Last Updated:May 16, 2025, 08:08 IST
India Sky Strider Drone: ऑपरेशन सिंदूर में भारत को बड़ी सफलता मिली. पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचा. भारतीय सेना की मिसाइल और ड्रोन्स ने काफी तबाही मचाई. मगर चर्चा बेंगलुरु में बने इस ड्रोन की खूब हो रही है. पह...और पढ़ें

ऑपरेशन सिंदूर में प्रयोग हुआ था ये छुटकु ड्रोन (Sky Strider)
हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर में स्काई स्ट्राइकर ड्रोन का उपयोग हुआ.बेंगलुरु में बने इस ड्रोन ने पाकिस्तान में तबाही मचाई.यह ड्रोन रडार से बचने में सक्षम और साइलेंट किलर है.Silent Killer Drone of India: ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध में एक साइलेंट क्रांति देखी गई है. इस जंग में दोनों तरफ से ड्रोन का खूब उपयोग हुआ. लेकिन बेंगलुरु में बने भारत के इस छोटे ड्रोन की खूब चर्चा हो रही है. इसने सीमा पार आतंकी ठिकानों को तबाह करने में अहम भूमिका निभाई. इसे इज़राइल की एल्बिट सिक्योरिटी सिस्टम की मदद से भारत की अल्फा डिज़ाइन टेक्नोलॉजीज ने बनाया है. इस घातक हथियार को ‘स्काई स्ट्राइकर’ कहा जाता है. सेना इसे साइलेंट किलर (Silent Killer Sky Striker Drone) भी कहती है.
बेंगलुरु के पीन्या इंडस्ट्रियल जोन में अल्फा डिज़ाइन का केंद्र है, जो चुपचाप देश की सेना को मजबूत करने में अहम योगदान दे रहा है. इसी ने ‘स्काई स्ट्राइकर’ को बनाया है. इसका पहली बार प्रयोग हुआ है. इससे पहले इसे इज़राइल-फिलिस्तीन युद्ध और आर्मेनिया-अजरबैजान के बीच झड़पों में भी इस्तेमाल किया जा चुका है. बता दें कि बालाकोट स्ट्राइक के बाद 2021 में सेना ने इस ड्रोन के 100 यूनिट का ऑर्डर दिया था.
साइलेंट किलर
इसकी खासियत की वजह से इसे “साइलेंट किलर” कहा जाता है. यह एक सशस्त्र यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) है. यह बैटरी से संचालित होता है. इसमें आवाज तो बिल्कुल ही नहीं है. यह 1-3 घंटे तक आसानी से उड़ान भर सकता है. इसमें 5-10 किलोग्राम का पेलोड ले जाने की क्षमता है. इसकी रेंज 80-100 किलोमीटर की तक है.
दोबारा प्रयोग में ला सकते हैं
अधिकारी राघवेंद्र अरूर ने बताया कि यह एक बार लॉन्च होने के बाद, यह इलेक्ट्रो-ऑप्टिक पेलोड होता है. पहले यह टारगेट का इनपुट लेता है और ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम से जुड़ जाता है. टारगेट के लोकेशन को डिकोड करने के बाद यह सटीक रूप से हमला करना शुरू कर देता है. उन्होंने आगे बताया कि ड्रोन पहले से दिए गए GPS किसी भी कॉर्डिनेट पर भी हमला कर सकता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि पैराशूट और एयरबैग सिस्टम की बदौलत दोबारा उपयोग में लाया जा सकता है.
सीईयो ने बताई ताकत
अल्फा डिजाइन के सीईओ हरि प्रसाद ने इसकी सटीकता के बारे में बताया है. उन्होंने कहा, ‘इसकी सटीकता बहुत अच्छी मजबूत बिंदुओं में से एक है. हम एक मीटर की सटीकता, उच्च परिशुद्धता वाले ड्रोन के बारे में बात कर रहे हैं… यह लगभग 5-10 किलोग्राम पेलोड वाला एक बहुत ही शक्तिशाली सिस्टम है.’
रडार पकड़ नहीं सकता
स्काई स्ट्राइकर की क्षमता रडार डिटेक्शन से बचने की इसकी क्षमता से बढ़ जाती है. इसकी रडार क्रॉस-सेक्शन बहुत-बहुत कम है. अरूर ने 1:1 स्केल मॉडल दिखाते हुए खुलासा किया. इसकी कम ऊंचाई उड़ने की क्षमता और बैटरी ऑपरेशन की वजह से यह रडार की पकड़ में बिल्कुल ही नहीं आता है. अगर इसे रात में ऑपरेट करते हैं, तो टारगेट लॉक करते ही तेजी से आसमान से गोते लगाता है. इसे कोई भी इसे ट्रैक नहीं कर सकता. इसकी सफलता दर लगभग 100 प्रतिशत है.
इसे रोकना मुश्किल
हरि प्रसाद ने बताया कि जैसे ही यह टारगेट की ओर बढ़ता है, इसका डाइविंग एंगल बहुत तेज हो सकता है. इसकी टर्मिनल रफ्तार बहुत-बहुत अधिक होता है. इसे रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता है. ऑपरेशन सिंदूर ने स्काई स्ट्राइकर, आकाश तीर और ब्रह्मोस मिसाइलों सहित स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी की प्रभावशीलता को दिखाता है. उन्होंने कहा कि भारत में लगभग तीन साल से अधिक समय से उत्पादित किया जा रहा है . हमारे पास भारत में एक पूर्ण उत्पाद बनाने के लिए पूरी तकनीक है.
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...
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