Agency:News18Hindi
Last Updated:February 23, 2025, 05:29 IST
बीजेपी ने दिल्ली कैबिनेट में एक ऐसे चेहरे को जगह दी है जिसके सहारे उसे पंजाब में सिख वोटर्स का समर्थन मिलने की आस है. यह चेहरा सीएम रेखा गुप्ता का नहीं, राजौरी गार्डन से विधायक चुने गए मनजिंदर सिंह सिरसा का है.
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दिल्ली कैबिनेट में शामिल एक चेहरे से पंजाब की सियासत पर असर.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के तीन सिख उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की – अरविंदर सिंह लवली (गांधी नगर) और तरविंदर सिंह मारवाह (जंगपुरा) के साथ मनजिंदर सिंह सिरसा (राजौरी गार्डन). लेकिन सिरसा को मंत्री बनाए जाने के फैसले ने सबसे ज्यादा चर्चा बटोरी. 52 साल के सिरसा सिख समुदाय से आते हैं. उन्हें मंत्री बनाए जाने को राजनीतिक पंडित पंजाब के वोटरों को साधने की बीजेपी की एक बड़ी कोशिश मान रहे हैं. मीडिया में सीएम रेखा गुप्ता की चर्चा खूब है, लेकिन सियासत के जानकार सिरसा की नियुक्ति को बीजेपी का ट्रंप कार्ड बताते हैं. सिरसा के मंत्री बनते ही पंजाब की राजनीति में उसका असर साफ दिखने लगा है.
अभी से पंजाब की सियासत में मच गई खलबली
पंजाब कांग्रेस के विधायक सुखपाल सिंह खैरा ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर आप (AAP) सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, “अगर बीजेपी दिल्ली में सिख समुदाय को मंत्री पद दे सकती है, तो अरविंद केजरीवाल को यह बताना चाहिए कि उन्होंने 10 साल में किसी सिख को मंत्री क्यों नहीं बनाया?”
If @BJP4India can give representation to a Sikh @mssirsa as Minister i urge @ArvindKejriwal to clarify why he did not induct a Sikh as Minister during the 10 years of his government despite the fact that Sikhs besides being a minority community play a vital role in Delhi?-Khaira pic.twitter.com/mtfPOegjLc
— Sukhpal Singh Khaira (@SukhpalKhaira) February 20, 2025
बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा, “पंजाब के वोटर बीजेपी के हर कदम पर नजर रख रहे हैं. दिल्ली में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया और सिख वोटर्स भी इससे जुड़ रहे हैं. पंजाब में भी यह असर दिखेगा, खासकर 2027 के विधानसभा चुनाव में.”
बीजेपी के पंजाब प्रवक्ता प्रतिपाल सिंह बालियावाल ने भी इस कदम को सिख समुदाय के लिए एक बड़ी जीत बताया. उन्होंने कहा, “दिल्ली और यूपी में सिखों को जो प्रतिनिधित्व दिया जा रहा है, वह पंजाब में बीजेपी के लिए मजबूत संदेश है. बीजेपी ने सिख समुदाय के लिए कई बड़े काम किए हैं, जैसे करतारपुर कॉरिडोर खोलना और वीर बाल दिवस को भारतीय दूतावासों में मनाना. पंजाब के लोग इसे देख रहे हैं और यह जरूर असर डालेगा.”
विपक्ष अभी कर रहा इनकार
हालांकि, शिरोमणि अकाली दल (SAD) के दिल्ली अध्यक्ष परमजीत सिंह सरना ने सिरसा की नियुक्ति को नकारते हुए कहा, “दिल्ली में सिरसा को मंत्री बनाने से पंजाब की राजनीति पर कोई असर नहीं पड़ेगा.”
दिलचस्प बात यह है कि सिरसा खुद भी पहले अकाली दल (SAD) में थे और पार्टी के कई बड़े नेताओं के साथ मंच साझा कर चुके हैं. 2013 में उन्होंने राजौरी गार्डन से अकाली दल के टिकट पर जीत हासिल की थी, लेकिन 2015 में आम आदमी पार्टी (AAP) के जरनैल सिंह से हार गए थे.
2017 में जब जरनैल सिंह ने लांबी सीट से प्रकाश सिंह बादल के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए इस्तीफा दिया, तब हुए उपचुनाव में सिरसा ने बीजेपी के सिंबल पर चुनाव लड़ा और 14,000 वोटों से जीत दर्ज की.
सिरसा का सियासी सफर
सिरसा को 2013, 2017 और 2021 में दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (DSGMC) का अध्यक्ष चुना गया था. वह पूर्व पंजाब डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल के विशेष अधिकारी (OSD) के रूप में भी काम कर चुके हैं. लेकिन दिसंबर 2021 में उन्होंने अकाली दल छोड़कर बीजेपी जॉइन कर ली.
अगस्त 2023 में सिरसा को बीजेपी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया. बीजेपी में आने के बाद दिल्ली में अकाली दल की स्थिति कमजोर हो गई और SAD के कई बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो गए.
एक बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “दिल्ली में लगभग पूरी अकाली दल की लीडरशिप बीजेपी में आ गई है. यही वजह है कि इस बार SAD ने दिल्ली चुनाव में कोई सीट नहीं लड़ी. पहले वे चार सीटों पर बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ते थे.”
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 23, 2025, 05:29 IST