Last Updated:November 05, 2025, 19:08 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में जहां पुरुष वोटर बंटे हैं, वहीं, महिला वोटर्स सुरक्षा, सुशासन और योजनाओं के नाम पर एकजुट होकर वोट डालने की बात कर रही हैं. क्या बिहार विधानसभा चुनाव में आधी आबादी का रुख तय करेगा कि अगला सीएम कौन होगा?
क्या बिहार चुनाव का रुख महिलाएं बदलेंगी?पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में कुछ ही घंटे बचे हैं. इस बीच राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में घरों के भीतर एक अनोखी बहस शुरू हो गई है. यह बहस वोट को लेकर पति और पत्नी के बीच विचारों के बंटवारे की है. जहां पुरुष मतदाताओं का मत बंटा हुआ नजर आ रहा है, वहीं महिलाएं सुरक्षा, सुशासन और सीधे लाभ की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए वोट देने की बात कर रही हैं. बिहार में पुरुष मतदाताओं के मन में जहां रोजगार और भ्रष्टाचार बड़ा मुद्दा है, वहीं महिला वोटरों का झुकाव खासकर ग्रामीण इलाकों में सीएम नीतीश और पीएम मोदी के प्रति बरकरार है. ये महिलाएं पति से अलग अपना विचार रखती हैं.
बिहार चुनाव 2025 में यह लगभग निश्चित है कि इस बार चुनाव में पुरुष वोटर कई भागों में बंटे हुए हैं. कुछ आरजेडी के पारंपरिक समीकरण एमवाई पर तो कुछ बीजेपी-जेडीयू के विकास और जातिगत समीकरण पर. कुछ वोटर्स तेजस्वी यादव की नौकरी के वादे पर बंट गए हैं. इसके विपरीत, महिला मतदाता सबसे बड़े और स्थिर ‘वोट बैंक’ के रूप में एनडीए के पक्ष में दिख रही हैं, जैसा कि पीएम मोदी की रैलियों की भीड़ और जमीनी बातचीत से संकेत मिलता है.
सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ रहा है. (Photo : PTI)
आधी आबादी किसके साथ?
बेगूसराय के ग्रामीण इलाके से ताल्लुक रखने वाले रमेश यादव कहते हैं, ‘हम तो इस बार तेजस्वी को वोट देंगे. वह नौकरी देने की बात कर रहे हैं. एक बार देकर देखेंगे. एक आदमी कितने दिन रहेगा?’ लेकिन रमेश की पत्नी सुनीता का जवाब इससे ठीक उल्टा है. वे साफ कहती हैं, ‘पति कहीं भी दें, हम तो मोदी-नीतीश को ही वोट देंगे. हमारे घर में बिजली आई, शौचालय मिला, गैस मिला. सबसे बड़ी बात कि हमें और हमारी बेटी की सुरक्षा चाहिए, नौकरी नहीं.’
क्या महिलाएं तय करेंगी बिहार चुनाव का रुख?
सुनीता की यह बात सिर्फ उनकी नहीं बल्कि बिहार की लाखों महिलाओं की भावनाओं को दर्शाती है. खास बात यह है कि जिन लड़कियों को पहली बार स्कूल में नीतीश कुमार ने साइकिल बांटी थी, वे लड़कियां अब महिला बन गई हैं. उन महिलाओं के लिए स्थिरता, कानून व्यवस्था में सुधार और योजनाओं का सीधा लाभ जातिगत या रोजगार के मुद्दों से अधिक महत्वपूर्ण है. महिलाओं का यह झुकाव चुनाव से कुछ ही घंटे पहले एनडीए का सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है.
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इसके पीछे दो मुख्य कारण हैं. पहला, लाभार्थी आधारित राजनीति यानी नीतीश कुमार की ‘जीविका दीदी’ योजना, पंचायतों में 50% आरक्षण और शराबबंदी, जिसका सबसे बड़ा समर्थन महिलाएं करती हैं. उन्हें सीधे महिलाओं का नेता बनाया है. वहीं, पीएम मोदी की उज्ज्वला, पीएम आवास और शौचालय के साथ-साथ 10 हजार की सहायता राशि योजनाओं ने हर जाति की महिलाओं को एनडीए का लाभार्थी बना दिया है. दूसरा, सुरक्षा की गारंटी यानी आरजेडी के ‘जंगलराज’ की यादें अभी भी महिला मतदाताओं के जेहन में ताज़ा हैं. चूंकि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कम आवाज उठाती हैं, इसलिए उन्हें ‘साइलेंट वोटर’ कहा जाता है. लेकिन जब वह वोट देने निकलती हैं तो एकजुट होकर फैसला करती हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
November 05, 2025, 19:08 IST

2 hours ago
