नई दिल्ली. भारत के हर युवा का सपना होता है कि वह अमेरिका जाकर नौकरी करे और डॉलर में कमाकर जल्दी अमीर बन जाए. इस सपने को पूरा करने का सबसे बड़ा जरिया होता है H1B वीजा. एक बार यह वीजा मिल जाए तो समझो लाइफ सेट है. लेकिन, दिक्कत ये है कि यह वीजा मिलना इतना आसान नहीं होगा. फिलहाल अमेरिका में सत्ता बदली और अब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति पद पर बैठने जा रहे हैं तो भारतीयों के लिए एक बार फिर राहें थोड़ी आसान होती दिख रही हैं. न सिर्फ ट्रंप बल्कि उनके करीबी और दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति एलन मस्क ने भी H1B वीजा का सपोर्ट किया है.
यह सुनकर हर भारतीय के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है कि ट्रंप और मस्क ने H1B वीजा का सपोर्ट किया है. लेकिन, एक बात स्पष्ट कर दें कि H1B वीजा का सपोर्ट करके ट्रंप और मस्क हम पर कोई अहसान नहीं कर रहे हैं. हम भारतीयों को अमेरिका में नौकरी देने के बदले वहां की सरकार को हर साल करोड़ों का फायदा होता है. उनका खजाना भरता है और अच्छे टैलेंट भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था में योगदान देने पहुंचते हैं.
कैसे होता है अमेरिका को फायदा
जब भी कोई अमेरिकी कंपनी किसी भारतीय को हायर करती है तो अपने कर्मचारियों के लिए H1B वीजा मुहैया कराती है. इस वीजा को बनाने के एवज में कंपनी को मोटी फीस अमेरिकी सरकार को चुकानी पड़ती है. यह फीस इतनी ज्यादा होती है कि इससे हर साल अमेरिका का खजाना भर जाता है, उनकी अर्थव्यवस्था मजबूत हो जाती है और अच्छे टैलेंट को हायर करने का मौका भी मिलता है.
सरकार ने बढ़ा दी वीजा की फीस
H1B वीजा की फीस पहले ही काफी ज्यादा थी और बाद में सरकार ने इसमें और इजाफा कर दिया है. H1B कैप रजिस्ट्रेशन फीस जो पहले 10 डॉलर (करीब 855 रुपये) थी, जिसे अब बढ़ाकर 215 डॉलर (करीब 18,382 रुपये) हो गई है. पहले लगने वाली फॉर्म 460 डॉलर की यूनिफॉर्म फीस को खत्म करके अब कई तरह की फीस लागू कर दी गई है. इसमें H-1B फीस को बढ़ाकर 780 डॉलर किया गया जो पहले 460 डॉलर था. इसके अलावा न्यू असाइलम प्रोग्राम फीस लगाई गई है, जो करीब 600 डॉलर है. यह फीस अप्रैल, 2024 से लागू हो चुकी है.
कहां-कहां लगती है फीस
H-1B रजिस्ट्रेशन फीस 215 डॉलर जो मार्च, 2025 से लागू होगा. I-129 फॉर्म की फीस 780 डॉलर, अगर छोटी कंपनी है तो 460 डॉलर लगेगा. पब्लिक लॉ 113-114 के लिए 4,000 डॉलर की फीस चुकानी पड़ती है. प्रीमियम प्रोसेसिंग फीस के रूप में भी 2,805 डॉलर चुकाने पड़ते हैं. USCIS एंटी फ्रॉड फीस के रूप में भी 500 डॉलर देना पड़ता है. 25 कर्मचारियों से कम संख्या वाली कंपनी को ACWIA एजुकेशन और ट्रेनिंग के लिए 750 डॉलर की फीस और इससे ज्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी को 1,500 रुपये फीस देनी पड़ती है. असाइलम प्रोग्राम फीस के रूप में भी बड़ी कंपनियों को 600 डॉलर और छोटी कंपनियों को 300 डॉलर चुकाने पड़ते हैं.
हर साल कितनी कमाई
ऊपर दिए आंकड़े देखें तो प्रति व्यक्ति कंपनियों को करीब 10,400 डॉलर की फीस चुकानी पड़ती है, जो भारतीय करेंसी में 8,89,200 रुपये होगा. अमेरिकी सरकार हर साल 85 हजार H-1B वीजा जारी करती है. इस लिहाज से देखें तो उसे हर साल सिर्फ H-1B वीजा से ही 7,558 करोड़ रुपये की कमाई होती है. इस मोटी कमाई के साथ ही अमेरिकी कंपनियों को टैलेंट भी मिलता है.
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FIRST PUBLISHED :
December 31, 2024, 14:23 IST