राहुल की रणनीति से NDA में बेचैनी... बुलेट पर सवार होकर वापसी करेंगे तेजस्वी?

2 days ago

Last Updated:August 24, 2025, 12:59 IST

Rhahul Gandhi News: राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा से क्या बिहार में महागठबंधन को नई ऊर्जा मिलेगी? क्या 2025 में एनडीए की सत्ता को राहुल-तेजस्वी चुनौती देंगे? क्यों राहुल गांधी और तेजस्वी याद...और पढ़ें

राहुल की रणनीति से NDA में बेचैनी... बुलेट पर सवार होकर वापसी करेंगे तेजस्वी?क्या राहुल गांधी बदलेंगे तेजस्वी की तकदीर?

पूर्णिया: बिहार की राजनीति एक बार फिर करवट लेने को तैयार है. 2025 के विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों की सक्रियता बढ़ चुकी है, लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियों में हैं राहुल गांधी. कांग्रेस नेता ने 17 अगस्त को सासाराम के सुअरा हवाई अड्डा मैदान से ‘वोटर अधिकार यात्रा’ की शुरुआत की और तब से लेकर अब तक वे पूर्णिया, कटिहार, मधुबनी, दरभंगा जैसे इलाकों में जन संवाद और मुद्दों की सियासत के जरिए जमीन पर मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ बिहार की गलियों, खेतों और चौपालों से गुजरती हुई जिस तरह से आगे बढ़ रही है, उसी तरह महागठबंधन की उम्मीदें भी जिंदा हो रही है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी की यह यात्रा बिहार के आम लोगों के दिलों में भी जगह बनाएगी?

राहुल गांधी वोटर अधिकार यात्रा के दौरान अलग-अलग रंगों में नजर आ रहे हैं. पूर्णिया में बुलेट की सवारी हो या फिर मखाना किसानों से सीधे संवाद, छात्र-नौजवानों के साथ जमीन पर बैठकर चर्चा, यह सब संकेत है कि कांग्रेस नेता खुद को जननेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश में हैं. राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह यात्रा केवल कांग्रेस को नहीं, बल्कि पूरे महागठबंधन को एक वैचारिक ताकत देने का काम कर रही है.

तेजस्वी, सहनी और वामपंथियों का साथ

इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ आऱजेडी नेता तेजस्वी यादव, वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी और लेफ्ट पार्टियों के नेता भी जुड़े हैं. तेजस्वी यादव की राजनीतिक जमीन, विशेष रूप से युवाओं और पिछड़े वर्ग में उनकी पैठ, इस गठजोड़ को मजबूती देती है. वहीं, सहनी की निषाद, मल्लाह और ओबीसी समुदाय में पकड़ एनडीए से उनके अलग होने के बाद अब महागठबंधन को सामाजिक संतुलन प्रदान कर रही है. वामपंथी दल विशेष रूप से CPI(ML) और CPM किसानों और मजदूरों के मुद्दों को लेकर पहले से ही सक्रिय रहे हैं. इन दलों की ज़मीनी कार्यशैली महागठबंधन को वैचारिक गहराई और वोटिंग स्तर पर संगठनात्मक मजबूती देती है.

क्या ढह रही है NDA की राजनीतिक दीवार?

एनडीए खेमे में भाजपा और जदयू लंबे समय से सत्ता में साझेदार रहे हैं. लेकिन नीतीश कुमार की छवि अब पहले जैसी नहीं रही. एनडीए ने नीतीश कुमार को फिर से अपना चेहरा जरूर बनाया है, लेकिन सवाल है कि क्या वे बिहार के मतदाताओं को फिर से भरोसा दिला पाएंगे? भाजपा का परंपरागत हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का एजेंडा राज्य में स्थानीय मुद्दों के आगे कुछ हल्का पड़ता दिख रहा है. महंगाई, शिक्षा व्यवस्था और नौकरी जैसे मुद्दे जमीनी स्तर पर लोगों के लिए ज्यादा मायने रखते हैं और राहुल गांधी इन्हीं सवालों को उठाकर अपने लिए राजनीतिक ज़मीन तैयार कर रहे हैं.

बिहार में कांग्रेस का जनाधार 1990 के बाद लगातार गिरा है. आरजेडी के दबदबे के बीच वह सहयोगी दल से ज्यादा कुछ साबित नहीं हो सकी. लेकिन राहुल गांधी की यह आक्रामक सक्रियता कांग्रेस के लिए नई उम्मीद लेकर आई है. अगर वे इस यात्रा को संगठनात्मक स्तर पर जनांदोलन में बदलने में सफल होते हैं तो कांग्रेस की वापसी की नींव रखी जा सकती है. बेशक यह तेजस्वी यादव की छाया में ही क्यों न हो. बिहार चुनाव 2025 अब केवल सीटों की लड़ाई नहीं, बल्कि नैरेटिव वॉर बन चुका है. राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा उस नैरेटिव को फिर से जनता के बीच लाने का प्रयास है. ऐसे में अगर महागठबंधन इस रणनीति को एकजुटता और जमीनी कनेक्शन के साथ आगे बढ़ाता है तो एनडीए को सत्ता में बने रहना आसान नहीं होने वाला है.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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First Published :

August 24, 2025, 12:59 IST

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