Last Updated:October 22, 2025, 18:49 IST
Bihar Chunav 2025: बिहार चुनाव 2025 में एनडीए, महागठबंधन और प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है.शुरुआती रुझानों में बिहार में किसकी आंधी चल रही है और कौन धूल फांक रहा है? क्या पीएम मोदी की रैली के बाद फिजा बदलेगी?

बिहार चुनाव के शुरुआती रुझान में कौन पार्टी आगे कौन पीछे: बिहार चुनाव में किस गठबंधन की आंधी चल रही है? प्रचार के शुरुआती राउंड में जनता का मिजाज क्या कहता है? बाहुबलियों के गढ़ में किसका पलड़ा भारी है? प्रभुनाथ सिंह और मोहम्मद शाहबुद्दीन के बेल्ट छपरा सीवान और गोपालगंज में जनता का मिजाज क्या है? शाहाबाद में महागठबंधन और पीके के चक्रव्यूह को क्या एनडीए इस बार भेद पाएगा? मोकामा,लखीसराय, नावादा और सीएम नीतीश के गढ़ नालंदा में कौन इस बार सेंध लगाएगा? भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा के साथ-साथ मधुबनी और दरभंगा में इस बार कौन बाजी मारेगा? मोतिहारी, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली और मुजफ्फरपुर में एडीए का किला इस बार बचेगा? समस्तीपुर और बेगूसराय में पीएम मोदी की 24 अक्टूबर को होने वाली रैली कितना असरदार होगा? आइए जानते हैं कि बिहार चुनाव के शुरुआती चरण में किस गठबंधन की चल रही आंधी, कौन उड़ा रहा गर्दा और फांक रहा धूल?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का आगाज हो चुका है और प्रचार के शुरुआती दौर में ही राज्य का चुनावी मिजाज बेहद उलझा हुआ नजर आ रहा है. एनडीए और महागठबंधन के बीच की टक्कर में इस बार प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने तीसरा कोण बनाकर लड़ाई को त्रिकोणीय कर दिया है. हालांकि, शुरुआती रुझानों में किसी एक गठबंधन की ‘आंधी’ चलती नहीं दिख रही है, लेकिन कुछ इलाकों में अलग-अलग दलों के प्रत्याशी जरूर ‘गर्दा’ उड़ा रहा हैं.
इस बार के बिहार चुनाव में किसका बमबम बोलेगा?
छपरा, सीवान और गोपालगंज में किसकी चल रही आंधी?
छपरा, सीवान और गोपालगंज इलाके में बाहुबली नेताओं प्रभुनाथ सिंह और मोहम्मद शाहबुद्दीन से जुड़े समीकरण फैक्टर अभी भी काम कर रहे हैं. इस एरिया में जातीय हिसाब से वोट पड़ने की संभावना शुरुआती रुझान में दिख रहे हैं. गोपालगंज जैसे क्षेत्रों में बीजेपी और पीएम मोदी की लोकप्रियता का असर दिख रहा है. वहीं, छपरा और सीवान में महागठबंधन और एनडीए में कांटे की टक्कर है.
आरा, बक्सर, सासाराम, कैमूर
आरा, बक्सर, सासाराम, कैमूर यानी शाहाबाद वाला क्षेत्र बीते कुछ चुनावों से महागठबंधन का गढ़ रहा है. लेकिन इस बार एनडीए ने अपने तरकश से ऐसे-ऐसे तीर छोड़े हैं, जिससे मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है. इस एरिया के ज्यादा सीटों पर पीके की पार्टी ने त्रिकोणीय मुकाबला बना दिया है. सभी पार्टियों और उम्मीदवारों को भीतराघात का डर सत रहा है. ऐसे में फिलहाल कहना मुश्किल है कि कौन आगे औऱ कौन पीछे.
क्या बिहार चुनाव की फिजा को तेजस्वी-राहुल बदल सकते हैं?
मोकामा, लखीसराय, नावादा और नालंदा
मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह और सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी के मैदान में आने से सियासी हलचल तेज है. दोनों में फिलहाल बराबरी का मुकाबला नजर आ रहा है. नालंदा में सीएम नीतीश कुमार की व्यक्तिगत छवि के कारण एनडीए का पलड़ा भारी दिख रहा है, लेकिन यहां बेरोजगारी और रोजगार जैसे मुद्दे गर्दा उड़ा रहे हैं. ऐसे में इस बार भी महागठबंधन के लिए सीएम के गढ़ में सेंध लगाना मुश्किल होगा.
पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा, किशनगंज का हाल
सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा और किशनगंज का हाल चतुष्कोणीय मुकाबले में फंसता हुआ नजर आ रहा है. एनडीए, महागठबंधन, पीके और ओवैसी की पार्टी के उतरने से कुछ भी कहना अभी सही नहीं होगा. इस क्षेत्र में वोटिंग पैटर्न बताएगा किसका पलड़ा भारी होने वाला है.
मधुबनी,दरभंगा, समस्तीपुर, बेगूसराय
दरभंगा और मधुबनी में बीजेपी और एनडीए का किला मजबूत रहा है. यह क्षेत्र जातीय समीकरणों और पीएम मोदी की लोकप्रियता से प्रभावित होता है. 24 अक्टूबर को समस्तीपुर के कर्पूरीग्राम और बेगूसराय में पीएम मोदी की होने वाली रैलियां सीधे तौर पर अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और सवर्ण वोटों को एकजुट करने के लिए एक बड़ा हथियार है. यदि यह रैली सफल रही तो मिथिलांचल में एनडीए की आंधी चल सकती है.
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मोतिहारी, पूर्वीचंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, वैशाली और मुजफ्फरपुर
इन क्षेत्रों में भी एनडीए का किले पर सेंधमारी के प्रयास चल रहे हैं. महागठबंधन के लिए वैशाली और मुजफ्फरपुर की कुछ सीटों पर आपसी टकराव उसे कमजोर कर रहा है. एनडीए का किला बचाने का काम यहां जातीय समीकरणों के संतुलन पर निर्भर करेगा.
कुलमिलाकर प्रचार के शुरुआती दौर में बिहार का चुनावी परिदृश्य स्पष्ट नहीं है. महागठबंधन में सीट बंटवारे पर चल रहा घमासान उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है, जो एनडीए के पक्ष में माहौल बना सकता है. पीएम मोदी की रैलियां एनडीए के लिए संजीवनी का काम करेंगी, जबकि प्रशांत किशोर का प्रयास वोट कटवा बनकर दोनों गठबंधनों को धूल चटा सकता है.
First Published :
October 22, 2025, 18:49 IST