लगभग 2 साल के अंतराल के बाद म्यांमार की सेना ने पूर्वी कयाह राज्य के डेमोसो शहर पर दोबारा नियंत्रण स्थापित कर लिया है. यह पुनः कब्जा ऐसे समय में हुआ है जब सेना ने हाल के महीनों में जमीनी अभियान तेज किए हैं और साथ ही हवाई हमलों की तीव्रता भी बढ़ाई है. डेमोसो पर सैन्य नियंत्रण की वापसी को म्यांमार में चल रहे संघर्ष के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है, जहां सेना और विद्रोही गुटों के बीच टकराव लगातार तेज होता जा रहा है.
म्यांमार के पूर्वी कयाह राज्य में स्थित डेमोसो शहर पर सेना ने दो साल बाद दोबारा नियंत्रण स्थापित कर लिया है. यह घटनाक्रम 28 दिसंबर को होने वाले आम चुनावों से ठीक पहले सामने आया है, जिससे देश में राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है. डेमोसो, जिसे करेनी के नाम से भी जाना जाता है, म्यांमार की राजधानी नेपीता से लगभग 110 किलोमीटर पूर्व में स्थित है.
आंग सू की सरकार का तख्तापलट के बाद से अस्थिर है माहौल
यह शहर फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट के बाद से म्यांमार के गृहयुद्ध का एक प्रमुख युद्धक्षेत्र बना हुआ है. सेना द्वारा आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार का तख्तापलट करने के बाद से यह इलाका विद्रोही गुटों और सेना के बीच जोरदार संघर्ष का केंद्र बन गया है. हाल के महीनों में सेना ने जमीनी अभियानों के साथ-साथ हवाई हमलों को भी तेज कर दिया है, और डेमोसो पर पुनः कब्जा इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.
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शहर से छह शव और पांच हथियार बरामद
म्यांमार की सेना द्वारा डेमोसो शहर पर दोबारा नियंत्रण स्थापित करने के बाद हालात और भी तनावपूर्ण हो गए हैं. सरकारी अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, शहर से 6 शव और 5 हथियार बरामद किए गए हैं. रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया है कि इस संघर्ष में सेना के कुछ जवानों की भी मौत हुई है.सेना ने कब्जे के बाद अस्पताल, अग्निशमन विभाग और टाउन हॉल के पास तैनात अपने सैनिकों की तस्वीरें जारी की हैं, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि शहर पर अब उनका पूरा नियंत्रण है.
KNDF ने सेना पर लगाए आरोप
केएनडीएफ (Karenni ities Defense Force) ने सोमवार को फेसबुक पर जारी एक बयान में आरोप लगाया कि सेना ने डेमोसो पर हमले के दौरान आम नागरिकों को गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया, उन पर अंधाधुंध गोलीबारी की, हत्याएं कीं और उन्हें ‘मानव ढाल’ की तरह इस्तेमाल किया. डेमोसो म्यांमार के सबसे छोटे राज्य काया में स्थित है, जहां करेनी समुदाय की बड़ी आबादी निवास करती है। यह क्षेत्र लंबे समय से संघर्ष और हिंसा का केंद्र बना हुआ है, और सेना तथा प्रतिरोध बलों के बीच जारी संघर्ष ने यहां की स्थिति को और जटिल बना दिया है.
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