US North Korea Talks: अमेरिका ने उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग-उन की बहन और शीर्ष नेता किम यो-जोंग के हालिया बयान पर ध्यान दिया है, जिसमें प्योंगयांग ने वाशिंगटन से बातचीत के संकेत दिए हैं. हालांकि, उन्होंने साफ कहा कि परमाणु निरस्त्रीकरण पर किसी भी तरह की चर्चा संभव नहीं है. अमेरिकी विदेश विभाग के ब्यूरो ऑफ ईस्ट एंड पेसिफिक मामलों के कार्यवाहक उप सहायक सचिव सेठ बेली ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि यह बयान दिलचस्प है और प्योंगयांग की ओर से ट्रंप प्रशासन में रुचि दिखाता है.
अमेरिका और दक्षिण कोरिया की साझा प्राथमिकता
डीपीएए (लापता सैनिकों की लेखा एजेंसी) द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बेली ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ली, दोनों ही उत्तर कोरिया के साथ कूटनीतिक संबंध सुधारने पर जोर दे रहे हैं. योनहाप न्यूज एजेंसी के मुताबिक, किम यो-जोंग ने स्वीकार किया कि ट्रंप और किम जोंग-उन के व्यक्तिगत संबंध "बुरे नहीं" हैं जो उत्तर कोरिया से आने वाला एक दुर्लभ और सकारात्मक संकेत है.
परमाणु नीति और नई सोच की मांग
किम यो-जोंग ने स्पष्ट किया कि उनका देश परमाणु हथियारों के कब्जे को "अपरिवर्तनीय" मानता है, इसलिए वाशिंगटन के साथ इस मुद्दे पर बातचीत की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने अमेरिका से आग्रह किया कि वह "नई सोच" के साथ संपर्क का तरीका अपनाए. यह रुख प्योंगयांग की ओर से लचीलापन तो नहीं, लेकिन अलग तरह की वार्ता के लिए तैयार रहने का संकेत देता है.
लापता सैनिकों की वापसी को बताया नैतिक दायित्व
इस कार्यक्रम में 1950-53 के कोरियाई युद्ध में लापता हुए सैनिकों के 400 से अधिक परिवार शामिल हुए. बेली ने कहा कि अमेरिकी सैनिकों के अवशेषों की स्वदेश वापसी सिर्फ कूटनीतिक प्राथमिकता नहीं, बल्कि नैतिक दायित्व भी है. उन्होंने याद दिलाया कि जून 2018 के सिंगापुर शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति ट्रंप और उत्तर कोरिया के संयुक्त वक्तव्य में इस मुद्दे को एक अहम स्तंभ के रूप में शामिल किया गया था.