‘क्राइम कहां है…?’ सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी के आरोपों की काट के लिए आयोजित कांग्रेस के प्रेस कॉन्फ्रेंस में सोमवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने यही सवाल उठाया.
यह शायद हाल के दिनों में कांग्रेस पर सबसे बड़ा संकट है, और बोफोर्स कांड के बाद गांधी परिवार के लिए सबसे गंभीर चुनौती भी. भारत का सबसे शक्तिशाली सियासी परिवार अब आधिकारिक तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहा है. इसमें 2000 करोड़ रुपये, बेशकीमती जमीनें और एक बंद पड़ा अखबार शामिल है.
लेकिन यह सिर्फ कानूनी मामला नहीं, बल्कि भारतीय राजनीति को झकझोरने वाला मुद्दा बन सकता है, क्योंकि पहली बार सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है.
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने सोमवार को दावा किया, ‘ये अब जेल जाएंगे.’ पात्रा का यह बयान दिखाता है कि बीजेपी इस मामले को लेकर पूरी ताकत से मैदान में उतर चुकी है.
हालांकि एक बड़ा सवाल यह है कि क्या गांधी परिवार की कानूनी मुश्किलें और बढ़ेंगी?
इस हफ्ते कोर्ट में बड़ा ड्रामा हो सकता है. 25 अप्रैल को दिल्ली की एक अदालत यह तय करेगी कि क्या प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट पर संज्ञान लिया जाए या नहीं. अगर कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान ले लेती है और गांधी परिवार को समन भेजा जाता है या हिरासत में लिया जाता है, तो यह कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा.
याद दिला दें कि सोनिया और राहुल दोनों CBI की तरफ दर्ज नेशनल हेराल्ड केस में पहले से जमानत पर हैं. वे सुप्रीम कोर्ट भी गए थे, लेकिन वहां से भी कोई राहत नहीं मिली.
2022 में ED ने उन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था. अब अगर कोर्ट कार्रवाई शुरू करती है, तो यह कांग्रेस की छवि और संगठन दोनों को प्रभावित कर सकता है.
राहुल गांधी ने भले कहा है, ‘हमें मोदी की एजेंसियों से डर नहीं लगता.’ लेकिन कांग्रेस को पता है कि बार-बार की कानूनी कार्रवाई और समन से गांधी परिवार लगातार जांच के घेरे में रहेगा, जिससे पार्टी के अंदरूनी मुद्दे भी प्रभावित हो सकते हैं.
बीजेपी लगातार यह प्रचार कर रही है कि गांधी परिवार ने एक गैर-लाभकारी कंपनी के जरिये सैकड़ों करोड़ की संपत्ति हथिया ली. यह ‘वंशवाद की राजनीति’ और सत्ता के दुरुपयोग का प्रतीक बताया जा रहा है. यहां कांग्रेस के लिए बड़ी चिंता की बात यह है कि अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो राहुल और सोनिया गांधी के जेल जाने तक की नौबत आ सकती है.
गांधी परिवार की दूसरी मुश्किल: रॉबर्ट वाड्रा
सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा भी जांच के घेरे में हैं. पिछले हफ्ते तीन दिन तक उनसे मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ हुई. उन पर भी जल्द तीन चार्जशीट आ सकती हैं.
बीजेपी इसे ‘मोदी 3.0 की बड़ी उपलब्धि’ बताकर प्रचार कर रही है. सोशल मीडिया पर पार्टी ने एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें नेशनल हेराल्ड केस और वाड्रा की पूछताछ को खासतौर पर गिनाया गया है.
कांग्रेस का पलटवार
उधर कांग्रेस का कहना है कि यह सब ‘राजनीतिक बदले’ का हिस्सा है. लेकिन राजनीति में धारणाएं बहुत मायने रखती हैं. बीजेपी कोशिश कर रही है कि गांधी परिवार को भ्रष्ट साबित किया जाए और उन्हें सजा दिलाई जाए.
ED ने हाल ही में कई राजनीतिक मामलों में अपनी सक्रियता बढ़ाई है — दिल्ली में गांधी परिवार, छत्तीसगढ़ में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, बिहार में लालू प्रसाद यादव का परिवार, और केरल में मुख्यमंत्री पिनराई विजयन का परिवार.
लेकिन अब ईडी पर भी दबाव है कि वह तेजी से मुकदमे चलाए और अदालत में आरोप साबित करे. अब तक कई मामलों में एजेंसी को सफलता नहीं मिली है, जिससे विपक्ष को यह कहने का मौका मिला है कि यह सिर्फ विपक्षी नेताओं को टारगेट करने का तरीका है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
यह केस नेशनल हेराल्ड नामक अखबार से जुड़ा है, जिसे 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने शुरू किया था. साल 2008 में अखबार भारी कर्ज के चलते बंद हो गया.
इसके बाद एक नई कंपनी बनाई गई, ‘यंग इंडियन लिमिटेड’, जिसमें राहुल और सोनिया की 76% हिस्सेदारी है. इस कंपनी ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति अपने हाथ में ले ली.
ईडी का आरोप है कि गांधी परिवार ने अपनी राजनीतिक पहुंच का इस्तेमाल कर लगभग 2000 करोड़ की संपत्ति सिर्फ 50 लाख रुपये में ले ली, और असल में बाजार भाव चुकाया ही नहीं.
यह संपत्ति पहले कांग्रेस पार्टी के अधीन थी, क्योंकि पार्टी ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को 90 करोड़ रुपये का कर्ज दिया था. लेकिन कांग्रेस ने यह कर्ज माफ कर दिया, ताकि यंग इंडियन को इसका फायदा मिले. यानी पार्टी के फंड का गलत इस्तेमाल हुआ- यही ED का दावा है.
कांग्रेस का बचाव कांग्रेस का कहना है कि ये सारे लेन-देन कानूनी थे और यंग इंडियन लिमिटेड एक गैर-लाभकारी कंपनी (Section 25) है, जिससे सोनिया और राहुल को कोई निजी लाभ नहीं मिला. कांग्रेस का कहना है कि इस प्रक्रिया का मकसद नेशनल हेराल्ड की विरासत को बचाना था, न कि संपत्ति हथियाना.