गाँव की विरासत है अनोखी चारपाई, जबरदस्त कारीगरी की अनूठी पहचान 

4 days ago

भरतपुर के नगला भाड़ गाँव में एक ऐसी चारपाई है.जो वर्षों बाद भी अपनी मजबूती और अनोखी कारीगरी के कारण चर्चा में बनी हुई है.यह कोई आम चारपाई नहीं बल्कि पुरखों के समय की वह धरोहर है.जो आज भी उतनी ही मजबूत और टिकाऊ है.जितनी इसे बनाते समय रही होगी गाँव के बुजुर्गों के अनुसार यह चारपाई उनके पूर्वजों द्वारा बनाई गई थी 

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भरतपुर के नगला भाड़ गाँव में एक ऐसी चारपाई है.जो वर्षों बाद भी अपनी मजबूती और अनोखी कारीगरी के कारण चर्चा में बनी हुई है. यह कोई आम चारपाई नहीं बल्कि पुरखों के समय की धरोहर है.

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जो आज भी उतनी ही मजबूत और टिकाऊ है. जितनी इसे बनाते समय रही होगी गाँव के बुजुर्गों के अनुसार यह चारपाई उनके पूर्वजों द्वारा बनाई गई थी और इसे बनाने में विशेष रूप से देशी बबूल और शीशम की मजबूत लकड़ी का उपयोग किया गया था

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इस चारपाई की बुनाई इतनी सघन और मजबूत है एक साथ पाँच लोग भी इस पर आराम से सो सकते हैं. समय के साथ जहाँ आधुनिक फर्नीचर और मशीनों से बनी चीजें कमजोर होती जा रही हैं.

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वहीं यह चारपाई आज भी अपनी मजबूती के लिए जानी जाती है. इसकी सबसे खास बात यह है कि न तो यह चरमराती है.और न ही अपनी बनावट में कोई कमी आने देती है. गाँव के लोगों के लिए यह चारपाई केवल एक बिस्तर भर नहीं है.

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बल्कि उनकी परंपरा और हस्तकला की निशानी है.यह उन दिनों की याद दिलाती है.जब चीजें केवल दिखावे के लिए नहीं बल्कि टिकाऊ और उपयोगी बनाने के लिए बनाई जाती थीं गाँव के बड़े-बुजुर्ग इस चारपाई को देखकर गर्व महसूस करते हैं.

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आज के समय में जब मशीनों से बनी चीजों की उम्र बहुत कम हो गई है.तब नगला भाड़ की यह चारपाई टिकाऊपन और गुणवत्ता का प्रतीक बन चुकी है.गाँव वाले इसे बड़े गर्व से दिखाते हैं. और कहते हैं.ऐसी चीजें अब कहाँ बनती हैं.

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