दुनियाभर में आज यानि 26 सितंबर को वर्ल्ड गर्भ निरोध दिवस मनाया जा रहा है. इस दिन पूरी दुनिया खासतौर पर एक महिला शख्सियत को जरूर याद करती है. वो हैं मार्गरेट सैगर. जो आजादी से पहले भारत भी आईं. उन्होंने तब महात्मा गांधी से मिलकर उन्हें परिवार नियोजन की नई तकनीक और कृत्रिम गर्भनिरोधकों के बारे में बताकर उनका सहयोग लेने की कोशिश की लेकिन गांधी परिवार नियोजन के लिए कृत्रिम तरीकों के सख्त खिलाफ थे. वह हमेशा स्वनियंत्रण के पैरोकार रहे. जब तक वो जिंदा रहे तब तक दृढ़ता से अपने इन विचारों पर टिके रहे.
13 जनवरी 1936 को वर्धा रेलवे स्टेशन पर मार्गरेट सैगर उतरीं. वो खासतौर पर गांधी से मिलने आईं थीं. वह गर्भ निरोध की विशेषज्ञ थीं. वर्धा स्टेशन से आश्रम तक वो बैलगाड़ी पर बैठकर पहुंचीं. गांधी जमीन पर शॉल लपेटकर बैठे हुए थे. उनका इंतजार कर रहे थे. वह गांधीजी के लिए कई उपहार और किताबें लेकर आई थीं.
मिस सैगर ने न्यूयॉर्क में 1917 में गर्भ निरोधक क्लिनिक खोली हुई थी. अमेरिका में उन्होंने महिलाओं को गर्भ निरोध के प्रति जागरूक करने के लिए आंदोलन शुरू किया. हालांकि ईसाई कैथोलिक उनके इस कदम के सख्त खिलाफ थे. धर्माचार्य भी इसका विरोध करने लगे. मिस सैगर ने ये तर्क रखना शुरू किया, “एक महिला के शरीर पर केवल उसी का अधिकार है.” सैगर को बंदी बनाया गया. बदनाम किया गया. पुलिस ने डराया धमकाया. वह अपना काम करती रहीं.
अंदाज था कि गांधीजी मदद नहीं करेंगे
मिस सैगर खूबसूरत आयरिश महिला थीं. वो चाहती थीं कि भारत में भी गर्भ निरोध के नए तौरतरीकों को इस्तेमाल में लाया जाए. उन्हें अंदाज था कि उनके इस अभियान में गांधी उनकी कोई खास मदद नहीं करने वाले.
जब मार्गरेट आश्रम पहुंचीं उस दिन गांधी ने उनका स्वागत जरूर किया लेकिन वो दिन उनके मौन, ध्यान और प्रार्थना का दिन था. कोई बात नहीं हो पाई. मार्गरेट को अतिथि कक्ष में पहुंचा दिया गया. जहां बगैर गद्दों की चारपाइयां थीं. पत्थर की मेज कुर्सियां.
महात्मा गांधी अपने वर्धा आश्रम में मार्गरेट सैगर से बातचीत करते हुए. (फाइल फोटो)
गांधीजी का आश्रम पुराने तौरतरीकों से चलता था
रॉबर्ट पेन की किताब “लाइफ एंड डेथ ऑफ महात्मा गांधी ” के अनुसार आश्रम का वातावरण सैगर को बहुत आकर्षित नहीं कर सका. वहां सिंचाई के लिए कोल्हू और लकड़ी के चक्के का प्रयोग किया जा रहा था. उन्हें हैरानी हो रही थी कि गांधी क्यों जानबूझकर मशीनों से मुंह मोड़े हुए हैं. चूंकि गांधी जी उनका स्वागत अच्छे तरीके से किया, लिहाजा मार्गरेट को उम्मीद बंधने लगी कि वह उनकी बातों को समझेंगे.
गांधीजी ने हर तर्क को काटना शुरू कर दिया
अगले दिन जब मार्गरेट की मुलाकात गांधी से हुई तो वह तर्कों के साथ उन्हें मनाने में जुट गईं. जैसे ही वह कोई तर्क पेश करतीं, गांधी उसे काट देते. उनका केवल एक सिद्धांत था, जिसके आगे मार्गरेट के सारे तर्क फेल हो रहे थे.
संभोग पर क्या थे गांधीजी के विचार
गांधी की दृष्टि में “जनन के उदेश्य के अतिरिक्त संभोग पाप है, किसी दंपत्ति के वैवाहिक जीवन में केवल तीन या चार बार संभोग होना चाहिए, क्योंकि परिवार के लिए तीन या चार बच्चों की जरूरत होती है. गर्भ निरोध का अकेला असरदार तरीका ये कि दंपति पूरी तरह से ब्रह्मचर्य का पालन करें, जब वास्तव में बच्चे की जरूरत हो तभी संभोग करें.”
महात्मा गांधी गर्म निरोध के हर तरीके के खिलाफ थे, चाहे वो कृत्रिम तरीके से हो या फिर प्राकृतिक तरीकों से. वह इस मामले में केवल आत्मनियंत्रण की पैरवी करते थे. (फाइल फोटो)
गांधी अपने तर्क बिल्कुल शांत और धीमी आवाज के साथ सधे हुए शब्दों में रख रहे थे. मिस सैगर थोड़ी विचलित थीं. उन्हें लग रहा था कि गांधी उनकी बातों और भावों को अपने अंदर जाने ही नहीं दे रहे थे.
गर्भ निरोध के प्राकृतिक तरीकों पर भी थी आपत्ति
संतति निरोध पर गांधी के विचारों का निर्धारण उनके अपने जीवन के अनुभवों के आधार पर ही हुआ था. मिस सैगर ने शुद्ध प्राकृतिक उपाय भी सुझाए. वर्धा में नींबू के पेड़ भी थे और वहां कपास भी उगता था. दोनों पूरी तरह से प्राकृतिक थे. नींबू के रस में रूई का डूबा फोहा एक आसान गर्भ निरोधक था. गांधीजी को इस तरीके पर भी सख्त एतराज था. उनके अनुसार रुई का फाहा भी प्राकृतिक प्रक्रिया में एक अप्राकृतिक बाधक था.
उनका तरीका था केवल ब्रह्मचर्य
प्राकृतिक तरीका केवल ब्रह्मचर्य था. उनका कहना था, ” महिलाओं को अपने पतियों का विरोध करना सीखना होगा और आवश्यकता पड़े तो अपने पतियों को छोड़ देना चाहिए.”
मार्गरेट सैगर (file photo)
गांधीजी क्यों कहते थे कि महिला विरोध करें
गांधी का विश्वास था कि औरतों को अनिच्छापूर्वक अपने पतियों की इच्छापूर्ति का यंत्र बनना पड़ता है. उनका कहना था, “अपनी पत्नी को धुरी बनाकर मैंने औरतों के संसार को जाना है. दक्षिण अफ्रीका में अनेक यूरोपीय महिलाओं से मेरा परिचय हुआ. मेरे अनुसार सारा दोष पुरुषों का है. अगर बचे हुए बरसों में मैं औरतों को ये विश्वास दिला पाऊं कि वो भी स्वतंत्र हैं तो भारत में हमें जनसंख्या नियंत्रण की कोई समस्या नहीं रहेगी. अपनी परिचित महिलाओं को मैंने विरोध के तरीके सिखाए हैं पर वास्तविक समस्या ये है कि वो विरोध करना ही नहीं चाहतीं.”
गांधी के अनुसार – कब होता है सच्चा प्रेम
गांधी ब्रह्मचर्य और इस विषय पर बहुत कुछ बोल सकते थे. कभी-कभी तो मिस सैगर चकित रह जातीं कि सुख और विलास चाहे कहीं भी क्यों न हो, गांधी आखिर क्यों उसका इतने कटु तरीके से विरोध कर रहे हैं. वो चॉकलेट और यौन संबंधों को एक तराजु पर कैसे रख सकते हैं. गांधी का तर्क ये भी था कि व्यक्ति तभी सच्चा प्रेम कर पाता है जब वासना मर जाती है, तब केवल प्रेम रह जाता है.
ये वार्तालाप बहुत लंबा होता चला गया. इससे गांधी की ऊर्जा समाप्त हो चुकी थी. गांधी अपने जीवन के निचोड़ ब्रह्मचर्य का एक दुर्जेय विरोधी के सामने बचाव कर रहे थे और गहरे तनाव में थे.
मिस सैगर इसके बाद अपने अभियान को लेकर भारत में कई और जगहों पर गईं. कई और लोगों से मिलीं. रविंद्र नाथ ठाकुर ने खुले दिल से उनका स्वागत किया. वो बडौदा के महाराजा गायकवाड़ और नेहरू की बहन की अतिथि भी बनीं. आखिरकार उनका सिद्धांत मान लिया गया लेकिन गांधी के निधन के बाद. भारत सरकार ने देशभर में गर्भ निरोधकों को प्रोत्साहन और समर्थन देना शुरू कर दिया. भारत दुनिया का पहला देश भी बना, जिसने 1952 में परिवार नियोजन प्रोग्राम शुरू किया.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

4 weeks ago
