Last Updated:April 22, 2025, 07:53 IST
Congress Flop Show: बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में राजनीतिक दल के दिग्गज नेता अभी से ही माहौल बनाने में जुट गए हैं. कांग्रेस भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहती है, लेकिन मल्लिकार्जुन खरगे क...और पढ़ें

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बक्सर रैली में लोगों के न जुटने की गाज पार्टी के जिलाध्यक्ष पर गिरी है.
हाइलाइट्स
मल्लिकार्जुन खरगे की रैली में भीड़ न जुटने की गाज पार्टी जिलाध्यक्ष पर गिरीबिहार में कांग्रेस पार्टी का बेस पूरी तरह से कंडम, संगठन पर सालों से काम नहींबिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज, कांग्रेस नहीं रहना चाहती है पीछेनई दिल्ली. बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दलों के सीनियर लीडर्स लगातार जनसंपर्क अभियान चला रहे हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार रैलियां कर रहे हैं, जबकि आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव भी मोचा्र संभाले हुए हैं. ऐसे में महागठबंधन के महत्वपूर्ण घटक दल कांग्रेस भी पीछे नहीं रहना चाहती है. बिहार में इस बार ज्यादा सीटों की मांग कर रही कांग्रेस खुद की मौजूदगी को जमीन पर दिखाने की कोशिश में जुटी है. विधानसभा चुनाव की तैयारियों के तहत पार्टी ने कुछ महीने पहले ही अपने बिहार अध्यक्ष को बदला था. लेकिन, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की बक्सर रैली से कांग्रेस की उम्मीदों को जोर का झटका लगा है. खरगे की रैली में भीड़ नहीं जुटी तो विपक्षी दलों को कांग्रेस पर हमला करने का मौका मिल गया. यहां तक की पार्टी में भी खलबली मच गई. आनन-फानन में बक्सर के कांग्रेस जिलाध्यक्ष मनोज कुमार पांडे को पद से हटा दिया गया, क्योंकि वह खरगे की रैली में लोगों को नहीं जुटा सके. अब सवाल यह उठता है कि बिहार में कांग्रेस की दयनीय हालत का जिम्मेदार कौन है? क्या टॉप लीडरशिप और खासकर राहुल गांधी की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? और तीसरा सवाल यह कि मनोज पांडे जैसे नेताओं के खिलाफ एक्शन लेकर क्या कांग्रेस की स्थिति में सुधार आ जाएगा?
दरअसल, बिहार में कांग्रेस की हालत काफी खराब है. पार्टी से नए कार्यकर्ताओं के जुड़ने की रफ्तार काफी धीमी है. प्रदेश से 40 सांसद चुने जाते हैं, ऐसे में पूर्वी भारत के इस राज्य की अहमियत काफी बढ़ जाती है. बिहार में जमीन पर कांग्रेस को मजबूत करने की कोशिश सालों से नाकाफी रहे हैं. जब भी चुनाव (विधानसभा या फिर लोकसभा) का समय आता है तो पार्टी एक्टिव होती है और चुनाव खत्म होते ही सब ठंडे पड़ जाते हैं. पार्टी से नए नेताओं और कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए कोई ठोस पहल नहीं की जाती है. अब जिस बिहार में कांग्रेस की हालत ऐसी हो तो वहां नेताओं की रैलियों में भीड़ जुटा पाना कतई आसान काम नहीं है. इन हालात में निचले स्तर के नेताओं पर एक्शन लेने से जमीन पर कुछ ज्यादा फर्क पड़े, यह संभव नहीं लगता है. बिहार में कांग्रेस को मजबूत करने के लिए टॉप लीडरशिप को जिम्मेदारी लेनी होगी और उस दिशा में अनवरत काम करना होगा. जो बिहार दशकों पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करता था, उसी राज्य में पार्टी के नेशनल प्रेसिडेंट की रैली में भीड़ न जुटना स्वाभाविक तौर पर गंभीर चिंता का विषय है. लेकिन, मनोज पांडे जैसे नेताओं के खिलाफ एक्शन लेने से हालात में कुछ ज्यादा बदलाव नहीं आने वाला है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 22, 2025, 07:53 IST