हाइलाइट्स
पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को 30 अगस्त को धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया गया थाउनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए अकाल तख्त साहिब ने बादल को ‘तनखैया’ करार दिया थाशिअद नेता बादल को गुरुद्वारे में वॉशरूम साफ करने होंगे, झाडू लगानी होगी, बर्तन साफ करने की सजा दी गई है
Sukhbir Singh Badal Declare Tankhaiya: सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था श्री अकाल तख्त साहिब ने शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल को 30 अगस्त को धार्मिक कदाचार का दोषी ठहराया था. उसी समय 2007 से 2017 तक उनकी पार्टी की सरकार द्वारा की गई ‘गलतियों’ के लिए अकाल तख्त ने बादल सहित उनके साथ कैबिनेट में रहे कई सिख नेताओं को ‘तनखैया’ करार दिया था. लेकिन उस समय उनकी सजा का ऐलान नहीं किया गया था. सोमवार को अकाल तख्त साहिब ने पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल को सजा सुनाई. सजा के दौरान बादल सहित कई नेताओं को गुरुद्वारे में वॉशरूम साफ करने होंगे, झाडू लगानी होगी, बर्तन साफ करने होंगे. यहीं नहीं सजा के दौरान उन्हें गले में तख्ती भी लटकाकर रखनी होगी.
प्रकाश बादल को दिया सम्मान वापस लिया
2007 से 2017 तक अकाली दल- बीजेपी गठबंधन सरकार सत्ता में थी और प्रकाश सिंह बादल मुख्यमंत्री थे. श्री अकाल तख्त साहिब ने पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नेता प्रकाश सिंह बादल को दिया फख्र-ए-कौम सम्मान वापस लेने का भी ऐलान किया है. दिसंबर 2011 में उन्हें ये सम्मान दिया गया था. फख्र-ए-कौम सम्मान सिख धर्म की सेवा करने वाले व्यक्ति को दिया जाता है. इसके अलावा अकाल तख्त साहिब ने अकाली दल की वर्किंग कमेटी को आदेश दिया है कि वो तीन दिन के अंदर सुखबीर सिंह बादल का शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष पद से दिया गया इस्तीफा मंजूर करें.
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सुखबीर के साथ इन नेताओं को मिली है सजा
सुखबीर सिंह बादल, सुखदेव सिंह ढींढसा, सुचा सिंह लंगाह, बलविंदर सिंह भुंदड़, दलजीत सिंह चीमा, हीरा सिंह गाबड़िया, गुलजार सिंह रानिके दो दिन मंगलवार और बुधवार को 12 बजे से 1 बजे तक स्वर्ण मंदिर में वॉशरूम की सफाई करेंगे. खराब स्वास्थ्य के कारण बादल और ढींढसा व्हील चेयर पर हैं. अगर ये दोनों लोग सफाई नहीं कर सकते तो उन्हें दो दिन स्वर्ण मंदिर के गेट पर पहरेदारी का काम करना होगा. इनके अलावा जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, सुरजीत सिंह रखड़ा, बिक्रम सिंह मजीठिया, सोहन सिंह थंडल, महेशिंदर सिंह ग्रेवाल, शरणजीत सिंह ढिल्लो, चरणजीत सिंह, आदेश प्रताप सिंह कैरों और जनमेजा सिंह सेखों को भी यही सजा सुनाई गई है.
बादल के फैसलों से सिखों के हितों का नुकसान हुआ
अगस्त में अकाल तख्त के सिंह साहिबान की बैठक के बाद सर्वसम्मति से तनखैया घोषित करने का फैसला लिया गया था. अकाल तख्त साहिब का मानना था कि सुखबीर सिंह बादल जब उपमुख्यमंत्री और शिअद अध्यक्ष थे, तब उन्होंने ऐसे फैसले किए, जिनसे पार्टी प्रभावित हुई और सिखों के हितों को नुकसान पहुंचा. हालांकि बादल ने पंजाब में अकाली दल के सत्ता में रहने के दौरान की गई ‘सभी गलतियों’ के लिए ‘बिना शर्त माफी’ मांगी थी. इससे पहले अपने पत्र में बादल ने कहा था कि वह गुरु के ‘विनम्र सेवक’ हैं और गुरु ग्रंथ साहिब एवं अकाल तख्त के प्रति समर्पित हैं. पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री बादल ने 24 जुलाई को अपना स्पष्टीकरण पेश किया था.
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अकाल तख्त के पास धार्मिक फैसले लेने का अधिकार
सिखों की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने पर दो तरह की सजा का विकल्प है. एक तो कानूनी सजा, जो अदालत सुनाती है. लेकिन यह अपराध भारतीय न्याय संहिता के दायरे में आना चाहिए. दूसरी सजा वो जो श्री अकाल तख्त साहिब से सुनाई जाती हैं. ये एक धार्मिक संस्था है जो धर्म से जुड़े सारे फैसले लेती है. लेकिन ये सिर्फ सिख को ही सजा सुना सकती है. श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई सजा को ही कहा जाता है तनखैया घोषित करना.
क्या मतलब होता है तनखैया का?
सिख धर्म के अनुसार तनखैया का मतलब होता है धार्मिक दुराचार का दोषी. इसकी घोषणा सिख पंथ की सर्वोच्च संस्था करती है. कोई भी सिख अगर धार्मिक तौर पर कुछ गलत करता है तो उसके लिए व्यवस्था है कि वह नजदीकी सिख संगत के सामने उपस्थित होकर अपनी गलती के लिए माफी मांग ले. तब संगत की ओर से पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब की उपस्थिति में उसके अपराध की समीक्षा की जाएगी और फिर उसी के हिसाब से उसके लिए सजा तय की जाएगी. इसके तहत आरोपी को गुरुद्वारों में बर्तन, जूते और फर्श साफ करने जैसी सजाएं सुनाई जाती हैं. साथ ही हर्जाना भी तय किया जाता है. इसके तहत जो सजा दी जाती है, वह मूलरूप से सेवा भाव वाली होती है.
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तनखैया का अर्थ धार्मिक बायकॉट भी है
सिख धर्म के एक जानकार के अनुसार जिसको धर्म से निष्कासित कर दिया जाता है उसको तनखैया कहा जाता है. आरोपी अगर सजा का पालन नहीं करता, तो उसका धर्म से बायकॉट कर दिया जाता है. ऐसे में उसे किसी भी गुरुद्वारे में आने की इजाजत नहीं होती. साथ ही किसी भी पाठ-पूजा में हिस्सा भी नहीं लेने दिया जाता है. इसका मतलब है कि कोई सिख ना तो इससे संपर्क रखे, ना संबंध रखे. न ही इसके यहां शादी जैसे कार्यक्रमों में जाएं और ना ही उसे बुलाएं. यानी उस व्यक्ति का पूरी तरह से सामाजिक बहिष्कार किया जाता है. आम भाषा में कहें तो उसका हुक्का-पानी बंद कर दिया जाता है.
जैल सिंह, बूटा और बरनाला भी हुए हैं तनखैया
लेकिन सुखबीर सिंह बादल पहले ऐसे नेता नहीं हैं, जिनको तनखैया घोषित किया गया है. उनसे पहले भी तमाम दिग्गज नेताओं को इस तरह की सजा मिल चुकी है. इस सजा की सिख धर्म और खासकर पंजाब के राजनैतिक इतिहास में एक खास अहमियत रही है. इस खास अहमियत के चलते इस सूबे के महाराजा और मुख्यमंत्रियों से लेकर राष्ट्रपति तक को अपना सिर अकाल तख्त के सामने झुकाना पड़ा है. पंजाब में सिखों का साम्राज्य कायम करने वाले महाराजा रणजीत सिंह, पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह, पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री सुरजीत सिंह बरनाला को भी तनखैया घोषित किया जा चुका है.
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सजा पूरी होने पर नहीं रहता तनखैया
सिख धर्म की मान्यता के तहत सिख संगत का माफी देने को लेकर रुख बहुत कठोर नहीं है. ये भी जरूरी है कि आरोपी सजा को लेकर किसी तरह की बहसबाजी न करे. सजा पूरी होने पर वो व्यक्ति तनखैया नहीं रहता है. यानी उसकी धार्मिक और सामाजिक जीवन में वापसी हो जाती है. जब सजा समाप्त होती है तो अरदास के साथ यह प्रक्रिया पूरी की जाती है. जैसे पूर्व गृहमंत्री बूटा सिंह ने भी तनखैया होने के बाद माफी मांगी थी. उन्हें सजा मिली थी कि आप दिल्ली के गुरुद्वारा बंगला साहिब जाकर लोगों के जूते साफ किया करें.
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FIRST PUBLISHED :
December 3, 2024, 12:49 IST