देश में मंदिर-मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर मुखपत्र पांचजन्य ने भी टिप्पणी की है. इससे पहले मोहन भागवत ने कहा था कि अब देश में मंदिर-मस्जिद के नाम पर विवाद ठीक नहीं है. राम मंदिर करोड़ों लोगों की आस्था का मुद्दा था. राम मंदिर बन गया है. अब मंदिर-मस्जिद विवाद को उठाना गैर जरूरी है. लेकिन, उनके इस बयान के बाद संघ और उससे जुड़े संगठनों में भी मतभेद देखने को मिला. संघ के एक अन्य मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने बीते सप्ताह मोहन भागवत की राय से अलग राय जाहिर की थी. इससे यह संदेश निकला कि इस मुद्दे पर संघ से जुड़े संस्थाएं और लोग एकमत नहीं है. लेकिन, अब पांचजन्य ने उनकी बात से सहमति जताई है.
पांचजन्य पत्रिका ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मस्जिद-मंदिर विवाद के फिर से उठाने पर मोहन भागवत की हालिया टिप्पणी समाज से इस मामले में समझदारी भरा रुख अपनाने का स्पष्ट आह्वान है. इसमें इस मुद्दे पर देश में चल रही अनावश्यक बहस और भ्रामक प्रचार को लेकर भी आगाह किया गया है.
संभल विवाद
उत्तर प्रदेश के संभल में जारी मंदिर-मस्जिद विवाद के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले दिनों पुणे में ये बयान दिया था. लेकिन, उनके बयान के कुछ ही दिनों के भीतर संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गनाइजर ने उनसे बिल्कुल अलग राय जाहिर की थी. ऐसे में सवाल उठने लगा कि आखिर ऐसे विवादों पर संघ की आधिकारिक राय क्या है? ऑर्गनाइजर ने इसको लेकर कवर स्टोरी बनाई. इसमें धार्मिक स्थलों के ऐतिहासिक सत्य को जानने की आवश्यकता को महत्वपूर्ण बताया गया था. पत्रिका ने‘संस्कृति न्याय की लड़ाई’ शीर्षक से एक कवर स्टोरी प्रकाशित की, जिसमें संभल की जामा मस्जिद विवाद को लेकर दावा किया गया है कि उत्तर प्रदेश के इस शहर में मस्जिद के स्थान पर पहले एक मंदिर था.
पत्रिका के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने कहा था कि अब समय आ गया है कि हम संस्कृति न्याय की इस खोज को संबोधित करें. बाबा साहेब अंबेडकर ने जातिवाद के कारणों को समझा और इसके अंत के लिए संवैधानिक उपाय दिए. हमें भी ऐसा ही दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है, ताकि धार्मिक विवाद और नफरत को खत्म किया जा सके.
मोहन भागवत ने क्या कहा था?
बीते महीने के शुरू में मोहन भागवत ने कहा था कि भारत में नए मंदिर-मस्जिद विवाद उठाना अब ठीक नहीं है. अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हिंदुओं के विश्वास का मामला था. राम मंदिर हिंदुओं के लिए विश्वास का विषय था. हिंदू मानते थे कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इससे कोई हिंदू नेता बन जाएगा.उन्होंने यह स्पष्ट किया कि आरएसएस ने राम मंदिर आंदोलन में भाग लिया था, लेकिन भविष्य में ऐसा कोई नया आंदोलन नहीं होगा.
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FIRST PUBLISHED :
January 1, 2025, 13:18 IST