नई दिल्ली. मदरसा बंद करने को लेकर बवाल मचा हुआ है. ऐसा माना जा रहा था कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) मदरसे को बंद करने का आदेश दे रही है. लेकिन, बुधवार को NCPCR के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि वह कभी भी मदरसों को बंद करने के पक्ष में नहीं रहे हैं. हमने तो इन संस्थानों को सरकार द्वारा दी जाने वाली धनराशि पर रोक लगाने की सिफारिश की क्योंकि ये संस्थान गरीब मुस्लिम बच्चों को शिक्षा से वंचित कर रहे हैं.
कानूनगो ने कहा कि गरीब पृष्ठभूमि के मुस्लिम बच्चों पर अक्सर धर्मनिरपेक्ष शिक्षा के बजाय धार्मिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए दबाव डाला जाता है. उन्होंने कहा कि वह सभी बच्चों के लिए शिक्षा के समान अवसरों की वकालत करते हैं. शीर्ष बाल अधिकार निकाय एनसीपीसीआर ने एक हालिया रिपोर्ट में मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताई थी तथा सरकार द्वारा उन्हें दी जाने वाली धनराशि तब तक रोकने का आह्वान किया था जब तक वे शिक्षा का अधिकार अधिनियम का अनुपालन नहीं करते.
कानूनगो ने मदरसों की कार्यप्रणाली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए देश के उन कुछ समूहों की आलोचना की जो गरीब मुस्लिम समुदाय के सशक्तीकरण से ‘डरते’ हैं. कानूनगो ने ‘पीटीआई’ से एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमारे देश में एक ऐसा गुट है जो मुसलमानों के सशक्तीकरण से डरता है. उनका डर इस आशंका से उपजा है कि सशक्त समुदाय जवाबदेही और समान अधिकारों की मांग करेंगे.’
कानूनगो ने कहा, ‘हमने मदरसों को बंद करने की कभी वकालत नहीं की. हमारा रुख यह है कि जिस तरह संपन्न परिवार धार्मिक और नियमित शिक्षा में निवेश करते हैं, उसी तरह गरीब पृष्ठभूमि के बच्चों को भी यह शिक्षा दी जानी चाहिए.’ उन्होंने हर सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के बच्चों को समान शैक्षणिक अवसर मुहैया कराए जाने की आवश्यकता पर बल दिया. कानूनगो ने सरकार की जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘यह सुनिश्चित करना सरकार का कर्तव्य है कि बच्चों को सामान्य शिक्षा मिले. सरकार अपने दायित्वों से आंखें नहीं मूंद सकती.’
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FIRST PUBLISHED :
October 16, 2024, 14:58 IST