Last Updated:January 13, 2025, 05:31 IST
Mahakumbh 2025 Snan: प्रयागराज में आज से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. आज पौष पूर्णिमा का स्नान है. हालांकि इस बार यहां शाही स्नान नहीं होगा. अब इसका नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया गया है. यहां जानें इसकी वजह...
Mahakumbh Shahi Snan: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आज से महाकुंभ की शुरुआत हो रही है. पौष पूर्णिमा के शुभ अवसर पर पहले प्रमुख स्नान अनुष्ठान के साथ संगम की रेती पर लगने वाला दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक जमावड़ा शुरू हो जाएगा. गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम स्थल पर होने वाले आस्था के इस महा आयोजन में अगले 45 दिनों के दौरान अध्यात्म के अनेक रंग बिखरेंगे.
प्रयागराज इस भव्य अवसर के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह शहर दुनिया भर से संतों, तीर्थयात्रियों, भक्तों और आम जनता के लिये भी पलकें बिछाये है. सभी का लक्ष्य आध्यात्मिक उत्साह में सराबोर होना है. प्रयागराज में विभिन्न कार्यालयों की दीवारों को हिंदू धर्म, देवी-देवताओं और धार्मिक ग्रंथों में वर्णित प्रमुख घटनाओं के विभिन्न पहलुओं को दर्शाने वाले चित्रों से सजाया गया है. शहर के चौराहों को भी विभिन्न धार्मिक वस्तुओं जैसे कलश, शंख और सूर्य नमस्कार आसन की विभिन्न मुद्राओं से सजाया गया है. इसके अलावा, शहर के अधिकांश प्रमुख चौराहों को नया रूप दिया गया है.
25 लाख लोग लगा चुके हैं डुबकी
महाकुंभ का यह संस्करण 12 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है. हालांकि संतों का दावा है कि इस आयोजन के लिए खगोलीय परिवर्तन और संयोजन 144 वर्षों के बाद हो रहे हैं, जो इस अवसर को और भी ज्यादा शुभ बना रहे हैं. शायद इसीलिए उत्तर प्रदेश सरकार को भरोसा है कि इस बार महाकुंभ में 35 करोड़ श्रद्धालु आएंगे. श्रद्धालुओं का आंकड़ा अभी से इस महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता की कहानी बयान कर रहा है. एक अनुमान के मुताबिक महाकुंभ की औपचारिक शुरुआत से दो दिन पहले शनिवार को रिकॉर्ड 25 लाख लोगों ने संगम में पवित्र डुबकी लगाई.
इस बार क्यों नहीं होगा शाही स्नान?
महाकुंभ के पहले दिन यानी सोमवार को आम श्रद्धालु संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. वहीं कल यानी 14 फरवरी को मकर संक्रांति के दिन पहला अमृत स्नान होगा. पहले इसे ही शाही स्नान के तौर पर जाना जाता था, लेकिन, साधु संतों की मांग पर इसका नाम बदलकर अमृत स्नान कर दिया गया है. अमृत स्नान वाले दिन यानी 14 फरवरी को सभी 13 अखाड़े के साधु संत संगम में आस्था की डुबकी लगाएंगे. इस दौरान साधु संतों की तरफ से विशेष पूजन अर्चन भी किया जाएगा.
टीवी सीरियल रामायण में भगवान राम की भूमिका निभा चुके मेरठ लोकसभा सीट के सांसद अरुण गोविल ने शाही स्नान शब्द को अमृत स्नान करने पर बड़ा बयान दिया है. अरुण गोविल ने कहा कि शाही स्नान को अमृत स्नान करना बेहद अच्छा काम है. शाही स्नान शब्द मुगलों की याद दिलाता था. अब ये शब्द अमृत स्नान हो गया है, क्योंकि संगम की एक एक बूंद अमृत है. ऐसे में इससे बेहतर नाम और कुछ नहीं हो सकता. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ये काल ही अमृतकाल है.
महाकुंभ में होंगे कुल 6 स्नान पर्व
प्रयागराज कुंभ मेले में कुल 6 स्नान पर्व होंगे. इसमें 3 अमृत स्नान पर्व होंगे और 3 स्नान पर्व होंगे. महाकुंभ मेले का पहला स्नान पर्व 13 जनवरी यानी सोमवार से शुरू होगा. दूसरा अमृत स्नान 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति पर होगा. तीसरा अमृत स्नान पर्व 29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या पर होगा. चौथा अमृत स्नान पर्व 2 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होगा. पांचवां स्नान पर्व 12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा पर होगा और आखिरी स्नान पर्व 26 फरवरी 2025 को महाशिवरात्रि पर होगा. इसी के साथ महाकुंभ का समापन हो जाएगा.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाकुंभ की तैयारियों की समीक्षा के दौरान हाल ही में कहा था कि सोमवार 13 जनवरी से 26 फरवरी तक आयोजित होने वाला महाकुंभ भारत की प्राचीन सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को वैश्विक स्तर पर प्रमुखता प्रदान करेगा. उन्होंने कहा था, ‘महाकुंभ भारत की समृद्ध आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रमाण है. यह आयोजन दुनिया भर के लोगों को अपनी प्राचीन परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से फिर से जुड़ने का मौका देता है.’
आदित्यनाथ ने कहा कि महाकुंभ का यह संस्करण एक भव्य, दिव्य और डिजिटल रूप से उन्नत आयोजन होगा. लगभग 10,000 एकड़ क्षेत्र में होने जा रहा यह आयोजन स्वच्छता, सुरक्षा और आधुनिकता के लिए एक अनुकरणीय मानक स्थापित करेगा. श्रद्धालुओं की सुविधा बढ़ाने के लिए डिजिटल पर्यटक मानचित्र से शौचालयों की सफाई की निगरानी की सुविधा मिलेगी. इसके अलावा स्मार्टफोन के साथ एकीकृत एआई-संचालित प्रणाली सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. उन्होंने यह भी कहा था कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी है. महाकुंभ के दौरान आयोजन स्थल दुनिया के सबसे बड़े अस्थायी शहर में तब्दील हो जाता. इसमें एक बार में 50 लाख से एक करोड़ श्रद्धालु आ सकते हैं.