President Can Pardoned Death Sentence: पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास लंबित है. सरकार द्वारा 2019 में गुरु नानक देव जी की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में उसकी जान बख्शने का फैसला किया गया था. बलवंत सिंह राजोआना 28 साल से जेल में बंद है. अब वह जेल से रिहाई की मांग कर रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति से आग्रह किया है कि वो दो सप्ताह के भीतर राजोआना की दया याचिका पर फैसला करें.
राष्ट्रपति इस मामले में क्या फैसला करती हैं, ये तो समय आने पर ही पता लगेगा. लेकिन इससे इतर ये जान लीजिए कि अब देश में कितनी दया याचिकाएं दायर की गई हैं. साल 1950 में संविधान लागू होने के बाद से अब तक सभी राष्ट्रपतियों के सामने 440 दया याचिकाएं दायर हो चुकी हैं. इनमें से 308 दया याचिकाओं को स्वीकार कर लिया गया और दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया.
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मुर्मू ने खारिज की आतंकी आरिफ की याचिका
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लाल किले हमले में शामिल आतंकी आरिफ की दया याचिका खारिज कर दी थी. यह उनके पदभार ग्रहण करने के बाद दूसरा ऐसा मौका था जब उन्होंने किसी की दया याचिका खारिज की थी. सुप्रीम कोर्ट ने भी 3 नवंबर, 2022 को आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी. कोर्ट ने उसके अपराध के लिए मौत की सजा को बरकरार रखा था.
राष्ट्रपति के पास है क्षमादान का अधिकार
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत, दोषी व्यक्ति राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दे सकता है. राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का मकसद, दोषी को राष्ट्रपति से माफी मांगने या सजा कम करने के लिए समय देना होता है. राष्ट्रपति, अस्थायी रूप से किसी सजा पर रोक लगा सकते हैं. राज्यों के राज्यपालों को भी क्षमादान देने का अधिकार है. यह अधिकार उन्हें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत मिला हुआ है. राष्ट्रपति इस पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह लेता है, लेकिन अंतिम फैसला पूरी तरह से उनके विवेक निर्भर करता है. भारत में दया याचिका कानूनी प्रक्रिया की अंतिम सीढ़ी है. अगर राष्ट्रपति किसी दोषी की दया याचिका खारिज कर देता है तो उसके पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचता है.
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कोविंद ने खारिज कीं सभी याचिकाएं
देश के 14वें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने अपने सामने आईं सभी दया याचिकाओं को खारिज कर दिया था. सबसे पहले उन्होंने जिला वैशाली (बिहार) के छह लोगों के हत्यारे जगत राय की दया याचिका खारिज कर दी. जगत राय ने एक महिला को उसके 5 बच्चों को घर के अंदर बंद करके आग लगाकर मार डाला था. कोविंद के सामने निर्भया हत्याकांड के चार मुजरिम मुकेश सिंह, विनय शर्मा, पवन गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह की दया याचिकाएं भी आईं, जो उन्होंने खारिज कर दीं. उन चारों को एक साथ तिहाड़ जेल में फांसी के फंदे पर लटकाया गया था. कोविंद ने अपने कार्यकाल में अंतिम दया याचिका संजय की खारिज की थी. संजय को जुलाई 2006 में मृत्युदंड की सजा दी गई थी.
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किसके पास पहुंची सबसे ज्यादा याचिकाएं
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पास सबसे अधिक दया याचिकाएं पहुंची. अपने कार्यकाल में राजेंद्र प्रसाद को 181 दया याचिकाएं मिली थीं. यह अन्य किसी राष्ट्रपति के पास पहुंचीं दया याचिकाओं के मुकाबले सबसे ज्यादा हैं. डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने 180 दया याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. उन्होंने केवल एक दया याचिका खारिज की. डॉ. राजेंद्र प्रसाद के बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन, जाकिर हुसैन और वीवी गिरी ने राष्ट्रपति पद की शोभा बढ़ाई. राधाकृष्णन के सामने 57, जाकिर हुसैन के सामने 22 और वीवी गिरी के सामने तीन दया याचिकाएं आईं. इन तीनों ने अपने पास आई सभी याचिकाओं में फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.
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वेंकटरमण ने खारिज की सबसे ज्यादा याचिकाएं
देश के चौथे राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के पास एक भी दया याचिका नहीं आई. अगले राष्ट्रपति एन संजीव रेड्डी के पास भी कोई दया याचिका नहीं आई. चर्चित राष्ट्रपतियों में शामिल रहे जैल सिंह के पास कुल 32 याचिकाएं आईं और उन्होंने इसमें से केवल दो याचिकाओं को स्वीकार किया और बाकी 30 याचिकाओं को खारिज कर दिया. अगले राष्ट्रपति आर वेंकटरमण ने 50 में से 45 याचिकाएं रद्द कीं जो सबसे अधिक हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 20, 2024, 16:15 IST