S Jaishankar In SCO Summit: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को पाकिस्तान में बैठकर दूसरे पड़ोसी चीन को भी बिना नाम लिए काफी कुछ सुना दिया. उन्होंने दोनों देशों को एक संदेश देते हुए कहा, "इसे क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता देनी चाहिए. इसे एकतरफा एजेंडे पर नहीं, बल्कि वास्तविक साझेदारी पर बनाया जाना चाहिए."
प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चीन के मुखर व्यवहार पर जयशंकर का निशाना
एस जयशंकर ने आगे कहा, "अगर हम वैश्विक प्रथाओं, खासकर व्यापार और पारगमन को ही चुनेंगे, तो यह प्रगति नहीं कर सकता है." उनका यह बयान साफ तौर पर चीन के प्रमुख मुद्दों पर मुखर व्यवहार के बारे में कहा गया. वहीं, पाकिस्तान को लेकर जयशंकर ने साफ किया कि अगर सीमा पार की गतिविधियां आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की वजह से होती हैं तो व्यापार, ऊर्जा और संपर्क जैसे क्षेत्रों में सहयोग के पनपने की संभावना नहीं है.
आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित सहयोग होना चाहिए
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के एक सम्मेलन में अपने संबोधन में जयशंकर ने यह भी कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए और इसमें राष्ट्रों की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को मान्यता दी जानी चाहिए. विदेश मंत्री ने इस्लामाबाद में एससीओ काउंसिल ऑफ हेड्स ऑफ गवर्नमेंट (सीएचजी) शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. इसकी अध्यक्षता पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने की. जयशंकर ने अपने संबोधन के प्रमुख बिंदुओं को एक्स पर पोस्ट भी किया.
सामूहिक रूप से आगे बढ़ने और सहयोग के लिए विश्वास महत्वपूर्ण
जयशंकर ने कहा कि सहयोग के लिए विश्वास महत्वपूर्ण है और अगर समूह सामूहिक रूप से आगे बढ़ता है तो एससीओ सदस्य राष्ट्रों को काफी फायदा हो सकता है. उन्होंने कहा कि सहयोग आपसी सम्मान और संप्रभु समानता पर आधारित होना चाहिए. उन्होंने कहा, "लेकिन सबसे बढ़कर, हमारे प्रयास तभी आगे बढ़ेंगे, जब चार्टर के प्रति हमारी प्रतिबद्धता दृढ़ रहेगी. यह सिद्ध तथ्य है कि विकास और वृद्धि के लिए शांति और स्थिरता की आवश्यकता होती है. और जैसा कि चार्टर में कहा गया है, इसका मतलब 'तीन बुराइयों' का मुकाबला करने में दृढ़ और समझौताहीन होना है."
सीमा पार की गतिविधियों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद
एस जयशंकर ने कहा, "अगर सीमाओं के पार की गतिविधियों में आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद की विशेषता है, तो वे समानांतर रूप से व्यापार, ऊर्जा प्रवाह, संपर्क और लोगों के बीच आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की संभावना नहीं रखते हैं." विदेश मंत्री ने समूह के चार्टर का सख्ती से पालन करने के लिए प्रत्येक एससीओ सदस्य राष्ट्र की जरूरतों को रेखांकित किया. साथ ही आपसी विश्वास, मित्रता और अच्छे पड़ोसी को मजबूत करने के इसके सार पर भी प्रकाश डाला.
विश्वास की कमी है और अच्छे पड़ोसी की भावना गायब है, तो...
उन्होंने अपने भाषण में कहा, "अगर विश्वास की कमी है या सहयोग अपर्याप्त है, अगर मित्रता कम हो गई है और अच्छे पड़ोसी की भावना कहीं गायब है, तो निश्चित रूप से आत्मनिरीक्षण करने और समाधान करने के कारण हैं." उन्होंने आगे कहा, "समान रूप से, यह केवल तभी संभव है जब हम चार्टर के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पूरी ईमानदारी से पुष्टि करें, तभी हम सहयोग और एकीकरण के लाभों को पूरी तरह से महसूस कर सकते हैं, जिसकी इसमें परिकल्पना की गई है."
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वैश्विक चुनौतियों और विकासशील देशों पर शिकंजे का जिक्र
एससीओ समिट के दौरान अपने संबोधन में जयशंकर ने विभिन्न वैश्विक चुनौतियों का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा, "हम विश्व मामलों में एक कठिन समय पर मिल रहे हैं. दो बड़े संघर्ष चल रहे हैं, जिनमें से प्रत्येक के अपने वैश्विक परिणाम हैं. कोविड महामारी ने विकासशील दुनिया में कई लोगों को बुरी तरह तबाह कर दिया है." उन्होंने कहा, "विभिन्न प्रकार के व्यवधान जैसे चरम जलवायु घटनाओं से लेकर सप्लाई चेन अनिश्चितताओं से लेकर वित्तीय अस्थिरता तक विकास को प्रभावित कर रहे हैं."
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ऋण की चुनौती को एक गंभीर चिंता बताना भी चीन पर बड़ा तंज
इसके अलावा, अपने भाषण में जयशंकर ने ऋण की चुनौती को भी एक गंभीर चिंता का कारण बताया. उन्होंने कहा, "प्रौद्योगिकी में बहुत संभावनाएं हैं, साथ ही यह कई नई चिंताओं को भी जन्म दे रही है." उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए औद्योगिक सहयोग प्रतिस्पर्धा को बढ़ा सकता है और श्रम बाजारों का विस्तार कर सकता है. एमएसएमई सहयोग, सहयोगी संपर्क, पर्यावरण संरक्षण और जलवायु कार्रवाई संभव रास्ते हैं. चाहे स्वास्थ्य हो, भोजन हो या ऊर्जा सुरक्षा, हम स्पष्ट रूप से एक साथ काम करके बेहतर हैं.