 15 हजार रुपये का आता था, लेकिन मैंने कभी कोई कमी नहीं आने दी. खुद कमी में रही, खुद सूखी रोटी खाकर भी गुजारा किया. उन्होंने बताया कि पैसों की तंगी इतनी थी कि कई बार अपने विभाग के एसडीओ से पैसे तक उधार लिए. उन्होंने बताया कि ससुर और जेठ ने भी कई बार सहायता की.
कब से खेलना शुरू किया था
हिमाचल प्रदेश के शिमला जिला के रोहड़ू क्षेत्र के पारसा गांव की रहने वाली रेणुका जब महज 3-4 साल की थीं तो गांव में कपड़े की गेंद और लकड़ी के बैट से अपने भाई विनोद और कजिन्स के साथ क्रिकेट खेलती थी. सुनीता ठाकुर ने बताया कि रेणुका के चाचा भूपिंदर ठाकुर ने सबसे पहले उसकी प्रतिभा को पहचाना. भूपिंदर ठाकुर ने रेणुका को खेलते देखा तो खुद को गेंदबाजी करने के लिए कहा. रेणुका ने अपने चाचा को जैसे ही बॉलिंग की तो वे हैरान रह गए. उसके बाद वे रेणुका को धर्मशाला क्रिकेट अकेडमी में लेकर गए. वहां से फिर रेणुका ठाकुर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
हिमाचल प्रदेश के शिमला की बेटी रेणुका सिंह भी इस टीम का हिस्सा रही और तेज गेंदबाद के तौर पर अपना लोहा मनवाया.
सुनीता ठाकुर ने कहा कि आज जब रेणुका को भारतीय टीम के लिए खेलते देखती हैं गर्व होता है. रेणुका के पिता को याद कर सुनीता भावुक हो गई. उन्होंने कहा कि रेणुका ने अपने पिता का सपना पूरा किया, रेणुका के पापा आज कहीं से भी देख रहें हों, अपनी बेटी पर उन्हें गर्व होगा, रेणुका पर उसके पापा का आशीर्वाद हमेशा रहेगा. भारतीय टीम की जीत पर उन्होंने सभी भारतवासियों को बधाई दी और कहा कि सभी बेटियां हमारी हैं, मैं सबकी मां हूं. बेटी की उपलब्धियों को देखते हुए सुनीता ठाकुर ने हिमाचल सरकार से उसे सरकारी नौकरी देन की मांग की. हालांकि, सीएम ने रेणुका ठाकुर को एक करोड़ रुपये देने का ऐलान भी किया है. सीएम ने फोन पर रेणुका से बात भी की.
बेटे को बनाना चाहते थे क्रिकेट
रेणुका के पिता केहर सिंह विनोद कांबली के बड़े फेन थे और वह अपने बेटे को क्रिकेटर बनाना चाहते थे. इसलिए उन्होंने अपने बेटे का नाम विनोद ही रखा था. रेणुका के अलावा परिवार में भाई और भाभी मां और चाचा-ताऊ हैं. अहम बात है कि 2024 में रेणुका ने एशिया कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच की वजह से भाई विनोद की शादी छोड़ दी थी और वीडियो कॉल पर ही भाई को सात फेरे लेते हुए देखा था.
Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें
Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...
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Location :
Shimla,Shimla,Himachal Pradesh
First Published :
November 03, 2025, 14:56 IST

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