आरोपी की रिहाई के खिलाफ सीधे आप या वारिस कर सकता है अपील, SC का ऐतिहासिक फैसला

8 hours ago

Last Updated:August 25, 2025, 06:43 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसले में अपराध के पीड़ितों और उनके वारिसों को दोषमुक्ति के खिलाफ अपील का अधिकार दिया. अब पीड़ित सीधे अपील कर सकते हैं. उन्हें राज्य या शिकायतकर्ता पर निर्भर नहीं र...और पढ़ें

आरोपी की रिहाई के खिलाफ सीधे आप या वारिस कर सकता है अपील, SC का ऐतिहासिक फैसलासुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव किया है.

सुप्रीम कोर्ट ने आपराधिक न्याय व्यवस्था में ऐतिहासिक बदलाव किया है. कोर्ट ने पीड़ितों और उनके कानूनी वारिसों को भी आरोपी के बरी होने के खिलाफ अपील करने का अधिकार दे दिया है. अब तक यह अधिकार सिर्फ राज्य सरकार या शिकायतकर्ता तक ही सीमित था.

जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस केवी विश्वनाथन की सुप्रीम कोर्ट बेंच ने कहा कि जैसे दोषसिद्ध व्यक्ति को सजा के खिलाफ अपील करने का अधिकार है, वैसे ही अपराध पीड़ित को भी दोषमुक्ति, कम सजा या अपर्याप्त मुआवज़े के खिलाफ अपील का समान अधिकार होना चाहिए.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 58 पन्नों के इस ऐतिहासिक फैसले में जस्टिस नागरत्ना ने लिखा, ‘अपराध के पीड़ित का अधिकार उसी स्तर पर रखा जाना चाहिए, जिस तरह दोषसिद्ध व्यक्ति को सीआरपीसी की धारा 374 के तहत अपील का अधिकार मिला हुआ है.’

पीड़ितों और उनके परिजनों का दायरा बढ़ाया गया

कोर्ट ने साफ किया कि अपराध का पीड़ित, चाहे चोटिल हुआ हो या आर्थिक नुकसान उठाया हो, वह अपील कर सकता है. अगर अपील लंबित रहने के दौरान पीड़ित की मौत हो जाती है, तो उसके कानूनी वारिस उसी अपील को आगे बढ़ा सकते हैं. कोर्ट ने कहा, ‘मूल अपीलकर्ता की मृत्यु पर उसके कानूनी उत्तराधिकारी की तरफ से अपील पर मुकदमा चलाने के कानूनी अधिकार में किसी भी प्रकार की कटौती से सीआरपीसी की धारा 372 (जो अपील का अधिकार देती है) का प्रावधान पूरी तरह से निरर्थक हो जाएगा.’

राज्य या शिकायतकर्ता पर निर्भरता खत्म

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब दोषमुक्ति की स्थिति में केवल राज्य या शिकायतकर्ता की अपील पर निर्भर नहीं रहना होगा. अगर पीड़ित चाहे तो वह सीधे तौर पर भी अपील कर सकता है. अदालत ने साफ किया कि इस अधिकार को सीमित नहीं किया जा सकता.

पीठ ने कहा, ‘जब पीड़ित को अपील का अधिकार दिया गया है, तो इसे विशेष अनुमति या अन्य कठोर शर्तों से बांधना संसद की मंशा के विपरीत होगा.’

क्या है पूरा मामला?

दरअसल उत्तराखंड हाईकोर्ट ने वर्ष 2012 में हत्या के आरोप से तीन लोगों को बरी कर दिया था. उन्हें 1992 की हत्या के लिए 2004 में दोषी ठहराया गया था और उन्होंने इसके खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील की थी.

हालांकि इन लोगों को बरी किए जाने के खिलाफ मृतक के बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने अपील पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी. यह फैसला आने वाले समय में आपराधिक मामलों में पीड़ितों की आवाज़ को और मजबूत करेगा.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 25, 2025, 06:00 IST

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