Last Updated:January 14, 2025, 14:13 IST
Delhi Chunav 2025: दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई है. उन पर चुनवा प्रचार के लिए सरकारी वाहन के इस्तेमाल का आरोप लगा है. दिल्ली के गोविंदपुरी थाने में केस दर्ज हुआ है. चलिए जानते हैं इंदिरा गांधी से जुड़ी वह कहानी,...और पढ़ें
नई दिल्ली: दिल्ली चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. आप, भाजपा और कांग्रेस दमखम दिखाने को तैयार हैं. एक-दूसरे पर हमला बोलने का एक भी मौका नहीं छोड़ रहे. इस बीच दिल्ली की सीएम आतिशी मुसीबत में घिर गई हैं. आतिशी ने नामांकन तो भर दिया, पर उन पर एफआईआर दर्ज हुई है. उन पर दिल्ली चुनाव में सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल करने का आरोप लगा है. चुनाव आयोग की शिकायत पर दिल्ली पुलिस ने पीडब्ल्यूडी के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर संजय कुमार के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की है. आरोप है कि संजय ने ही सीएम आतिशी को चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी दी थी. इसे लेकर आप ने पलटवार किया है. आप का कहना है कि भाजपा चुनाव हार रही है, इसलिए ये साजिश रची जा रही है.
इस तरह दिल्ली की सीएम आतिशी पर आचार संहिता उल्लंघन का आरोप लगा है. दिल्ली के गोविंदपुरी थाने में एफआईआर दर्ज की गई है. अब देखने वाली बात होगी कि सीएम आतिशी के खिलाफ जांच में क्या बात सामने आती है. यहां बताना जरूरी है कि आचार संहिता लागू होने के बाद मुख्यमंत्री या सरकार का कोई भी मंत्री चुनाव प्रचार के लिए सरकारी वाहन का इस्तेमाल नहीं कर सकता है. यह नियम है. बहरहाल, आज सीएम आतिशी के बहाने उस जीप कार और यशपाल कपूर की कहानी जानते हैं, जिसकी वजह से कभी इंदिरा गांधी को कोर्ट में मुंह की खानी पड़ी थी.
जानिए 1971 की कहानी
कहानी 1971 की है. यह साल इंदिरा गांधी के लिए बेहद अहम था. 1971 में लोकसभा चुनाव हुए. तब कांग्रेस में दो फाड़ हो चुकी थी. एक की कमान इंदिरा के हाथ में थी. वहीं, कांग्रेस (ओ) की कमान मोरारजी देसाई संभाल रहे थे. इंदिरा का तब नारा था गरीबी हटाओ. उनके विरोधी गुट वाली कांग्रेस का नारा था- इंदिरा हटाओ. जब 1971 में हुए लोकसभा चुनाव के नतीजे आए तो इंदिरा हटाओ पर गरीबी हटाओ भारी पड़ा. इंदिरा की अगुवाई वाली कांग्रेस की प्रचंड जीत हुई. इंदिरा गांधी वाली कांग्रेस ने उस चुनाव में 545 सीटों में से 352 सीटें जीतीं. जबकि कांग्रेस (ओ) ने 16 सीटें जीतीं. इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से जीत गईं. उनके विरोधी समाजवादी नेता राजनारायण की हार हुई. मगर उन्होंने हार नहीं मानी. चुनाव के दौरान इंदिरा की एक गलती पकड़ ली. उसे लेकर ही वह इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गए.
जीप और यशपाल की कहानी
इंदिरा गांधी ने रायबरेली में ओएसडी रहे यशपाल कपूर को चुनाव प्रभारी बनाया था. यशपाल कपूर एक आईएएस अफसर थे. लोकसभा चुनाव की घोषणा के आसपास ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. मगर चुनावी प्रक्रिया शुरू हो जाने की वजह से उनका इस्तीफा मंजूर नहीं हो पाया था. इस्तीफे की अधिसूचना जारी होने से पहले ही यशपाल कपूर इंदिरा गांधी के चुनाव प्रचार में लग गए थे. समाजवादी नेता राजनारायण ने इसी आधार पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका लगा दी. राजनारायण ने इंदिरा गांधी पर आरोप लगाया कि उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान सरकारी जीपों का इस्तेमाल किया, जिससे आचार संहिता का उल्लंघन हुआ. आरोप था कि इंदिरा गांधी के चुनाव प्रचार में 23 सरकारी जीपों का इस्तेमाल हुआ था. इसकी व्यवस्था यशपाल कपूर ने की थी.
क्या-क्या थे आरोप?
राजनारायण ने यह भी आरोप लगाया कि इंदिरा के सहयोगी यशपाल कपूर ने वोटरों रजाई, धोती और शराब बांटी थी. उन्होंने वोटरों को मतदान केंद्रों तक मुफ्त पहुंचाने के लिए कई जीप भी किराए पर लिए थे और खरीदे थे. इस्तीफा से पहले यशपाल कपूर एक गैजेटेड अधिकारी थे. उन्होंने दावा किया था कि जब वह इंदिरा गांधी के चुनावी एजेंट थे, तब तक वह इस्तीफा दे चुके थे. हालांकि, हकीकत यह है कि उनके इस्तीफे की अधिसूचना जारी नहीं हुई थी. उससे पहले ही यशपाल इंदिरा के लिए चुनाव में मदद पहुंचा चुके थे. उन्होंने इंदिरा के लिए भाषण भी दिया था. जीप की व्यवस्था भी कराई थी.
जीप-यशपाल कपूर के चलते हारीं इंदिरा
समाजवादी नेता राजनारायण ने अपनी याचिका में इन बातों का जिक्र किया था. खुद इंदिरा गांधी ने अदालत में बताया था कि उन 23 जीपों का इस्तेमाल तो रायबरेली, अमेठी और राम सनेही घाट के चुनाव क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए जिला कांग्रेस कमेटी रायबरेली ने किया था. कोर्ट में राजनारायण के आरोप सही साबित हुए. हाईकोर्ट ने 12 जून 1975 को इंदिरा की जीत को अवैध ठहरा दिया. उनके चुनाव लड़ने पर 6 साल का बैन भी लगा दिया. इस तरह इंदिरा गांधी सरकारी जीप और यशपाल कपूर की वजह से हार गईं.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
January 14, 2025, 14:13 IST