आने वाला है टाटा की सबसे बड़ी कंपनी का आईपीओ! लेकिन फंसा हुआ एक पेच

1 month ago

नई दिल्‍ली. टाटा की सभी कंपनियों में हिस्‍सेदारी रखने वाली टाटा संस भी अपना आईपीओ जल्‍द ला सकती है. रिजर्व बैंक के नियमों के तहत उसे अगले साल सितंबर तक बाजार में लिस्‍ट होना जरूरी है. लेकिन, टाटा संस के आईपीओ को लेकर एक पेच फंसा हुआ है और कंपनी को हितों के टकराव के आरोपों का सामना करना पड़ रहा है. ताजा विवाद टाटा ट्रस्‍ट के उपाध्‍यक्ष वेणु श्रीनिवासन को लेकर है, जो रिजर्व बैंक के बोर्ड में भी सदस्‍य बने हुए हैं.

दरअसल, आरबीआई के एसबीआर नियमों के तहत सभी बड़ी एनबीएफसी को शेयर बाजार में लिस्ट होना है. इसकी अंतिम तारीख अगले साल सितंबर तक है. एसबीआर में शामिल 15 कंपनियों में से अधिकतर लिस्ट हो चुकी हैं और कुछ ही बची हैं. इनमें टाटा संस भी है. टाटा संस ने आरबीआई से लिस्टिंग की छूट मांगी है, जिस पर अभी तक फैसला नहीं हुआ है. विश्लेषकों का कहना है कि जब वेणु श्रीनिवासन आरबीआई और टाटा दोनों के बोर्ड में हैं तो यह एक गंभीर मामला है जो सीधे हितों के टकराव को दर्शाता है. फिलहाल टाटा संस आरबीआई के स्केल-आधारित विनियमन (एसबीआर) ढांचे के तहत जरूरी लिस्टिंग से बचने के प्रयास जारी रखे हुए है.

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क्‍यों छिड़ा श्रीनिवासन पर विवाद
14 जून, 2022 को चार साल के कार्यकाल के लिए आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल में नियुक्त श्रीनिवासन पर हितों के संभावित टकराव में शामिल होने का आरोप है. हालांकि, टाटा संस अपने ऋणों को चुकाने और पंजीकरण प्रमाणपत्र के स्वैच्छिक सरेंडर के जरिये लिस्टिंग से बचना चाहती है. आलोचकों का तर्क है कि आरबीआई बोर्ड में श्रीनिवासन की स्थिति नैतिक चिंताओं को जन्म देती है, क्योंकि उनका टाटा ट्रस्ट से जुड़ाव है, जिसका टाटा संस पर महत्वपूर्ण प्रभाव है.

क्‍या है आरबीआई का नियम
स्केल-आधारित विनियमन दिशानिर्देश आरबीआई द्वारा 22 अक्टूबर, 2021 को जारी किए गए थे, जिसमें कुछ एनबीएफसी को स्टॉक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध करने की जरूरत थी. विशेष रूप से एसबीआर ढांचे के अपर लेयर में जो कंपनियां वर्गीकृत हैं, उन्‍हें लिस्‍ट होना जरूरी है. ये दिशानिर्देश 1 अक्टूबर, 2022 से प्रभावी हो गए. आईपीओ फंडिंग पर विशिष्ट निर्देश 1 अप्रैल, 2022 को प्रभावी हो गए और श्रीनिवासन को 14 जून, 2022 को आरबीआई बोर्ड में नियुक्त किया गया था.

आरबीआई की लिस्‍ट में संस का नाम
14 सितंबर, 2023 को आरबीआई ने टाटा संस सहित अपर लेयर में रखी गई 15 एनबीएफसी के नाम जारी किए. ऐसी कंपनियों को सूचीबद्ध करना कॉर्पोरेट गवर्नेंस और वित्तीय क्षेत्र में पारदर्शिता में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है. अपर लेयर में वर्गीकृत कंपनियों में एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, बजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस, एलएंडटी फाइनेंस और टाटा कैपिटल फाइनेंशियल सर्विसेज जैसे नाम हैं. टाटा संस को छोड़कर इन सभी संस्थाओं ने या तो आरबीआई की अनिवार्य लिस्टिंग आवश्यकता का पालन किया है या इसे पूरा करने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.

हो सकता है सबसे बड़ा आईपीओ
बाजार विशेषज्ञों का सुझाव है कि टाटा संस का आईपीओ पर्याप्त शेयरधारक मूल्य को अनलॉक कर सकता है. अनुमान है कि इसकी 5% हिस्सेदारी भी 55,000 करोड़ रुपये से अधिक जुटा सकती है, जो अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ होगा. लिस्टिंग से मौजूदा शेयरधारकों के लिए तरलता बढ़ेगी और टाटा संस की ब्रांड विजिबिलिटी भी बढ़ेगी. जून 2024 तक टाटा भारत का सबसे मूल्यवान ब्रांड बना हुआ है, जिसका मूल्य 28.6 बिलियन डॉलर है.

Tags: Business news, IPO, Ratan tata, Rbi policy, Share market

FIRST PUBLISHED :

October 16, 2024, 13:01 IST

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