Last Updated:October 22, 2025, 15:31 IST
Steel Dumping in India : रिजर्व बैंक ने अपने हालिया बुलेटिन में कहा है कि भारत में बढ़ते स्टील आयात की वजह से घरेलू उत्पादकों को नुकसान पहुंच रहा है. खासकर 5 देशों से सबसे ज्यादा इस्पात का आयात हो रहा है, क्योंकि वहां कीमतें काफी कम हैं.

नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ने अपने एक हालिया लेख में बताया है कि दुनिया के 5 देशों से स्टील का आयात बढ़ने की वजह से भारत को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान होता है. आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा है कि देश के इस्पात क्षेत्र को 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रमुख वैश्विक इस्पात उत्पादकों के सस्ते आयात और डंपिंग के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. इससे घरेलू उत्पादकों को तो नुकसान होता ही है, देश के निर्यात क्षेत्र को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ता है.
केंद्रीय बैंक के अक्टूबर बुलेटिन में प्रकाशित एक लेख में कहा गया कि इस्पात आयात में वृद्धि देखी गई है जिसका मुख्य कारण आयात कीमतें कम होना है. इससे घरेलू इस्पात उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. साथ ही इसमें घरेलू इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन की जरूरत भी बताई गई है. आरबीआई ने ‘स्टील अंडर सीज : अंडरस्टैंडिंग द इम्पैक्ट ऑफ डंपिंग ऑन इंडिया’ शीर्षक वाले लेख में कहा है कि वैश्विक उत्पादकों के सस्ते इस्पात की डंपिंग से घरेलू इस्पात उत्पादन को खतरा हो सकता है.
क्या है इससे बचने का उपाय
आरबीआई ने इससे बचने का भी उपाय बताया है. रिजर्व बैंक ने अपनी बुलेटिन में लिखा कि इस नुकसान को उपयुक्त नीतिगत उपायों के माध्यम से कम किया जा सकता है. हाल ही में लगाए गए सुरक्षा शुल्क से आयात डंपिंग के खिलाफ सुरक्षा मिली है और आयात में गिरावट आई है. भारत ने अपनी खपत की मांग को पूरा करने के लिए इस्पात उत्पादों का जमकर आयात किया. देश के लौह एवं इस्पात आयात में 2024-25 की पहली छमाही में 10.7 फीसदी की वृद्धि हुई, जबकि 2024-25 की दूसरी छमाही में इसमें कमी दर्ज की गई जिसका मुख्य कारण सेफगार्ड शुल्क था.
किन देशों से आता है इस्पात
अंतराष्ट्रीय बाजार में इस्पात की कम कीमतों से भारत ने 2023-24 में अपने इस्पात आयात में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की. भारत अपने कुल आयात का लगभग 45 फीसदी इस्पात का आयात दक्षिण कोरिया (आयात हिस्सेदारी 14.6 फीसदी), चीन (9.8 फीसदी), अमेरिका (7.8 फीसदी), जापान (7.1 फीसदी) और ब्रिटेन (6.2 फीसदी) से मंगाता है. लेख में कहा गया कि 2024-25 के दौरान चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से इस्पात आयात में वृद्धि हुई है.
साल 2022 से शुरू हो गई समस्या
आरबीआई ने कहा है कि अप्रैल, 2022 से नवंबर, 2024 तक भारत की इस्पात खपत औसतन 12.9 फीसदी (मासिक वृद्धि दर का औसत) बढ़ा है. साल 2022 से घरेलू खपत एवं उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ गया है. अप्रैल, 2022 से घरेलू और वैश्विक दोनों मोर्चों पर इस्पात की कीमतों में कमी आई है. इसके बाद से ही भारत के इस्पात क्षेत्र को प्रमुख इस्पात उत्पादक देशों से बढ़ते आयात और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. आयात में वृद्धि मुख्य रूप से इस्पात की कम आयात कीमतें हैं, जिसका घरेलू इस्पात उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. यह लेख अप्रैल, 2013 से मार्च, 2025 तक के मासिक आंकड़ों पर आधारित है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 22, 2025, 15:31 IST