नीतीश से क्यों पंगा ले रहे चिराग? जानिए पानी में रह कर मगर से बैर की पॉलिटिक्स

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Last Updated:January 19, 2025, 05:35 IST

Chirag Pawan Vs Nitish Kumar: लोकसभा में 16 सांसदों वाले TDP नेता चंद्रबाबू नायडू और 12 सांसदों वाले JDU नेता नीतीश कुमार उतने नखरे नहीं दिखा पाए, जितना 5 सांसदों वाली पार्टी LJPR के नेता चिराग पासवान दिखाते रहे हैं. PM नरेंद्र मोदी के फैसलों...और पढ़ें

नीतीश से क्यों पंगा ले रहे चिराग? जानिए पानी में रह कर मगर से बैर की पॉलिटिक्स

चिराग पासवान ने पहले PM मोदी को बिदकाया, अब नीतीश कुमार से पंगा लेने के मूड में!

लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के पैंतरे इस बार लोकसभा चुनाव के बाद से कुछ अधिक ही दिखने लगे हैं. पहले नरेंद्र मोदी से टकराने की उन्होंने कोशिश की, अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार से टकराव के मूड में दिखते हैं. ऐसा करते समय भूल जाते हैं कि वे उस एनडीए का ही हिस्सा हैं, जिसकी सरकारें केंद्र और बिहार में हैं. आश्चर्य यह कि वे अपने को नरेंद्र मोदी का हनुमान बताते रहे हैं तो संसदीय चुनाव से वे नीतीश कुमार के भी बेहद करीब दिखने का कोई मौका नहीं छोड़ते. केंद्र सरकार की नौकरियों में चिराग ने लैटरल एंट्री का मुखर विरोध किया था. अब वे बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के मुद्दे पर नीतीश कुमार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं.

केंद्र के खिलाफ मुखर हुए थे चिराग
कुछ ही महीने पहले की बात है, जब चिराग का तल्ख तेवर केंद्र की एनडीए सरकार ने महसूस किए. नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के 100 दिनों के भीतर ही चिराग ने केंद्र के लैटरल एंट्री के फैसले का विरोध शुरू कर दिया था. इसे चिराग का दबाव कहें या विपक्ष का विरोध कि मोदी सरकार ने उस फैसले को वापस ले लिया. इसी तरह सुप्रीम कोर्ट ने SC आरक्षण पर जब क्रीमी लेयर तय करने का फैसला दिया तो चिराग ने विपक्षी दलों की तरह केंद्र सरकार पर इसे लागू न करने का दबाव बनाया. मोदी सरकार को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लागू करने से मना भी करना पड़ा.

अब PK के साथ खड़े हो गए चिराग
चिराग पासवान ने अब नीतीश सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश शुरू कर दी है. बिहार लोक सेवा आयोग की 70वीं परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर 3.50 लाख से अधिक अभियर्थी आंदोलित हैं. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर उनके साथ आ गए हैं. प्रशांत ने इसके लिए गांधी मैदान में अनशन शुरू किया, जो 14वें दिन खत्म हुआ. प्रशांत किशोर अभ्यर्थियों की लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प दोहरा रहे हैं. वे कह रहे कि हाईकोर्ट से अनुकूल फैसला नहीं आया तो वे सुप्रीम कोर्ट तक इस मामले को ले जाएंगे. इस मामले में नीतीश सरकार ने चुप्पी साध ली है तो पब्लिक सर्विस कमीशन सभी अभ्यर्थियों की दोबारा परीक्षा लेने से मना कर चुका है. इस मामले में अब चिराग पासवान ने भी रुचि लेनी शुरू कर दी है. उन्होंने PK की तरह अभ्यर्थियों का साथ देने की घोषणा की है.

नीतीश सरकार पर प्रेशर की कोशिश
चिराग पासवान के इस कदम को नीतीश सरकार पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है. जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान की पार्टी ने इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव में 70 सीटों की दावेदारी पेश की है. चिराग भी जानते हैं कि पांच दलों के गठबंधन में उन्हें इतनी सीटें मिलनी मुश्किल हैं. ऐसे में दबाव का रास्ता अख्तियार कर वे अधिकाधिक सीटें हासिल करना चाहते हैं. इसके लिए पहले तो उन्होंने नीतीश कुमार से नजदीकी बढ़ाई और अब दबाव के रास्ते पर चल पड़े हैं. बीपीएससी अभ्यर्थियों की मांगों का समर्थन करते समय चिराग भूल जाते हैं कि एनडीए के किसी भी दल ने इस मुद्दे पर अपनी जुबान नहीं खोली है. नीतीश सरकार ने इस मामले पर ध्यान देना भी उचित नहीं समझा. ऐसे में चिराग का अलग तेवर अपनाना दबाव की रणनीति ही हो सकती है.

नीतीश से पहले भी हुआ है टकराव
अभ्यर्थियों के समर्थन में चिराग का आना सीधे-सीधे नीतीश सरकार से टकराव तो नहीं है, इसलिए कि लोक सेवा आयोग का स्वतंत्र अस्तिव है. उसके कामकाज में राज्य सरकार की कोई दखल नहीं होती. अलबत्ता उसकी गड़बड़ियों पर सरकार जरूर संज्ञान लेती है. पर, जब सरकार खामोश है तो ऐसे में चिराग का मुखर होना उसके खिलाफ ही माना जाएगा. यह नीतीश कुमार से ठीक वैसा ही टकराव है, जैसा 2020 में चिराग ने किया था. चिराग ने तब जेडीयू के खिलाफ अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतार दिए थे, जिसकी टीस अब भी नीतीश भूले नहीं हैं. जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गया था.

नीतीश कुमार भी सिखा चुके हैं सबक
सबको यह पता है कि नीतीश कुमार ने 2020 का बदला चिराग से कैसे चुकाया. पहले तो राम विलास पासवान की बनाई एलजेपी को दोफाड़ कराया और चिराग को राजनीति के बियावान में भटकने को बाध्य कर दिया. एलजेपी के कुल 6 सांसदों में पांच चिराग के चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ अलग हो गए थे. पारस को केंद्र में मंत्री का पद भी मिल गया. पांच साल भटकने और नरेंद्र मोदी का हनुमान बने रहने का इस बार उन्हें सुफल मिला कि पारस को छोड़ भाजपा ने उनकी पार्टी को साथ जोड़ा. इतना ही नहीं, चिराग को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह भी दी. पर, चिराग अब फड़फड़ाने लगे हैं.

खान ब्रदर्स को लेकर भी BJP-JDU खफा
चिराग पासवान ने एनडीए की मर्जी के खिलाफ सीवान में आपराधिक चरित्र के दो भाइयों- रईस खान और अयूब को एलजेपी से जोड़ा है. यह अलग बात है कि पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के परिजनों से दुश्मनी के कारण दोनों भाइयों की ताकत मायने रखती है, लेकिन भाजपा और जेडीयू को उनका एनडीए की किसी पार्टी का हिस्सा बनना पसंद नहीं. हालांकि इसके लिए चिराग के पास यह तर्क हो सकता है कि जब नीतीश कुमार को अनंत सिंह और आनंद सिंह जैसे लोगों से परहेज नहीं तो वे क्यों करें. सच यह है कि चिराग केंद्र में कम महत्व के मिले मंत्री पद से संतुष्ट नहीं हैं. वे कई बार कह चुके हैं कि उनकी इच्छा बिहार की राजनीति करने की है. शायद इसी वजह से वे अपना आजाद अस्तित्व बनाना चाहते हैं.

2020 दोहराने की तैयारी में चिराग!
यह सवाल चिराग पासवान के अंदाज को देखने से उठ रहा है. भाजपा के पीएम के फैसलों पर आपत्ति, सहयोगियों की मर्जी के खिलाफ खान ब्रदर्स को अपनी पार्टी से झोड़ना और अब नीतीश कुमार के खिलाफ बीपीएससी मुद्दे पर चिराग का मुखर होना, ये दर्शाते हैं कि उनके मन में कुछ चल रहा है. चिराग ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह किसी की समझ में नहीं आ रहा. नीतीश कुमार की तरह चिराग पासवान को समझने में भी अब लोगों के लिए मुश्किल हो रही है.

Location :

Patna,Patna,Bihar

First Published :

January 19, 2025, 05:35 IST

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