बिहार जमीन सर्वे पर नीतीश सरकार ने लिया वह फैसला जिससे दूर हो जाएगी बड़ी बाधा

2 hours ago
बिहार जमीन सर्वे पर नीतीश सरकार ने कैथी लिपि के विशेषज्ञ बुलाने का फैसला लिया. बिहार जमीन सर्वे पर नीतीश सरकार ने कैथी लिपि के विशेषज्ञ बुलाने का फैसला लिया.

हाइलाइट्स

जमीन सर्वेक्षण में कैथी लिपि में लिखे कागजात को पढ़ने और समझने कि लिए अब आ रहे एक्सपर्ट. बिहार सरकार के इस फैसले के बाद दूर हो जाएगी बड़ी समस्या, दिलीप जायसवाल ने दी जानकारी.

पटना. बिहार में जमीन सर्वे को लेकर कैथी लिपि एक बड़ी बाधा बनी हुई है. इसकी जानकारी के अभाव में आमलोगों को अपने पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में काफी परेशानी हो रही है. यही नहीं आमलोगों के अतिरिक्त सर्वे कर्मियों को भी कैथी लिपि की सही जानकारी नहीं रहने के कारण खतियान लिखने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इसके लिए राजस्व भूमि सुधार विभाग ने कैथी पढ़नेवाले विशेषज्ञों की सेवाएं ली हैं. ये विशेषज्ञ जिलों में जाकर सर्वे कर्मियों को कैथी लिपि का प्रशिक्षण दे रहे हैं.

प्राथमिकता के आधार पर यह प्रशिक्षण पहले उन जिलों में दिया जा रहा है जहां पुराने खतियान यानी कैडेस्ट्रल खतियान के आधार पर राजस्व संबंधी सारे कार्य होते हैं. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अब इस लिपि की एक पुस्तिका छपवा कर सर्वे कर्मियों में बांटने का निर्णय लिया है. ये पुस्तिका अमीन, कानूनगो, शिविर प्रभारी के अतिक्ति राजस्व कर्मचारियों, राजस्व अधिकारियों, अंचल अधिकारियों, भूमि सुधार उपसमाहर्ताओं एवं अपर समाहर्ताओं के बीच बांटी जाएगी.

इसके साथ ही इसे सर्वे निदेशालय की वेबसाइट, विभाग के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड करने के अलावा अखबारों में पूरे एक पेज का विज्ञापन भी दिया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों को कैथी में लिखे अपने दस्तावेजों को समझने में सहूलियत हो सके. बिहार के राजस्व भूमि सुधार विभाग के मंत्री दिलीप जायसवाल ने विभाग के अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक कर ये फैसला लिया ताकि भूमि सर्वेक्षण में किसी को परेशानी ना हो.

क्या होती है कैथी लिपि?
बता दें कि कैथी एक ऐतिहासिक लिपि है जिसका उपयोग उत्तर-पूर्व और उत्तर भारत में प्राचीन से मध्यकालीन काल में किया जाता था. इसे ‘कयथी’ या ‘कायस्थी’ भी कहा जाता है. कैथी लिपि का उपयोग बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में जमीन अभिलेख में किया जाता है. कैथी लिपि में लिखने में आसानी होने की वजह से इसे जनलिपि कहा जाता था.

कैथी लिपि में अक्षरों के ऊपर शिरोरेखा नहीं होती और सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं. इसमें ह्रस्व ‘इ’ और दीर्घ ‘ऊ’ की मात्रा नहीं लगाई जाती. इसमें संयुक्त अक्षर जैसे ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र आदि का इस्तेमाल नहीं किया जाता. कैथी लिपि में शब्द या वाक्य नहीं बनाया जाता, इसलिए आज इसे पढ़ने में दिक्कत होती है.

Tags: Bihar News, PATNA NEWS

FIRST PUBLISHED :

October 16, 2024, 15:07 IST

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