कौन थे वह, जो बिना वकालत पढ़े बना दिए गए CJI, निशिकांत दुबे ने दिलाई याद

2 hours ago

Last Updated:April 22, 2025, 07:28 IST

भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में एक ऐसे चीफ जस्टिस का नाम दर्ज है, जिन्होंने वकालत की कोई डिग्री नहीं ली थी. आइए जानते हैं कि कौन थे जस्टिस कैलाशनाथ वांचू और कैसे उन्हें कानून की किसी औपचारिक शिक्षा के बिना सीज...और पढ़ें

कौन थे वह, जो बिना वकालत पढ़े बना दिए गए CJI, निशिकांत दुबे ने दिलाई याद

निशिकांत दुबे कैलाशनाथ वांचू की याद दिलाई, जो वकालत की डिग्री लिए बिना CJI बने थे. (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

जस्टिस कैलाशनाथ वांचू बिना वकालत की डिग्री के CJI बने.वांचू ने ऑक्सफोर्ड में क्रिमिनल लॉ का गहन अध्ययन किया.वांचू 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश बने.

भारतीय न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र को लेकर इन दिनों चर्चा जोरों पर है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे सुप्रीम कोर्ट को लेकर कई गई अपनी हालिया टिप्पणी के कारण विवादों में घिरे हैं. विपक्ष उनपर न्यायापालिका पर दबाव डालने का आरोप लगा रहा है, वहीं बीजेपी ने उनके बयान से किनारा कर लिया है. हालांकि इसके बावजूद निशिकांत दुबे अपने कथन पर अडिग दिख रहे हैं. अब उन्होंने भारतीय न्यायपालिका एक ऐसा ही पन्ना एक बार फिर से खोल दिया है, जो अपने आप में अनोखा है.

झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत ने सोमवार देर रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘क्या आपको पता है कि 1967-68 में भारत के मुख्य न्यायाधीश कैलाशनाथ वांचू जी ने कानून की कोई पढ़ाई नहीं की थी?’

दरअसल भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में कैलाशनाथ वांचू का नाम एक ऐसे चीफ जस्टिस के रूप में दर्ज है, जिन्होंने पारंपरिक अर्थों में वकालत की डिग्री नहीं ली थी, लेकिन फिर भी भारत के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंचे. तो आइए जानते हैं कि कौन थे जस्टिस कैलाशनाथ वांचू और कैसे उन्हें कानून की किसी औपचारिक शिक्षा के बिना सीजेआई जैसे सर्वोच्च न्यायिक पद दिया गया.

कौन थे कैलाशनाथ वांचू?
जस्टिस कैलाशनाथ वांचू का जन्म 25 फरवरी, 1903 को इलाहाबाद में एक कश्मीरी पंडित परिवार में हुआ था. उनका परिवार मूल रूप से कश्मीर से था, जो बाद में इलाहाबाद में बस गया. उनकी शुरुआती शिक्षा मध्य प्रदेश के नौगांव में हुई, वहीं माध्यमिक शिक्षा कानपुर में, और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बीए की डिग्री हासिल की. पढ़ाई में मेधावी वांचू ने 1924 में इंडियन सिविल सर्विसेज (ICS) की परीक्षा पास की और प्रशिक्षण के लिए लंदन गए.

जस्टिस वांचू का सफर
ऐसा माना जाता है कि किसी जज या सीजेआई बनने के लिए वकालत की डिग्री जरूरी है, लेकिन वांचू इसका अपवाद थे. उन्होंने सीधे तौर पर एलएलबी की डिग्री हासिल नहीं थी, बल्कि 1924 में सिविल सर्विसेज (ICS) में चयनित होकर लंदन चले गए. वहां उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से ट्रेनिंग के दौरान क्रिमिनल लॉ का गहन अध्ययन किया. यहीं उन्होंने कानून की व्यवहारिक बारीकियों को सीखा, जो बाद में उनके न्यायिक फैसलों में झलकने लगी.

ऑक्सफोर्ड में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वे संयुक्त प्रांत (वर्तमान उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड) में जॉइंट मजिस्ट्रेट और कलेक्टर नियुक्त हुए.

ICS से बनाए गए जज
करीब एक दशक तक विभिन्न जिलों में प्रशासनिक सेवाएं देने के बाद साल 1937 में वे सेशंस एंड डिस्ट्रिक्ट जज बना दिए गए. आजादी के बाद 1947 में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक्टिंग जज बनाया गया, जब उनके एक ICS सहयोगी छुट्टी पर थे. महज 10 महीनों में उनकी योग्यता के आधार पर उन्हें स्थायी जज नियुक्त किया गया.

इसके बाद उनका तबादला राजस्थान हाई कोर्ट में हुआ, जहां वे 1951 से 1958 तक मुख्य न्यायाधीश रहे. इसी दौरान उनकी पहचान एक कुशल, निष्पक्ष और गहन कानूनी समझ रखने वाले न्यायाधीश के रूप में बनी, जिसने उन्हें सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाया. वह 11 अगस्त, 1958 को सुप्रीम कोर्ट के जज बनाए गए.

CJI बनने की भी दिलचस्प कहानी
जस्टिस वांचू का CJI बनना एक अप्रत्याशित घटना थी. 11 अप्रैल, 1967 को तत्कालीन CJI के. सुब्बाराव ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए अचानक इस्तीफा दे दिया. इस स्थिति में वांचू, जो अनुभव में वरिष्ठ थे, को 24 अप्रैल, 1967 को CJI नियुक्त किया गया. उन्होंने 24 फरवरी, 1968 तक, लगभग 11 महीने तक यह पद संभाला. उनके कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले सुनाए, और वे 1286 बेंचों का हिस्सा रहे, जिनमें 355 फैसले लिखे.

वांचू 1950-51 में यूनाइटेड प्रोविंस कमेटी और अन्य महत्वपूर्ण समितियों में भी शामिल रहे. उनकी प्रशासनिक और कानूनी विशेषज्ञता ने उन्हें बिना औपचारिक कानूनी शिक्षा के भी CJI के पद तक पहुंचाया.

निशिकांत दुबे का यह पोस्ट सुप्रीम कोर्ट और CJI पर उनके हालिया विवादित बयानों से जोड़ा जा रहा है. उन्होंने वक्फ कानून की सुनवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सवाल उठाते हुए सीजेआई संजीव खन्ना पर ‘धार्मिक युद्ध’ भड़काने का आरोप लगाया था.

Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

April 22, 2025, 07:28 IST

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