Last Updated:August 08, 2025, 11:54 IST
Picture of Tariff Effect : अमेरिका के लगाए 25 फीसदी टैरिफ का असर दिखना शुरू हो गया है. 7 अगस्त से बढ़ा हुआ आयात शुल्क लागू होने के बाद तमाम अमेरिकी खरीदारों ने ऑर्डर कैंसिल करना शुरू कर दिया है.

नई दिल्ली. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ पर दी गई छूट की मियाद पूरी हो गई और इसका दोनों तरफ के कारोबारियों पर साफ देखा जा रहा. 7 अगस्त से भारत पर 25 फीसदी टैरिफ लागू हो चुका है और इस असर ने अमेरिकी कारोबारियों की नींद उड़ा दी है. वे रातभर सो नहीं सके और भारतीय कारोबारियों से बातचीत करते रहे. टैरिफ की वजह से करोड़ों रुपये के तमाम ऑर्डर या तो कैंसिल हो रहे या फिर उन्हें होल्ड पर डाल दिया गया. अमेरिका और भारत के कारोबार को इस बात भी डर है कि आने वाली 27 तारीख से यह टैरिफ बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा.
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, भारतीय निर्यात और अमेरिकी आयातकों के बीच बातचीत में भी रूस से तेल की खरीदारी का मुद्दा बना रहा. एक अमेरिकी खरीदार ने पूछा कि आखिर आपको रूस के तेल की जरूरत क्यों है? 600 करोड़ रुपये का गारमेंट एक्सपोर्ट करने वाली कंपनी के सीईओ ने बताया कि उनसे अमेरिकी खरीदार ने पूछा, ’25 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद उन पर 15 फीसदी आयात शुल्क का बोझ आएगा. आगे जब यह बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा तो इस लोड को उठाना संभव नहीं. हम कोई ऐसा प्रोडक्ट नहीं बना रहे, जो कहीं और नहीं मिल सकेगा.’ यह कहते हुए उनकी आवाज भारी हो जा रही थी. उन्होंने कहा कि इस स्थिति में न सिर्फ उनके कारोबार पर असर पड़ेगा, बल्कि उनकी कंपनी में काम कर रहे 8 हजार से ज्यादा कर्मचारियों की जीविका पर भी संकट खड़ा हो जाएगा.
बैंक के डर से नहीं बताया नाम
कपड़ा निर्यात करने वाली इस कंपनी के सीईओ ने बैंक के डर से अपना नाम भी नहीं बताया. उन्होंने कहा कि अगर इस स्थिति का पता उनके बैंक को चल गया तो अगला फोन वहीं से आ जाएगा. एक अन्य निर्यातक थॉमस जोस का परिवार तीन पीढि़यों से झींगा मछली का निर्यात करता आया है. जोस का कहना है कि पिछली रात उनके ज्यादातर अमेरिकी खरीदारों ने शिपमेंट रोकने की बात कही है. जोश केरल की निर्यातक कंपनी च्वाइस ग्रुप के निदेशक हैं और उनकी कंपनी सालाना 900 करोड़ रुपये का निर्यात करती है. जोश का कहना है कि उनके खरीदारों ने साफ कह दिया है कि वे 25 फीसदी से 1 फीसदी भी ज्यादा आयात शुल्क का बोझ नहीं उठा सके, अतिरिक्त 25 फीसदी तो दूर की बात है. गौरतलब है कि अमेरिका को भारत से सालाना 25 हजार करोड़ से भी ज्यादा कीमत के समुद्री उत्पाद जाते हैं.
ज्वैलरी उद्योग का भी यही हाल
सूरत की ज्वैलरी निर्यात कंपनी धानी ज्वैल्स के प्रबंध निदेशक विजय कुमार मंगूकिया ने बताया कि पिछली रात उनके पास अमेरिकी खरीदार का फोन आया और पूछा कि क्या हम डायमंड की कीमत को लेकर मोलभाव कर सकते हैं. ऐसा ट्रंप के अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ से बचने के लिए पूछा गया. विजय कुमार ने कहा कि 25 फीसदी टैरिफ तक तो हम कीमत को लेकर मोलभाव कर सकते हैं, लेकिन 50 फीसदी लगने के बाद यह नामुमकिन हो जाएगा. फिलहाल खरीदार ने अपने खुदरा ग्राहकों से बढ़ी हुई कीमत को वहन करने को लेकर बातचीत की बात कही है, लेकिन अगर यह संभव नहीं होता तो हमारे पास ऑर्डर कैंसिल करने के अलावा अन्य कोई चारा नहीं है.
कपड़ा उद्योग का क्या रहा हाल
अमेरिका को 2 लाख ट्राउजर्स का निर्यात करने वाली भारतीय कंपनी के सीईओ ने बताया कि उनके पास भी बीती रात अमेरिकी खरीदार का फोन आया कि हम 25 फीसदी टैरिफ के बाद बढ़ने वाली लागत को वहन करने के लिए तैयार हैं. मेरे मना करने पर अमेरिकी खरीदार ने अपना ऑर्डर बांग्लादेश शिफ्ट करने की बात कही. अमेरिका में हर साल आयात होने वाले कुल कपड़ा उद्योग का 28 फीसदी यानी करीब 87,525 करोड़ रुपये का सामान सिर्फ भारत से ही जाता है. भारतीय कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद के चेयरमैन विजय अग्रवाल का कहना है कि फिलहाल यह उद्योग 50 फीसदी टैरिफ को बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं है.
सुस्त पड़ रहा उत्पादन
कपड़ा निर्यात संवर्धन परिषद के पूर्व चेयरमैन परिमल उडानी का कहना है कि हमने उत्पादन घटाना शुरू कर दिया है. 50 फीसदी टैरिफ का अनुमान नहीं लगाया था. यह बिलकुल दिल तोड़ने वाला फैसला है. जेम्स ज्वैलरी मैन्युफैक्चर्र एसोसिएशन के अध्यक्ष आदिल कोटवाल ने बताया कि अमेरिकी खरीदारों ने अपने ऑर्डर को होल्ड पर डाल दिया है. अगर इस पर कुछ जल्द ही कदम नहीं उठाया गया तो अमेरिका को होने वाले 20 हजार करोड़ के निर्यात पर तो असर पड़ेगा ही, इस क्षेत्र के 1 लाख से ज्यादा कामगारों पर भी संकट आ जाएगा. सूरत के डायमंड इंडस्ट्री में करीब 8 लाख लोग काम करते हैं. उनका भविष्य भी खतरे में पड़ सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 08, 2025, 11:54 IST