औरंगजेब ने पहले काशी विश्वनाथ मंदिर को दिया था चंदा, फिर क्यों तोड़ा?

1 month ago

Last Updated:March 07, 2025, 18:37 IST

Aurangzeb Controversy: कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि औरंगजेब ने जिस काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे वह केवल धार्मिक कट्टरता का परिणाम नहीं हो सकता. क्योंकि इससे कुछ साल पहले ही औरंगजेब ने ब...और पढ़ें

औरंगजेब ने पहले काशी विश्वनाथ मंदिर को  दिया था चंदा, फिर क्यों तोड़ा?

औरंगजेब ने बनारस के मंदिरों में खूब दान दिया था. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

2 सितंबर 1669 को औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करवाया.आक्रमण से कुछ साल पहले औरंगजेब ने मंदिर को खूब दान दिया था.1669 में बनारस में औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह शुरू हुआ था.

Aurangzeb Controversy: फिल्म छावा के बाद एक बार फिर से औरंगजेब की क्रूरता की चर्चा हो रही है. औरंगजेब वह जिन्न है जो भारत में रह-रह कर सामने आता है. औरंगजेब की क्रूरता के बहाने कुछ लोग अपनी राजनीतिक रोटियां भी सेकते हैं. हालांकि जब हम मुगल शासकों का इतिहास पढ़ेंगे तो यह पाएंगे कि औरंगजेब सच में काफी क्रूर था. उसने राजनीतिक सत्ता पाने के लिए लोगों पर ऐसे-ऐसे जुल्म ढाए जिसे पढ़कर या सुनकर अभी भी रूह कांप जाएगी. इस खबर में हम बात करेंगे विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस की. क्योंकि कभी औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर में चंदा दिया था. फिर ऐसा क्या हुआ कि उसने इसे तोड़ दिया. आइए इतिहास के कुछ किताबों से समझते हैं इस तथ्य को.

मासिर-ए-आलमगीरी इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है. इसे साकी मुस्ताद खान ने औरंगजेब के शासनकाल में ही लिखा था.इस किताब में काशी विश्वनाथ मंदिर और मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि मंदिर के विध्वंस की कहानी दर्ज है. मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में 9 अप्रैल 1669 को एक अहम आदेश जारी किया गया. इसमें हिंदू मंदिर और विद्यालयों को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया. इस आदेश के बाद काशी का विश्वनाथ मंदिर विशेष रूप से निशाने पर आया.2 सितंबर को मुगल सैनिक काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे और इस पवित्र मंदिर पर आक्रमण किया और इसे ध्वस्त कर दिया.

मंदिर विध्वंस के पीछे क्या धार्मिक कट्टरता कारण?
मंदिर विध्वंस के बाद उसी स्थान पर ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण किया गया. हालांकि कुछ इतिहासकार यह भी मानते हैं कि औरंगजेब ने जिस काशी विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश दिए थे वह केवल धार्मिक कट्टरता का परिणाम नहीं हो सकता. क्योंकि इससे कुछ साल पहले ही औरंगजेब ने बनारस के मंदिरों में खूब दान दिया था.

अब ऐसे में सवाल उठता है कि जब औरंगजेब ने विश्वनाथ मंदिर को चंदा दिया था तो कुछ साल बाद ऐसा क्या हुआ कि देश के सबसे धार्मिक केंद्र के रूप में पहचान रखने वाले काशी में हिंदूओं के मंदिर को तोड़ने का आदेश दे दिया. इस सवाल का जवाब रिचर्ड ईटन की किताब इंडिया इन द पर्शियन एज में मिलता है.

क्या है विश्वनाथ मंदिर के विध्वंस के पीछे की कहानी?
दरअसल 1669 में बनारस में औरंगजेब के खिलाफ विद्रोह शुरू हो गया. इस विद्रोह का नेतृत्व कोई और नहीं बल्कि वही जमींदार कर रहे थे जो छत्रपति शिवाजी महराज से प्रभावित थे. उस समय छत्रपति शिवाजी महराज औरंगजेब के लिए बड़ी मुसीबत बने हुए थे. वो एक स्वतंत्र मराठा राज्य के लिए संघर्ष कर रहे थे. इसी कोशिश में उन्होंने मुगलों के इलाकों में कई हमले किए थे.

बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि इसी विद्रोह से नाराज होकर औरंगजेब ने बनारस के मंदिरों को ध्वस्त करने का आदेश दे दिया. रिचर्ड ईटन अपनी किताब में लिखते हैं, ‘औरंगजेब ने अपने इस आदेश में काशी विश्वनाथ को इसलिए चुना क्योंकि इसे राजा मान सिंह द्वारा बनवाया गया था. औरंगजेब को सूचना मिली थी कि राजा मान सिंह के परपोते ने छत्रपति शिवाजी महराज को औरंगजेब की कैद से भागने में मदद की थी. इसलिए औरंगजेब ने काशी विश्वनाथ पर आक्रमण कर इसके विध्वंस के जरिए राजा मान सिंह के परिवार से बदला लेने की योजना बनाई. इस दौरान मंदिर तो तोड़ा ही गया. कई लोगों की निर्मम हत्या भी की गई.’

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

March 07, 2025, 18:37 IST

औरंगजेब ने पहले काशी विश्वनाथ मंदिर को दिया था चंदा, फिर क्यों तोड़ा?

Read Full Article at Source