क्यों द्रौपदी के पिता नहीं चाहते थे बेटी के हों पांच पति,किसे चाहते थे दामाद

3 days ago

हाइलाइट्स

द्रौपदी से विवाह के लिए हुए स्वयंवर को अर्जुन ने जीता थाजब द्रौपदी को पांच पतियों की पत्नी बनना पड़ा तो द्रुपद इससे सहमत नहीं थेइस विवाह को स्वीकार नहीं कर पाने के कारण ही वह महर्षि व्यास के पास भी गए

जब पांचाल नरेश राजा द्रुपद को मालूम हुआ कि स्वयंवर जीतकर बेटी द्रौपदी से विवाह करने वाले अर्जुन हैं तो वह खुश हो गए लेकिन जब उन्हें ये पता लगा कि बेटी के एक नहीं बल्कि पांच पति होंगे यानि पांचों पांडव भाई उसके पति बनेंगे तो वह इस रिश्ते के लिए तैयार नहीं थे. उन्होंने ना केवल इसका विरोध किया बल्कि ऐसे रिश्ते को बनने से रोकने के लिए महर्षि व्यास से बात भी की.

पांचाल राज्य के राजा द्रुपद ने बेटी द्रौपदी के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन किया. जिसमें अर्जुन ने घूमती मछली की आंख में तीर मारकर इसे जीत लिया. जब राजा द्रुपद को मालूम चला कि अर्जुन ने ये स्वंयवर जीता है तो वह खुश हो गए. वह बहुत पहले से द्रोणाचार्य से बदला लेने के लिए उन्हें अपना दामाद बनाना चाहते थे लेकिन जब से पता लगा कि कुंती की एक बात के बाद अब बेटी के पति पांचों पांडव होंगे तो ये रिश्ता उन्हें स्वीकार नहीं था.

ये जानकर ही कि उनकी बेटी द्रौपदी एक नहीं बल्कि पांच लोगों की पत्नी बनने जा रही है तो वह बुरी तरह से अपसेट हो गए. उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें, कैसे इस रिश्ते को बनने से रोकें. पहले तो उन्होंने द्रौपदी को समझाया लेकिन वह नहीं मानी. उसका कहना था कि वह अब वही करेगी जो उसके भाग्य में है.

जब द्रौपदी के पिता को ये मालूम हुआ कि बेटी पांचों पांडवों की साझी बीवी बनेगी तो वह दुखी हो गए. उन्हें ये रिश्ता मंजूर नहीं था. (image generated by Leonardo AI)

महाभारत के दौर में भी समाज में एक पत्नी का एक ही पति होता था, दूसरे के बारे में सोचा ही नहीं जा सकता था. ऐसे में किसी स्त्री के पांच पति बनें, ये हैरानी वाली ही बात थी. ये बात तब जिसने भी सुनी, वो हैरत में पड़ गया. यही स्थिति द्रौपदी के पिता द्रुपद की हुई. हालांकि महाभारत में इसका बहुत विवरण नहीं है.

तब द्रौपदी के पिता द्रुपद स्तब्ध रह गए
जब राजा द्रुपद को उनके गुप्तचरों ने बताया कि स्वयंवर जीतने वाला शख्स कोई ब्राह्मण नहीं बल्कि अर्जुन थे तो वह बहुत खुश हुए. उन्हें महसूस हुआ कि अब वो अर्जुन के जरिए द्रोणाचार्य से बदला ले सकेंगे, जो उनके बचपन के मित्र थे लेकिन बाद में दुश्मन बन गए. उनसे आधा राज्य जीत लिया. लेकिन इसके बाद जब राजा द्रुपद को ये पता लगा कि केवल अर्जुन नहीं बल्कि पांचों पांडव उनकी बेटी के पति बनेंगे तो वह क्षुब्ध हुए और स्तब्ध भी. उन्हें समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करें.

पांचाल नरेश द्रुपद ये तो चाहते थे कि अर्जुन उनके दामाद बने लेकिन पांचों पांडव एकसाथ उनकी बेटी के पति बनेंगे, ये बात उस जमाने के हिसाब से भी बहुत बेमेल थी. (image generated by Leonardo AI)

वह नहीं चाहते थे कि बेटी पांच पतियों की साझी बीवी बने
द्रुपद ने द्रौपदी को केवल अर्जुन के लिए तैयार किया था, क्योंकि उनका मानना था कि अर्जुन ही एकमात्र ऐसा वीर है, जो उसकी कन्या का पति बनने के योग्य था. वह पांडवों साथ बेटी के विवाह से संतुष्ट नहीं थे, क्योंकि ये बात उनकी पारंपरिक सोच के भी खिलाफ थी. इसके लिए वह महर्षि व्यास की शरण में पहुंचे ताकि जानें कि ऐसा क्यों हो गया, क्या इसे बदला जा सकता है.

भगवान कृष्ण ने इसे शादी को आर्शीवाद दे दिया
जब द्रौपदी ने पांचों पांडवों को पति के तौर पर वरण करने के लिए सहमति जाहिर कर दी तो द्रुपद को यह स्थिति और अजीब हो गई. इस विवाह की घटना ने एक नया मोड़ तब और ले लिया, जब भगवान कृष्ण ने द्रौपदी को पांचों पांडवों के साथ एक विशेष संबंध के रूप में आशीर्वाद दिया.

द्रौपदी से पांचों पांडवों की शादी नहीं हो, इसके लिए राजा द्रुपद महर्षि व्यास के पास गए लेकिन उन्होंने जो बात बताई उसके बाद राजा द्रुपद को लगा कि यही द्रौपदी के भाग्य में है. (image generated by Leonardo AI)

तब राजा द्रुपद महर्षि व्यास की शरण में गए
द्रौपदी के पिता राजा द्रुपद के मन में संशय जरूर था कि ऐसा क्यों हुआ. एक पिता होने के नाते वह अपनी पुत्री की सहमति के खिलाफ नहीं जा सकते थे लेकिन माना जा सकता है कि उन्होंने अपनी बेटी को समझाने की कोशिश की होगी. फिर उन्होंने महर्षि व्यास से मदद लेने की कोशिश की.

क्या कहा व्यास ने तब
वह महर्षि व्यास के पास गए. उनसे पूछा कि ऐसा क्यों हो गया, क्या इसे बदला जा सकता है. तब महर्षि व्यास ने उन्हें बताया कि ऐसा क्यों हो गया. उन्होंने द्रुपद को बताया कि द्रौपदी को पूर्व जन्म में भगवान शिव से पांच पति होने का वरदान प्राप्त हुआ था. महर्षि व्यास के समझाने पर द्रुपद अपनी बेटी द्रौपदी का पांचों पांडवों के साथ विवाह पर राजी हो गए.

कौन था राजा द्रुपद का पसंदीदा दामाद
वैसे अगर पूछा जाए कि कौन था राजा द्रुपद का सबसे पसंदीदा दामाद कौन था. तो इसका जवाब यही है कि उन्हें सबसे ज्यादा अर्जुन पसंद थे. महाभारत के अनुसार, अर्जुन और द्रुपद के बीच एक विशेष संबंध था, जो पहले तो शत्रुता के रूप में था, फिर मित्रता में बदल गया. द्रुपद का मानना था कि अर्जुन में महान क्षमता है.

हालांकि यह कहना कि राजा द्रुपद पांडवों में सबसे ज्यादा अर्जुन को पसंद करते थे, पूरी तरह सच नहीं है. द्रुपद के लिए पांडवों से उनका रिश्ता बदले की भावना से ज्यादा कुछ नहीं था. चूंकि द्रोणाचार्य के कारण ही द्रुपद को आधा राज्य गंवाना पड़ा था, ये काम द्रोणाचार्य के लिए अर्जुन और पांडवों ने किया था तो वो अब अर्जुन से रिश्ता बनाकर खोए हुए आधे राज्य को वापस लेना चाहते थे.

Tags: Mahabharat

FIRST PUBLISHED :

December 31, 2024, 12:57 IST

Read Full Article at Source