रांची. झारखंड में नल जल योजना में बड़ा खेल का खुलासा हर दिन हो रहा है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के दावे और हकीकत में बड़ा फर्क है. सरकार की माने तो लोगों को नल से जल की आपूर्ति हो रही है. सरकारी कागजात और आंकड़े भी यही बयां करते है, जबकि हकीकत में योजना शुरू होने के साथ ही दम तोड़ चुकी है. इससे पहले भी नामकुम प्रखंड की हकीकत का खुलासा न्यूज 18 ने किया था. आज बारी रांची के कांके प्रखंड की है. कांके प्रखंड के उलातू पंचायत के सोसो गांव में नल जल योजना की जमीनी सच्चाई जान कर आप हैरान रह जाएंगे.
इस पंचायत के कई गांव में नल जल योजना के तहत स्टैंड पोस्ट और वाटर टैंक आपको देखने को मिल जाएगा. आपको देखकर शायद ऐसा लगे कि पेयजल स्वच्छता विभाग की नल जल योजना का सपना साकार हो रहा है. लेकिन, आपका यह भ्रम पल भर में टूट जाएगा. यहां योजना उदघाटन के 15 दिन से लेकर तीन माह के अंदर ही नल से जल का आना बंद हो गया.
‘नल शो पीस से ज्यादा कुछ नहीं’
सोसो गांव की सुषमा देवी में योजना के नाम पर सूखे नल और वाटर टैंक की ओर इशारा करते हुए कहती हैं कि ये मेरे और मेरे गांव वालों के लिए किसी काम का नहीं है. ना तो सरकार की नल-जल योजना से उन्हें शुद्ध जल मिलता है और ना ही दूषित जल. सोसो गांव के लिए ये योजना शो पीस से ज्यादा कुछ नहीं. दामों टोप्पो सरकार की योजना से इतनी नाराज है कि वो नल जल योजना को लाभुकों के साथ धोखा बता रही है. उनके अनुसार ऐसी योजना का क्या फायदा जो प्यास बुझाने के बजाय उन्हें चिढ़ाती है.
‘ठेकेदार पचा गए राशि’
वहीं गांव की बसंती देवी कहती हैं कि नल जल योजना के ठेकेदार उन्हें बेवकूफ बना कर सरकारी राशि पचा गए. शिकायत करने पर भी कोई इसे ठीक करने नहीं आता. सिर्फ सामने से आज आयेंगे कल आयेंगे का आश्वासन मिलता है. दरअसल नल जल योजना की यही जमीनी सच्चाई है जहां लोग योजना के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED :
December 31, 2024, 15:51 IST