कौन थे वो 6 महारथी जो रामायण काल में थे और फिर महाभारत युग में भी

2 days ago

हाइलाइट्स

ये छह दिग्गज रामायण में भी खास थे और फिर महाभारत में भीभीम और अर्जुन का क्या था भीम से रिश्ता जामवंत ने क्यों कृष्ण से किया था युद्ध

रामायण और महाभारत के बीच समय में बहुत बड़ा अंतर है. अगर शोध और खगोलीय गणनाओं की बात करें तो ये फासला करीब 2000 सालों का था. इतने लंबे समय के बाद भी कुछ दिग्गजों को दोनों में मौजूद बताया जाता है. यानि ये लोग रामायण के दौर में भी थे और तब भी जब महाभारत काल चल रहा था. ये एक दो लोग नहीं बल्कि कई लोग थे. उसमें वीर थे और संन्यासी भी.

रामायण का काल त्रेतायुग में माना जाता है. आधुनिक शोध और खगोलीय गणनाओं के अनुसार, रामायण का काल लगभग 5000 ईसा पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व के बीच माना जाता है. कुछ शोधकर्ताओं ने रामायण में वर्णित खगोलीय घटनाओं (जैसे ग्रहण और ग्रह स्थितियाँ) के आधार पर यह समय 5114 ईसा पूर्व के आस-पास बताया है.

महाभारत का काल द्वापरयुग में माना जाता है, जो त्रेतायुग के बाद और कलियुग से पहले आता है. महाभारत युद्ध के समय को खगोलीय घटनाओं (जैसे सूर्यग्रहण, चंद्रग्रहण, और नक्षत्रों की स्थिति) के आधार पर आधुनिक वैज्ञानिकों ने 3138 ईसा पूर्व से 3102 ईसा पूर्व के बीच बताया गया है.

रामायण और महाभारत दोनों में कई ऐसे पात्र हैं, जो दोनों युगों में मौजूद थे. ये पात्र अक्सर अपनी अमरता या फिर लंबी आयु के कारण दोनों युगों के साक्षी बने.

हनुमान ने रामायण काल में खास भूमिका अदा की तो महाभारत में भी भीम और अर्जुन से उनका रहा रिश्ता. (विकीकामंस)

हनुमान 
हनुमान जी के बारे में कहा जाता है कि वो अमर हैं. रामायण के दौरान थे तो महाभारत में तो उनके कई किस्से कहानियां मिलती हैं. उनकी भीम और अर्जुन से जुड़ी हुई कई घटनाओं का वर्णन महाभारत में है. रामायण दौर में तो वह राम के प्रमुख महारथी थे. दोनों युगों में उनकी मौजूदगी पुख्ता तौर पर मिलती है. भीम जब द्रौपदी के लिए दुर्लभ फूल लेने निकलते हैं तब रास्ते में भीम से उनकी मुलाकात होती है. वहीं भीम महाभारत युद्ध के दौरान अर्जुन के रथ पर विराजमान रहते हैं.

जामवंत ने महाभारत काल में कृष्ण से युद्ध किया लेकिन फिर युद्ध रोककर हार मान ली. (विकी कामंस)

जामवंत
आप बेशक हैरान हो रहे हों लेकिन रामायण दौर में राम की सेना के प्रमुख योद्धा और रणनीतिकार जामवंत भी दोनों युग में मौजूद थे. अगर वह रामायण काल में वानर सेना के प्रमुख योद्धा थे तो महाभारत में उन्होंने श्रीकृष्ण से युद्ध किया था. उन्हें अमर बताया जाता है. युद्ध के अंत में जब जामवंत श्रीकृष्ण के दिव्य स्वरूप को पहचान गए तो उन्होंने युद्ध रोक दिया. उन्होंनें समझ लिया कि यह वही भगवान राम हैं, जिनकी उन्होंने त्रेतायुग में सेवा की थी. ये युद्ध एक मणि को लेकर हुआ था. जिसे चुराने का आरोप कृष्ण पर लगा था.

परशुराम
परशुराम को विष्णु का छठा अवतार कहा जाता है. रामायण में उनका जिक्र तब आता है जबकि राम सीता के स्वयंकर में शिव धनुष तोड़ते हैं तो परशुराम क्रोधित होकर उन्हें चुनौती देते हैं. इसके बाद उनके महाभारत काल में भी जीवित रहने का जिक्र आता है. हालांकि महाभारत काल में उनकी भूमिका सीमित है.
जब द्रोणाचार्य सभी राजकुमारों को अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दे रहे थे, तब उन्होंने परशुराम से भी शिक्षा ली थी. परशुराम ने द्रोणाचार्य को अपना सभी ज्ञान दान कर दिया था. एक बार भीष्म और परशुराम के बीच युद्ध हुआ. ये युद्ध बहुत लंबा चला. आखिरकार दोनों ने युद्ध रोकने का फैसला किया. परशुराम ने कर्ण को भी अस्त्र-शस्त्र का ज्ञान दिया. बाद में जब उन्हें पता चला कि कर्ण क्षत्रिय हैं, तो कर्ण को श्राप भी दिया.

दुर्वासा ऋषि अगर रामायण काल में थे तो महाभारत में भी. वह बहुत जल्दी क्रोधित होते थे और श्राप दे देते थे. (विकीकामंस)

दुर्वासा ऋषि
दुर्वासा भी दोनों काल में रहे. वह अपने क्रोध के लिए जाने जाते थे. दुर्वासा ऋषि ने सीता को एक फूल दिया था. कहा था कि इसे हमेशा अपने पास रखें. जब सीता ने अचानक फूल को तोड़ दिया तो दुर्वासा ऋषि बहुत क्रोधित हुए. उन्होंने श्राप दिया कि सीता को वनवास जाना पड़ेगा.

महाभारत में भी दुर्वासा ऋषि की भूमिका महत्वपूर्ण है. वे कई बार कौरवों और पांडवों के जीवन में हस्तक्षेप करते हैं. उन्हें श्राप देते हैं. दुर्वासा ऋषि ने एक बार द्रौपदी का अपमान किया था, जिसके कारण द्रौपदी बहुत दुखी हुईं. पांडवों के वनवास के दौरान भी वह द्रौपदी से कहते हैं कि उनके लिए भोजन तैयार रखें. वह शिष्यों के साथ स्नान करके इसे ग्रहण करेंगे.

नारद दोनों युग में संदेश वाहक की भूमिका में दिखते हैं और हर जगह मौजूद दिखते हैं. (विकी कामंस)

नारद मुनि
वह दोनों महाकाव्यों में एक संदेशवाहक के रूप में दिखाई देते हैं. सभी देवी-देवताओं के बीच संदेश ले जाते थे. रामायण में नारद मुनि अक्सर देवताओं और ऋषियों के बीच संदेश ले जाते हैं. वे राम और सीता को उनके विवाह के बारे में सूचित करते हैं. रावण के अत्याचारों के बारे में भी देवताओं को बताते हैं.
महाभारत में भी नारद मुनि संदेशवाहक की भूमिका निभाते हैं. वे कौरवों और पांडवों के बीच संदेश ले जाते हैं. युद्ध के बारे में सूचना देते हैं.

विभीषण
रामायण में वह रावण के छोटे भाई थे लेकिन राम के भक्त थे. वह महाभारत काल में भी जीवित थे. उन्होंने राम को रावण को पराजित करने में मदद की. फिर लंका के राजा बने. उन्हें अमरत्व का वरदान प्राप्त था.

Tags: Lord Hanuman, Mahabharat, Ramayan

FIRST PUBLISHED :

January 1, 2025, 13:18 IST

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