फिल्मी 'नंदिनी' को तो सब जानते हैं पर अब रियल 'नंदिनी' की कहानी जानिये

3 weeks ago

हाइलाइट्स

ई-रिक्शा चलाकर पढ़ाई करने वाली किशनगंज की नंदिनी की कहानी.किशनगंज के लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी बड़े हौसले वाली नंदिनी. किशनगंज जिला परिषद चेयरमैन ने नंदिनी को सहयता का किया वादा.

किशनगंज/आशीष कुमार सिन्हा. बिहार के किशनगंज जिले के की नंदिनी 11वीं क्लास में पढ़ती है. पिता की गरीबी और परिवार का आर्थिक बोझ को कम करने के लिए ई-रिक्शा चलाती है और पढ़ाई भी करती है. आंखों में ऑफिसर बनने का सपना है और अपने पिता की शक्ति बनकर रहने का इरादा. इसी इच्छा के साथ दिन में दो चार घंटे रिक्शा चला लेती है, और पढ़ाई भी नहीं छोड़ती. हौसला ऐसा कि न तो सरकार से गिला है और न ही परिवार से कोई शिकायत…जुनून इस हद तक कि अपनी पढ़ाई का खर्च स्वयं निकालती है और पिता का सहारा भी बनकर साथ खड़ी है. आम लोग जब नंदिनी को देखते हैं तो इसके जज्बे को सैल्यूट करते हैं. वहीं, यह भी कहा जाता है कि करते आप हैं, मगर देखता कोई और भी तो है…इसकी बात हम आगे करेंगे, लेकिन पहले नंदिनी की पूरी कहानी जानते हैं.

किशनगंज जिले के नगर परिषद क्षेत्र वार्ड न. 31 के हवाई अड्डा बॉउन्ड्री वॉल किनारे सरकारी जमीन पर टिन के शेड में रहकर अपना परिवार चलाने वाले विनोद साह से यह पूछने पर कि, आपकी बेटी ई-रिक्शा चलती है…वह थोड़ा हिचकते हैं, और फिर कहते हैं कि- हमलोग काफी गरीब हैं. लोन पर ई-रिक्शा लेकर परिवार चला रहे हैं, पर मेरी बच्ची काफी मेधावी है उसे पढ़ने की भी काफी इच्छा है. लेकिन, पैसे की कमी के कारण दिन में एक दो घंटे रिक्शा चलाना पड़ता है. ऐसा कर वह अपनी पढ़ाई का खर्च निकल लेती है. पिता लाचारगी भरी बोली में कहते हैं- मैंने माना भी किया पर हमलोगों की मजबूरी है.

किशनगंज बाजार में ई-रिक्शा चला रही नंदिनी कहती है- मेरे पिता पर कर्ज का बोझ है, मेरे परिवार में चार बहन और एक भाई है. घर भी नहीं है. सरकारी जमीन पर रहती हूं. घर के खर्च को बांटने और अपनी पढ़ाई को पूरी करने के लिए ई-रिक्शा चलाती हूं. पढ़कर ऑफिसर बनने का मन है. वहीं, मोहल्ले के अन्य लोगों से बात करने पर स्थानीय एक बच्ची ने भी बताया इन लोगों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, पर नंदिनी पढ़ने में अच्छी है. मेहनत कर यहीं के गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई करती है. सरकार काफी योजना चलती है, यदि इस पर ध्यान देकर कुछ मदद कर दे तो इनके साथ परिवार का भला होगा.

दिन में दो से चार घंटा ई-रिक्शा चलाती है नंदिनी और फिर अपनी पढ़ाई भी पूरी करती है.

वहीं, नगर परिषद के चैयरमैन को मामले की जानकारी मिलने पर न्यूज 18 को संवेदनशील मुद्दा उठाने के लिए धन्यवाद दिया और साथ ही अपनी गलती स्वीकार की. नगर परिषद चैयरमैन ने बताया कि यह हमारे ही वार्ड न. 31 की रहनेवाली है. जानकारी के अभाव में अब तक मदद नहीं हो सकी, यह हमारा दुर्भाग्य है. सरकार बच्चियों के लिए कई तरह की योजनाएं चला रही है पर अब तक कोई मदद नहीं मिल सकी. मैं सरकारी स्तर पर कानूनी प्रावधान के तहत आवास आदि की सुविधा और निजी स्तर से भी सहायता करूंगा. न्यूज 18 को मामला संज्ञान में लाने के लिए बहुत धन्यवाद.

किशनगंज के वार्ड नंबर 31 में इसी टिन शेड वाले घर में रहती है नंदिनी

नंदिनी अपने हौसले से आगे बढ़ रही है और अपने जज्बे को भी बरकरार रखे हुए है, लेकिन सरकार की ओर से सहायता मिल जाए तो शायद इस बच्ची समेत पूरे परिवार का भला हो जाए. केन्द्र से लेकर राज्य सरकार कई लाभकारी योजनाएं चलती हैं जिसका लाभ कुछ लोगों को मिलता भी है. मगर अधिकारियों को उचित जांच कर सही जरूरतमंद की पड़ताल कर उन योजनाओं का लाभ दिलाने की जरूरत है, ताकि नंदिनी जैसी बच्चियां जो संघर्ष करती हैं, उनके सपने पूरे हो सकें.

FIRST PUBLISHED :

December 3, 2024, 14:36 IST

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