कोल्‍हान रीजन क्‍या है जिसको लेकर BJP और चंपई में बात बनी, ऐसी क्‍या बात है?

3 weeks ago

हाइलाइट्स

कोल्हान टाइगर नाम से जाने जाते हैं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन.2020 विधान सभा चुनाव में कोल्हान क्षेत्र में जेएमएम ने बड़ी जीत हासिल की.विधान सभा चुनाव 2020 में कोल्हान क्षेत्र के 3 जिलों में भाजपा को शून्य सीट.

रांची. कोलहान टाइगर… चंपई सोरेन को झारखंड की राजनीति में इसी नाम से जाना जाता है. दिशोम गुरु शिबू सोरेन के सबसे करीबी और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक सदस्यों में से एक चंपई सोरेन अब भारतीय जनता पार्टी जॉइन करने जा रहे है. 30 अगस्त को चंपई सोरेन के साथ लोबिन हेंब्रम भी बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर सकते हैं. बता दें कि झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कद्दावर आदिवासी नेता चंपाई सोरेन ने सोमवार (26 अगस्त) को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इस बैठक में झारखंड बीजेपी के प्रभारी असम के सीएम हेमंत बिस्व सरमा भी मौजूद थे. इसके साथ ही यह भी साफ हो गया कि वह भाजपा में शामिल होंगे. असम सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर यह जानकारी साझा की कि चंपाई सोरेन 30 अगस्त को रांची में आधिकारिक रूप से भाजपा में शामिल होंगे. कहा जा रहा है कि चंपई सोरेन के भाजपा में आने से इस क्षेत्र की राजनीति भाजपा के पक्ष में झुक जाएगी.

इससे पहले कि हम कोल्हान क्षेत्र और वहां की राजनीति के बारे में विस्तार से जानें हम यह जानते हैं कि आखिर चंपई सोरेन ने करीब पांच दशक का जेएमएम का सफर छोड़ने का फैसला क्यों किया. बता दें कि हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद विगत 2 फरवरी 2024 को चंपई सोरेन झारखंड के 7वें सीएम बने थे. गत 3 जुलाई 2024 तक उन्होंने इस पद पर कार्य किया. हेमंत सोरेन के जेल से बाहर आने के बाद चंपाई सोरेन को पद छोड़ना पड़ा था. इसको लेकर हाल में उन्होंने कहा था कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनको घोर अपमान का सामना करना पड़ा और इसी वजह से उनको अलग रास्ता चुनने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

चंपई सोरेन ने यह भी आरोप लगाया था कि जुलाई के पहले हफ्ते में उनके सभी सरकारी कार्यक्रम पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें बिना अचानक रद्द कर दिए गए थे. जब उन्होंने वजह पूछी तो अधिकारियों ने बताया कि तीन जुलाई को पार्टी विधायकों की बैठक है. तब तक वे किसी सरकारी कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सकते हैं. इसके बाद चंपाई सोरेन ने घोषणा की थी कि वह जल्द ही अपने अगले राजनीतिक कदम पर फैसला करेंगे. वह राजनीति नहीं छोड़ेंगे और उनके लिए नया सियासी दल बनाने का विकल्प हमेशा खुला है. हां, यदि रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिल गया तो उसके साथ भी आगे बढ़ सकते हैं. उनके इस बयान के बाद से ही उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रहीं थीं.

कोल्हान टाइगर को पाले में कर बीस पड़ेगी भाजपा!
बता दें कि झामुमो नेता और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा पर उनकी पार्टी के नेताओं को लुभाने का आरोप लगाया था. खास तौर पर कोल्हान क्षेत्र को लेकर भाजपा अधिक आतुर कही जा रही है. दरअसल, इसकी बड़ी वजह है यह है कि कोल्हान मंडल में तीन जिले पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां और पश्चिमी सिंहभूम आते हैं. इन तीनों जिलों में 14 विधानसभा सीटें हैं और चंपई सोरेन का बहुत प्रभाव है. इस क्षेत्र में अभी जेएमएम के पास ऐसा कोई नेता नहीं है, जो चंपई सोरेन का विकल्प बन सके. बता दें कि चंपई की संगठनात्मक क्षमता का झारखंड मुक्ति मोर्चा को फायदा मिलता रहा है.

चंपई के कंधे पर सवार जेएमएम को लगेगा झटका!
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी इस क्षेत्र में मजबूत आदिवासी नेता की तलाश रही है. अब चंपई के कंधे पर सवार होकर बीजेपी झारखंड की 81 विधानसभा सीटों में से इस इलाके की 14 सीटों पर अपनी पकड़ मजबूत कर सकती है. यहां यह भी बता दें कि इससे पहले एनडीए सरकार का भी हिस्सा रहे हैं. वे सितंबर 2010 से जनवरी 2013 तक एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे हैं. 2019 में परिवहन और पिछड़ा कल्याण मंत्री भी रहे हैं. इसका अर्थ यह है कि भाजपा से इनकी ट्यूनिंग पहले से बनी हुई है.

पूर्वी सिंहभूम की छह की छह सीटों पर बीजेपी हारी
कोल्हान प्रमंडल के पूर्वी सिंहभूम में छह सीटें हैं. इनमें बहरागोड़ा, घाटशिला, पोटका, जुगसलाई, जमशेदपुर (पूर्व) और जमशेदपुर (पश्चिम) में 2020 के चुनाव में इन छह सीटों में से चार सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने चुनाव जीता था. एक सीट जमशेदपुर (वेस्ट) में कांग्रेस के बन्ना गुप्ता और जमशेदपुर (ईस्ट) से बीजेपी के बागी निर्दलीय सरयू राय ने जीत हासिल की थी. बड़ी बात यह थी कि इस क्षेत्र से तत्कालीन सीएम रघुबर दास को हार मिली थी और बीजेपी का खाता नहीं खुल सका था. यानी कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम से भाजपा पूरी तरह साफ हो गई थी.

कोल्हान के खरसांवा और पश्चिमी सिंहभूम में बीजेपी साफ
वहीं, कोल्हान के सरायकेला खरसावां जिले में भी तीन विधानसभा सीटें हैं. इनमें ईचागढ़, खरसावां, सरायकेला पर भी 2020 में जेएमएम ने ही जीत प्राप्त की थी. इसके साथ ही पश्चिमी सिंहभूम की चाईबासा, मझगांव, जगन्नाथपुर, मनोहरपुर, चक्रधरपुर की पांच विधानसभा सीटों पर 2020 के चुनाव में चार सीटें जेएमएम ने जीती थी. वहीं, एक सीट जगन्नाथपुर में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. यानी कोल्हान इलाके की 14 विधानसभा सीटों में से जेएमएम ने 11, दो कांग्रेस ने जीतीं और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी. यानी भाजपा को बहुत बड़ा झटका लगा था.

2020 विधानसभा चुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ था
बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव 2020 में झारखंड मुक्ति मोर्चा को 30 सीटें मिली थी जिनमें अकेले कोल्हान से ही 11 सीटें जीती थीं. वहीं कांग्रेस को 16, आरजेडी को एक, कम्युनिस्ट पार्टी को एक, एनसीपी को एक सीट मिली थी. वहीं, झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) को 3, बीजेपी को 25, आजसू पार्टी को 2 और निर्दलीयों ने दो सीटों पर जीत हासिल की थी. ऐसे में भाजपा गठबंधन बहुमत से दूर रह गई थी. हेमंत सोरेन की जेएमएम ने बीजेपी के सारे समीकरणों पर पानी फेर दिया था. जाहिर तौर पर इसका एक बड़ा फैक्टर चंपई सोरेन भी रहे थे जिन्होंने कोल्हान में जेएमएम को बड़ी जीत दिलाने में अपनी भूमिका निभाई थी.

कोल्हान में भाजपा की राजनीति चंमकाएंगे चंपई!
राजनीति के जानकार कहते हैं कि अब जब चंपई सोरेन भाजपा के साथ होंगे तो कोल्हान क्षेत्र की 14 सीटों पर गहरा असर पड़ेगा. आदिवासी बहुल इस क्षेत्र में आदिवासी सेंटिमेंट हावी रहेगा और कोल्हान टाइगर के अपमान का मुद्दा भाजपा जरूर भुनाने की कोशिश करेगी. अगर कोल्हान से भाजपा को अच्छा समर्थन मिल पाया तो जिस तरह से बीजेपी का शहरी क्षेत्रों में प्रभाव है इससे झारखंड विधानसभा चुनाव में भाजपा गठबंदन को जीत प्राप्त हो सकती है. कम से कम भाजपा के नेता तो ऐसा अब से ही सोचने लगे हैं.

FIRST PUBLISHED :

August 27, 2024, 18:20 IST

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