Last Updated:May 08, 2025, 12:40 IST
Operation Sindoor: ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने राफेल फाइटर जेट्स से पाकिस्तान के नौ आतंकी ठिकानों को तबाह किया. राफेल की गति 2202 किमी/घंटा है और यह 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. जानिए ये एक साथ कितनी मिसाइ...और पढ़ें

इस लड़ाकू विमान को हर देश की वायुसेना खरीदना चाहती है.
हाइलाइट्स
ऑपरेशन सिंदूर में 9 आतंकी ठिकानों को तबाह कियाराफेल जेट 2202 किमी/घंटा की गति से उड़ सकता हैराफेल जेट एक साथ 6 हैमर मिसाइलें ले जा सकता हैOperation Sindoor: भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम देकर पाकिस्तान को पहलगाम आतंकी हमले का सबक सिखा दिया है. भारत ने पाकिस्तान में मौजूद उन नौ आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया है. जिसके जरिये वो सरहद पार अपनी आंतकवादी गतिविधियां कराता है. इस ऑपरेशन में राफेल फाइटर जेट्स से स्कैल्प और हैमर मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया. इस हमले में 30 लोगों की मौत हो चुकी है. चलिए बताते हैं कि राफेल फाइटर जेट की खासियत क्या है और क्यों ये विमान भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाने में मददगार हैं.
उड़ा देता है दुश्मन की नींद
राफेल एक फाइटर जेट है. राफेल की गति 2202 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह पाकिस्तान के जेएफ-17 (1910 किमी/घंटा) और जे-10 सीई (2100 किमी/घंटा) से ज्यादा है. वहीं, इसकी रेंज 3700 किलोमीटर है. इसकी फ्यूल कैपेसिटी 11,202 लीटर है. इस फाइटर जेट में हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है. जिससे इसकी रेंज और भी बढ़ाई जा सकती है. राफेल आसमान में 50,000 फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. भारत ने पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देने के लिए हैमर मिसाइल का इस्तेमाल किया. हैमर मिसाइल को राफेल पर फिट किया जाता है. एक राफेल जेट छह हैमर मिसाइलों को एक साथ ले जा सकता है, जिससे यह 6 टारगेट्स को निशाना बना सकती हैं.
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हैमर के साथ खतरनाक जोड़ी
हैमर मिसाइल एक काफी एक्यूरेट गाइडेड मिसाइल है. इससे आसानी से हवा से जमीन पर अटैक किया जा सकता है. भारत ने हैमर मिसाइल को राफेल जेट्स के लिए साल 2020 में चीन के साथ सीमा पर तनाव के दौरान ही खरीदा था. इस मिसाइल की खासियत यह है कि ये 20 से 70 किलोमीटर तक जा सकती है. मिसाइल की दूरी इसके लॉन्च और टारगेट पर काफी हद तक निर्भर करती है. इसे अफगानिस्तान, लीबिया, इराक और सीरिया के अलावा माली में भी इस्तेमाल किया जा चुका है. यह मिसाइल बंकरों को नष्ट करने के लिए मशहूर है. हैमर की खासियत इसे सियालकोट और मुरीदके जैसे घने शहरी वातावरण के बीच लक्ष्यों के लिए उपयुक्त बनाती है.
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बढ़ रही है इसकी शोहरत
राफेल फ्रांस में बना विमान है. इसे डसॉल्ट एविएशन द्वारा डिजाइन और निर्मित किया गया है. इस लड़ाकू विमान को हर देश की वायुसेना खरीदना चाहती है. इसे खरीदने वालों की कतार इतनी लंबी हो गई है कि इसे पाने के लिए तीन साल का इंतजार करना पड़ रहा है. यह 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है, लेकिन इसकी ताकत पांचवीं पीढ़ी के विमान जैसी ही है. यह हवा में अपना वर्चस्व बनाने, दुश्मन के विमान को उलझाने, दुश्मन के इलाके में अंदर तक घुसकर हमला करने, एंटी शिप स्ट्राइक और परमाणु हमला जैसे कामों को अंजाम दे सकता है. इसने युद्ध में भी अपनी उपयोगिता साबित की है.
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ले जा सकता है कितने हथियार
डसॉल्ट राफेल एक ट्विन-इंजन, कैनार्ड डेल्टा विंग और मल्टीरोल लड़ाकू विमान है. राफेल विमान अपने साथ स्कैल्प, हैमर और मीटिओर मिसाइलों को ले जा सकता है. इसके अलावा इसमें 30 मिमी की एक गन भी लगी होती है. राफेल में कई तरह के स्मार्ट सेंसर लगे हैं, जिनमें स्पेक्ट्रा सिस्टम भी शामिल है. ये सिस्टम खतरों का लंबी दूरी से पता लगाने और पहचानने में सक्षम है. राफेल में एक फ्लाइट कंप्यूटर भी है जो पायलट के भटकाव को रोक सकता है. साथ ही खराब उड़ान स्थितियों के दौरान विमान को खुद ही ठीक कर सकता है.
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भारत के पास हैं कितने विमान
राफेल की 36 यूनिट को भारतीय वायुसेना ने भी खरीदा है. फ्रांस ने राफेल को भारत के अलावा क्रोएशिया, मिस्र, ग्रीस और कतर को दिया है. वहीं, भविष्य में इस विमान को खरीदने वाले देशों में इंडोनेशिया, सर्बिया और यूएई शामिल हैं. राफेल अपनी कम मेंटीनेंस और कम कीमत के कारण भी लोकप्रिय है. एक राफेल लड़ाकू विमान की कीमत 1,090 करोड़ रुपये है. हालांकि यह वेरिएंट और स्पेसिफिकेशन के तौर पर अलग हो सकती है. पिछले महीने भारत के अब तक के सबसे बड़े लड़ाकू विमान सौदे को मंजूरी दे दी है. इस सौदे के तहत भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन लड़ाकू विमानों की खरीदी की जा रही है. भारतीय नौसेना को 22 सिंगल-सीटर और चार ट्वीन-सीटर राफेल मरीन जेट मिलने वाले हैं. फ्रांस के साथ होने वाला यह सौदा 63 हजार करोड़ रुपये से अधिक का है.
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