PM चिकन नहीं खाते, बिल रिजेक्टेड... पूर्व DGP की किताब में अफसरशाही के किस्से

1 day ago

Last Updated:June 01, 2025, 17:15 IST

Indian Bureaucracy: उत्तर प्रदेश के पूर्व DGP ओपी सिंह की किताब "Through My Eyes: Sketches from A Cop's Notebook" में अफसरशाही के गजब किस्सों का खुलासा किया गया है. 1985 में 'चिकन' के कारण कैटरर का बिल रिजेक्ट ...और पढ़ें

PM चिकन नहीं खाते, बिल रिजेक्टेड... पूर्व DGP की किताब में अफसरशाही के किस्से

यूपी के पूर्व DGP ओ पी सिंह ने अपनी किताब में कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं. (फोटो X)

हाइलाइट्स

ओपी सिंह की किताब में अफसरशाही के किस्सेचिकन के कारण 1985 में कैटरर का बिल रिजेक्ट हुआगृह मंत्री का स्वागत करने कोई अधिकारी नहीं पहुंचा

नई दिल्ली: “बिल रिजेक्ट कर दिया गया… वजह? उसमें चिकन का ज़िक्र था!” ये कोई मज़ाक नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह की नई किताब में खुलासा है. यह अफरसशाही से जुड़ा एक ऐसा किस्सा है जो भारतीय नौकरशाही की जटिल और हास्यास्पद व्यवस्था को बेपर्दा करता है. किताब का नाम है- Through My Eyes: Sketches from A Cop’s Notebook. इसमें ओपी सिंह ने अपने 37 साल के पुलिस सेवा अनुभवों को बेहद संवेदनशील, कभी भावुक और कभी व्यंग्यात्मक अंदाज़ में कहानीनुमा शैली में संजोया है.

किताब में बताया गया साल 1985 की गर्मियों की बात है. उस वक्त ओपी सिंह यूपी में ट्रेनिंग पर थे और मुरादाबाद ज़िले में सिटी मजिस्ट्रेट और डीएसपी के साथ रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में चाय पीने गए. वहां एक व्यक्ति हाथ जोड़कर विनम्रता से सामने आया, उसकी आंखों में उम्मीद थी और चेहरे पर थकान.

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बिल में ‘चिकन’ का भी था जिक्र
पूछने पर पता चला कि वो एक कैटरर है. सालों पहले जब चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री थे तब उनके जिले दौरे के दौरान इस व्यक्ति ने PM के काफिले के लिए खाना तैयार किया था. बिल था सिर्फ 7,000 रुपए का. लेकिन गलती ये हो गई कि बिल में ‘चिकन’ का भी ज़िक्र था.

‘PM चिकन नहीं खाते, भुगतान नहीं होगा’
बस, यहीं से शुरू हुआ ‘फाइलों का खेल’. बिल एक दफ्तर से दूसरे, एक टेबल से दूसरे टेबल. फिर मंत्रालय से मंत्रालय — अंत में पहुंचा प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO). PMO ने अंतिम निर्णय दिया: “प्रधानमंत्री चिकन नहीं खाते. भुगतान अस्वीकार.” किताब में ओपी सिंह लिखते हैं, “उस शख्स का पैसा खाया गया, खाने वालों ने नहीं… सिस्टम ने.”

जब होम मिनिस्टर स्टेशन पर अकेले खड़े रह गए
किताब में एक और दिलचस्प घटना है जब 1986 में सिंह वाराणसी ज़िले के मुगलसराय में ‘सीओ वीआईपी’ थे. उस दिन सुबह-सुबह उत्तर प्रदेश के तत्कालीन गृह मंत्री गोपीनाथ दीक्षित का दौरा था. लेकिन जब ट्रेन आई तो न स्वागत करने वाली गाड़ी थी, न कोई अधिकारी!

आखिरकार ओपी सिंह ने खुद मंत्री को अपनी जिप्सी में बैठाया और पीछे उनका गनर बैठा. जब मंत्री पहुंचे तो सर्किट हाउस की VIP सुईट भी बंद मिला. फिर क्या था फोन घनघनाए और कुछ ही देर में डिविजनल कमिश्नर से लेकर डीआईजी, एसएसपी तक सर्किट हाउस पर हाजिर हो गए.

अफसरशाही, समाज और सियासत की परतें
इस किताब में केवल मजेदार वाकए नहीं, बल्कि वो गहरी घटनाएं भी दर्ज हैं जो देश की सामाजिक और प्रशासनिक हकीकत को सामने लाती हैं. जैसे एक ऑनर किलिंग, जिसमें एक पिता ने अपनी बेटी को मारकर आंगन में दफना दिया. या फिर कासगंज में एक दलित युवक की बारात पर हुआ तनाव जो ऊंची जाति के मोहल्ले से होकर गुजरनी थी. किताब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक प्रसंग भी है, जिसमें उन्होंने लेखक को राज्य का हेलीकॉप्टर ऑफर कर दिया ताकि वो पूरे प्रदेश में बेहतर फील्ड विजिट कर सकें.

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Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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